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झारखंड विधानसभा स्पीकर रबीन्द्र नाथ महतो की पुस्तक विचारों के ग्यारह अध्याय का विमोचन, जानिए क्या है खास

झारखंड विधानसभा स्पीकर रबीन्द्र नाथ महतो की पुस्तक का विमोचन बुधवार को किया गया. इस पुस्तक में 11 अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में झारखंड और देश से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी है, जो पाठकों के लिए उपयोगी होगी.

Jharkhand Legislative Assembly
झारखंड विधानसभा स्पीकर रबींद्रनाथ महतो की लिखित पुस्तक विचारों के ग्यारह अध्याय का विमोचन
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Published : Mar 23, 2022, 8:10 PM IST

रांचीः झारखंड की संस्कृति, सभ्यता और एतिहासिक राजनीतिक पृष्ठभूमि को टटोलती पुस्तक 'विचारों के ग्यारह अध्याय' का विमोचन बुधवार को झारखंड विधानसभा सभागार में किया गया. यह पुस्तक विधानसभाध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो ने लिखी है, जिसका मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने विमोचन किया है.

यह भी पढ़ेंःसड़क दुर्घटना में जान जाने पर पीड़ित परिवार को मिलेगा चार लाख, सदन में सरकार ने की घोषणा



पुस्तक लोकार्पण समारोह में सत्ता और विपक्ष के विधायक भी मौजूद थे. पुस्तक विमोचन के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि रबींद्र नाथ महतो ने अपनी लेखनी के जरिए कई चीजों को समेटा है, जो सभी के लिए महत्वपूर्ण है. संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि रबींद्र नाथ महतो ने अपनी राजनीतिक जीवन के अनुभव को पुस्तक में बारिकी से चित्रण किया है. निर्दलीय विधायक सरयू राय ने भी विचारों के ग्यारह अध्याय की सराहना करते हुए पुस्तक को बताया है. भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कहा कि विधानसभाध्यन ने अपने अनुभव के आधार पर पुस्तक लिखे हैं, जो तथ्य आधारित हैं. इस पुस्तक के माध्यम से झारखंड को समझने में मदद मिलेगी.

देखें पूरी खबर

विधानसभा स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि व्यस्त जीवन में जब कभी भी मौका मिलेगा, तो अपने अनुभवों को लेखन के जरिए समाज तक पहुंचाएंगे. उन्होंने कहा कि राजनीतिक और सामाजिक जीवन में जो अनुभव प्राप्त किए हैं, उसी को इस पुस्तक के जरिए समाज के बीच लाने की कोशिश की है.


विचारों के ग्यारह अध्याय पुस्तक में सामाजिक, राजनीतिक और संसदीय परंपराओं को दर्शाया गया है. 136 पेज की इस किताब में सबसे पहला अध्याय हूल: भारत का प्रथम जनआंदोलन, दूसरा गांधी की न्यायसिता: विश्व के पुनर्जागरण की नई राह, तीसरे अध्याय में खेत खलियान से विकास की राह, चौथे में समान विद्यालय व्यवस्था: गरीबी शोषण और गैर बराबरी से मुक्ति का मार्ग, पुस्तक के पांचवें अध्याय में जुडिशल रिव्यू इन इंडिया नीड फॉर ए बैलेंसड अप्रोच, छठे अध्याय में भारतीय महिला हॉकी पदक की चूक जज्बे की जीत, सातवें में कोरोना महामारी सहयोग और समन्वय से समाधान, आठवें अध्याय में भारत में संसदीय परंपराओं के सौ साल, नौवें में छोटे राज्यों के गठन की आवश्यकता और औचित्य, दसवें अध्याय में स्वतंत्रता संग्राम में हूल समानांतर सरकार गठन की पहली घटना और अंत में पर्यावरण संरक्षण और झारखंड विषय पर लिखी गई है.

रांचीः झारखंड की संस्कृति, सभ्यता और एतिहासिक राजनीतिक पृष्ठभूमि को टटोलती पुस्तक 'विचारों के ग्यारह अध्याय' का विमोचन बुधवार को झारखंड विधानसभा सभागार में किया गया. यह पुस्तक विधानसभाध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो ने लिखी है, जिसका मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने विमोचन किया है.

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पुस्तक लोकार्पण समारोह में सत्ता और विपक्ष के विधायक भी मौजूद थे. पुस्तक विमोचन के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि रबींद्र नाथ महतो ने अपनी लेखनी के जरिए कई चीजों को समेटा है, जो सभी के लिए महत्वपूर्ण है. संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि रबींद्र नाथ महतो ने अपनी राजनीतिक जीवन के अनुभव को पुस्तक में बारिकी से चित्रण किया है. निर्दलीय विधायक सरयू राय ने भी विचारों के ग्यारह अध्याय की सराहना करते हुए पुस्तक को बताया है. भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कहा कि विधानसभाध्यन ने अपने अनुभव के आधार पर पुस्तक लिखे हैं, जो तथ्य आधारित हैं. इस पुस्तक के माध्यम से झारखंड को समझने में मदद मिलेगी.

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विधानसभा स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि व्यस्त जीवन में जब कभी भी मौका मिलेगा, तो अपने अनुभवों को लेखन के जरिए समाज तक पहुंचाएंगे. उन्होंने कहा कि राजनीतिक और सामाजिक जीवन में जो अनुभव प्राप्त किए हैं, उसी को इस पुस्तक के जरिए समाज के बीच लाने की कोशिश की है.


विचारों के ग्यारह अध्याय पुस्तक में सामाजिक, राजनीतिक और संसदीय परंपराओं को दर्शाया गया है. 136 पेज की इस किताब में सबसे पहला अध्याय हूल: भारत का प्रथम जनआंदोलन, दूसरा गांधी की न्यायसिता: विश्व के पुनर्जागरण की नई राह, तीसरे अध्याय में खेत खलियान से विकास की राह, चौथे में समान विद्यालय व्यवस्था: गरीबी शोषण और गैर बराबरी से मुक्ति का मार्ग, पुस्तक के पांचवें अध्याय में जुडिशल रिव्यू इन इंडिया नीड फॉर ए बैलेंसड अप्रोच, छठे अध्याय में भारतीय महिला हॉकी पदक की चूक जज्बे की जीत, सातवें में कोरोना महामारी सहयोग और समन्वय से समाधान, आठवें अध्याय में भारत में संसदीय परंपराओं के सौ साल, नौवें में छोटे राज्यों के गठन की आवश्यकता और औचित्य, दसवें अध्याय में स्वतंत्रता संग्राम में हूल समानांतर सरकार गठन की पहली घटना और अंत में पर्यावरण संरक्षण और झारखंड विषय पर लिखी गई है.

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