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रामेश्वर उरांव ने केंद्र से की मांग, झारखंड जैसे पिछड़े राज्य को मिले विशेष आर्थिक सहयोग

जेपीसीसी अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने कांग्रेस राहत निगरानी समिति की बैठक में हिस्सा लिया. निगरानी राहत समिति ने कई माध्यमों से जरूरतमंद लोगों को मदद पहुंचाने के लिए कार्य किया.

रामेश्वर उरांव ने केंद्र से की मांग, झारखंड जैसे पिछड़े राज्य को मिले विशेष आर्थिक सहयोग
बैठक करते जेपीसीसी सदस्य
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Published : Apr 15, 2020, 7:14 PM IST

रांचीः कोविड-19 के लिए बने झारखंड प्रदेश कांग्रेस राहत निगरानी समिति राजधानी और राज्य के अलग-अलग जिलों समेत देशभर के कई हिस्सों में फंसे लोगों को राहत उपलब्ध कराने में लगी हुई है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक के बाद बुधवार को निगरानी राहत समिति की बैठक में हिस्सा लिया. निगरानी राहत समिति ने कई माध्यमों से जरूरतमंद लोगों को मदद पहुंचाने के लिए कार्य किया. इस मौके पर राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू भी मौजूद रहे.

प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने कहा कि कोविड-19 को लेकर राज्य सरकार की ओर से गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की प्रारंभिक बैठक हुई है. उन्होंने बताया कि 16 अप्रैल को सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव और विभागीय प्रमुखों के साथ बैठक की जाएगी. उन्होंने बताया कि दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों की संख्या आठ लाख के पार हो गई है. अभी भी इनकी गिनती की जा रही है और उनके बैंक खाता नंबर को लिया जा रहा है. ताकि डीबीटी के माध्यम से उन्हें मदद राशि पहुंचाई जा सके.

वहीं जेपीसीसी अध्यक्ष ने बताया कि अब समिति को यह तय करना है कि बाहर में फंसे मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था वही की सरकार के माध्यम से हो या फिर यहां के सरकार के माध्यम से और इसके लिए खर्च का वाहन कैसे किया जाए. साथ ही लॉकडाउन के खत्म होने के बाद लाखों लोग झारखंड वापस आएंगे. उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर पर रखने और खाने पीने की सुविधा उपलब्ध कराने में भी बड़ी राशि खर्च होगी. ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इस संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए झारखंड जैसे पिछड़े राज्यों को विशेष आर्थिक सहयोग मुहैया कराया जाए. उन्होंने कहा कि जिस तरह से नोटबंदी जैसा कदम बिना सोचे समझे उठाया गया था. उसी तरह से लॉकडाउन भी बिना विचार विमर्श किए लागू किया गया. इस फैसले को लागू करने से पहले संबंधित राज्यों और कंपनियों से बातचीत करनी चाहिए था कि लॉकडाउन की अवधि में फंसे लोगों को उनकी ओर से राहत और मदद पहुंचाई जा सके. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस वजह से बड़े शहरों में अफरातफरी की स्थिति बन गई है. भूखे लोग अपने घर वापस लौटने के लिए परेशान है.

वही कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे ने बताया कि मुंबई, पुणे और महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्से, तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्से से सैकड़ों लोगों ने मदद मांगी है. जिसके बाद विभिन्न माध्यमों से राहत निगरानी समिति की तरफ से उन्हें तत्काल राहत उपलब्ध कराई गई है.

रांचीः कोविड-19 के लिए बने झारखंड प्रदेश कांग्रेस राहत निगरानी समिति राजधानी और राज्य के अलग-अलग जिलों समेत देशभर के कई हिस्सों में फंसे लोगों को राहत उपलब्ध कराने में लगी हुई है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक के बाद बुधवार को निगरानी राहत समिति की बैठक में हिस्सा लिया. निगरानी राहत समिति ने कई माध्यमों से जरूरतमंद लोगों को मदद पहुंचाने के लिए कार्य किया. इस मौके पर राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू भी मौजूद रहे.

प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने कहा कि कोविड-19 को लेकर राज्य सरकार की ओर से गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की प्रारंभिक बैठक हुई है. उन्होंने बताया कि 16 अप्रैल को सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव और विभागीय प्रमुखों के साथ बैठक की जाएगी. उन्होंने बताया कि दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों की संख्या आठ लाख के पार हो गई है. अभी भी इनकी गिनती की जा रही है और उनके बैंक खाता नंबर को लिया जा रहा है. ताकि डीबीटी के माध्यम से उन्हें मदद राशि पहुंचाई जा सके.

वहीं जेपीसीसी अध्यक्ष ने बताया कि अब समिति को यह तय करना है कि बाहर में फंसे मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था वही की सरकार के माध्यम से हो या फिर यहां के सरकार के माध्यम से और इसके लिए खर्च का वाहन कैसे किया जाए. साथ ही लॉकडाउन के खत्म होने के बाद लाखों लोग झारखंड वापस आएंगे. उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर पर रखने और खाने पीने की सुविधा उपलब्ध कराने में भी बड़ी राशि खर्च होगी. ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इस संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए झारखंड जैसे पिछड़े राज्यों को विशेष आर्थिक सहयोग मुहैया कराया जाए. उन्होंने कहा कि जिस तरह से नोटबंदी जैसा कदम बिना सोचे समझे उठाया गया था. उसी तरह से लॉकडाउन भी बिना विचार विमर्श किए लागू किया गया. इस फैसले को लागू करने से पहले संबंधित राज्यों और कंपनियों से बातचीत करनी चाहिए था कि लॉकडाउन की अवधि में फंसे लोगों को उनकी ओर से राहत और मदद पहुंचाई जा सके. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस वजह से बड़े शहरों में अफरातफरी की स्थिति बन गई है. भूखे लोग अपने घर वापस लौटने के लिए परेशान है.

वही कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे ने बताया कि मुंबई, पुणे और महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्से, तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्से से सैकड़ों लोगों ने मदद मांगी है. जिसके बाद विभिन्न माध्यमों से राहत निगरानी समिति की तरफ से उन्हें तत्काल राहत उपलब्ध कराई गई है.

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