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बैंक्वेट हॉल सील करने के आदेश के खिलाफ सुनवाई, हाई कोर्ट ने पूछा- होल्डिंग नंबर कैसे जारी कर दिया

रांची के बैंक्वेट हॉल सील करने के आदेश के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इसमें हाई कोर्ट ने नगर निगम से कड़े सवाल पूछे-अदालत ने निगम से इन बैंक्वेट हॉल के लिए होल्डिंग नंबर जारी करने का कारण पूछा है. वहीं साहिबगंज के चर्चित रूपा तिर्की मौत मामले में सीबीआई जांच वाली याचिकाओं की सुनवाई जस्टिस एसके द्विवेदी की हो कोर्ट में होगी. चीफ जस्टिस के निर्णय के बाद अटकलों के बादल छंट गए हैं.

Jharkhand High Court Hearing against order of sealing banquet hall in Ranchi
रांची के बैंक्वेट हाल सील करने के आदेश के खिलाफ सुनवाई
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Published : Aug 26, 2021, 9:12 AM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में मान्या पैलेस सहित पांच बैंक्वेट हॉल को रांची नगर निगम की ओर से सील किए जाने के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में रांची नगर निगम से जवाब मांगा है. अदालत ने पूछा है कि, होल्डिंग नंबर कैसे जारी किया गया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी. हालांकि इस दौरान वादियों की ओर से बैंक्वेट हॉल में किसी प्रकार के व्यावसायिक कार्य नहीं करने की अंडर टेकिंग पर अदालत ने रांची नगर निगम की कार्रवाई स्थगित रखने के आदेश की अवधि बढ़ा दी है.

ये भी पढ़ें-अतिक्रमण हटाने के मामले पर सुनवाई, अदालत ने कहा- बरसात में ना तोड़ें गरीबों का घर

इससे पहले इस संबंध में मान्या पैलेस सहित अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिका में कहा था कि रांची नगर निगम की ओर से 22 जून 2021 को एक नोटिस जारी कर मान्या पैलेस सहित पांच बैंक्वेट हॉल को सील करने की बात कही जा रही है, लेकिन वादियों को नोटिस नहीं मिला है. इसके अलावा नोटिस जारी करने में निगम की ओर से बैंक्वेट हॉल रूल-2013 की प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है.

निगम से हाई कोर्ट के कड़े सवाल

इधर, निगम के अधिवक्ता प्रशांत कुमार सिंह ने अदालत को बताया था कि इस मामले में निगम ने नोटिस अखबार में प्रकाशित कराया था. इसके अलावा प्रार्थियों को बैंक्वेट हॉल के लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन में सुधार का पूरा मौका दिया गया था. लेकिन उन्होंने उसमें सुधार नहीं कराया. बैंक्वेट हॉल का लाइसेंस लेने के लिए नक्शा पास होना अनिवार्य है. लेकिन प्रार्थियों की ओर से आवेदन के साथ नक्शा नहीं दिया गया था. इसलिए निगम की ओर से बैंक्वेट हॉल को सील करने की कार्यवाही की जा रही है. वहीं बैंक्वेट हॉल पक्ष के अधिवक्ता ने अदालत को बताया था कि उन्हें नगर निगम की ओर से होल्डिंग नंबर मिला था. जिसके आधार पर बैंक्वेट हाल चल रहे हैं. इस पर अदालत ने नगर निगम से जवाब मांगा है.

रूपा तिर्की केसः जस्टिस एसके द्विवेदी की ही कोर्ट में होगी याचिका पर सुनवाई

रांचीः साहिबगंज की महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की मौत की सीबीआई जांच कराने की मांग वाली याचिका पर गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई होगी. इस मामले की सुनवाई जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में ही होगी. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने यह तय कर दिया है.

ये भी पढ़ें-Rupa Tirkey Case: परिजनों ने राज्यपाल से लगाई CBI जांच की गुहार, बोले-सीएम के निर्णय पर विश्वास नहीं

क्या कहा था महाधिवक्ता ने

पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने जस्टिस एसके द्विवेदी से कहा था कि उन्हें अब इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए. महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 11 अगस्त को मामले की सुनवाई समाप्त होने के बाद प्रार्थी के अधिवक्ता का माइक्रोफोन ऑन रह गया था. वह अपने मुवक्किल से कह रहे थे कि, इस मामले का फैसला उनके पक्ष में आना तय है. दो सौ प्रतिशत इस मामले की सीबीआई जांच तय है. जब प्रार्थी के वकील इस तरह का दावा कर रहे हैं, तो अदालत से आग्रह है कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं करें.

ये भी पढ़ें-रूपा तिर्की केस: परिजनों को हाई कोर्ट ने सुरक्षा मुहैया करने का दिया निर्देश

चीफ जस्टिस को भेजा था मामला

महाधिवक्ता की जिरह के बाद अदालत ने महाधिवक्ता से कहा था कि जो बात आप कह रहे हैं, उसे शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करें. लेकिन महाधिवक्ता ने शपथपत्र दाखिल करने से इंकार कर दिया और कहा कि उनका बयान मौखिक ही पर्याप्त है. इसके बाद अदालत ने महाधिवक्ता के बयान को रिकॉर्ड करते हुए इस मामले को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया. इस दौरान अदालत ने कहा कि एक आम आदमी भी न्यायालय पर सवाल खड़ा करे तो यह न्यायपालिका के गरिमा के अनुरूप नहीं है. जब यह सवाल उठ गया है तो हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को ही निर्धारित करना चाहिए कि इस मामले की सुनवाई कौन कोर्ट करे. लेकिन अब स्पष्ट हो गया है कि जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में ही इस मामले की सुनवाई होगी.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में मान्या पैलेस सहित पांच बैंक्वेट हॉल को रांची नगर निगम की ओर से सील किए जाने के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में रांची नगर निगम से जवाब मांगा है. अदालत ने पूछा है कि, होल्डिंग नंबर कैसे जारी किया गया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी. हालांकि इस दौरान वादियों की ओर से बैंक्वेट हॉल में किसी प्रकार के व्यावसायिक कार्य नहीं करने की अंडर टेकिंग पर अदालत ने रांची नगर निगम की कार्रवाई स्थगित रखने के आदेश की अवधि बढ़ा दी है.

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निगम से हाई कोर्ट के कड़े सवाल

इधर, निगम के अधिवक्ता प्रशांत कुमार सिंह ने अदालत को बताया था कि इस मामले में निगम ने नोटिस अखबार में प्रकाशित कराया था. इसके अलावा प्रार्थियों को बैंक्वेट हॉल के लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन में सुधार का पूरा मौका दिया गया था. लेकिन उन्होंने उसमें सुधार नहीं कराया. बैंक्वेट हॉल का लाइसेंस लेने के लिए नक्शा पास होना अनिवार्य है. लेकिन प्रार्थियों की ओर से आवेदन के साथ नक्शा नहीं दिया गया था. इसलिए निगम की ओर से बैंक्वेट हॉल को सील करने की कार्यवाही की जा रही है. वहीं बैंक्वेट हॉल पक्ष के अधिवक्ता ने अदालत को बताया था कि उन्हें नगर निगम की ओर से होल्डिंग नंबर मिला था. जिसके आधार पर बैंक्वेट हाल चल रहे हैं. इस पर अदालत ने नगर निगम से जवाब मांगा है.

रूपा तिर्की केसः जस्टिस एसके द्विवेदी की ही कोर्ट में होगी याचिका पर सुनवाई

रांचीः साहिबगंज की महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की मौत की सीबीआई जांच कराने की मांग वाली याचिका पर गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई होगी. इस मामले की सुनवाई जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में ही होगी. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने यह तय कर दिया है.

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क्या कहा था महाधिवक्ता ने

पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने जस्टिस एसके द्विवेदी से कहा था कि उन्हें अब इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए. महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 11 अगस्त को मामले की सुनवाई समाप्त होने के बाद प्रार्थी के अधिवक्ता का माइक्रोफोन ऑन रह गया था. वह अपने मुवक्किल से कह रहे थे कि, इस मामले का फैसला उनके पक्ष में आना तय है. दो सौ प्रतिशत इस मामले की सीबीआई जांच तय है. जब प्रार्थी के वकील इस तरह का दावा कर रहे हैं, तो अदालत से आग्रह है कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं करें.

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चीफ जस्टिस को भेजा था मामला

महाधिवक्ता की जिरह के बाद अदालत ने महाधिवक्ता से कहा था कि जो बात आप कह रहे हैं, उसे शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करें. लेकिन महाधिवक्ता ने शपथपत्र दाखिल करने से इंकार कर दिया और कहा कि उनका बयान मौखिक ही पर्याप्त है. इसके बाद अदालत ने महाधिवक्ता के बयान को रिकॉर्ड करते हुए इस मामले को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया. इस दौरान अदालत ने कहा कि एक आम आदमी भी न्यायालय पर सवाल खड़ा करे तो यह न्यायपालिका के गरिमा के अनुरूप नहीं है. जब यह सवाल उठ गया है तो हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को ही निर्धारित करना चाहिए कि इस मामले की सुनवाई कौन कोर्ट करे. लेकिन अब स्पष्ट हो गया है कि जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में ही इस मामले की सुनवाई होगी.

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