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नेत्रहीन रेप पीड़िता को झारखंड हाई कोर्ट ने नहीं दी गर्भपात की इजाजत, सरकार से पूछे मदद के उपाय

19 वर्षीय नेत्रहीन रेप पीड़िता का गर्भपात कराने की मांग वाली याचिका (High Court denies abortion of rape victim) पर मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने गर्भपात की इजाजत देने से इनकार कर दिया. साथ ही सरकार को पीड़िता की मदद देने के उपाय बताने का निर्देश दिया.

Petition seeking abortion of blind rape victim in Jharkhand High Court
नेत्रहीन युवती के गर्भपात की मांग वाली याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई
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Published : Sep 13, 2022, 8:06 PM IST

Updated : Sep 13, 2022, 8:34 PM IST

रांची: 19 वर्षीय नेत्रहीन रेप पीड़िता का गर्भपात कराने की मांग वाली याचिका (High Court denies abortion of rape victim) पर मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court ) में सुनवाई हुई. इस दौरान झारखंड हाई कोर्ट में रिम्स की ओर से जांच रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें हाई कोर्ट ने माना की अब गर्भपात नहीं हो सकता है. साथ ही अदालत ने झारखंड सरकार से पूछा कि पीड़िता को आगे आने वाली कठिनाई से कैसे निजात दिलाई जा सकती है, इस पर सभी पक्ष मिलकर सहमति से निर्णय लें और कोर्ट को उसकी जानकारी दें. अब इस मामले की सुनवाई 14 सितंबर बुधवार को होगी.

ये भी पढ़ें-चिकित्‍सा गर्भपात अधिनियम संशोधन से यौन हिंसा पीड़ितों को मिल सकती है मदद

हाई कोर्ट के न्यायाधीश एसके द्विवेदी की एकल पीठ में 28 हफ्ते के गर्भ के गर्भपात की मांग वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के आदेश के आलोक में रिम्स द्वारा गठित जांच टीम ने रिपोर्ट पेश की. टीम ने अदालत को बताया कि जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि जच्चा और बच्चा दोनों ही ठीक हैं, स्वस्थ हैं. इसलिए अब गर्भपात संभव नहीं है. जिस पर अदालत ने राज्य सरकार से यह बताने को कहा कि पीड़िता को आगे आने वाली कठिनाइयों से मुक्त करने के लिए क्या व्यवस्था की जा सकती है. इस पर सभी पक्षों को मिलकर निर्णय लेने का निर्देश दिया.

अधिवक्ता का बयान

बता दें कि नगड़ी थाना क्षेत्र की नेत्रहीन रेप पीड़िता की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले दिनों मेडिकल जांच कराई गई थी, जिसमें पीड़िता को 28 सप्ताह का गर्भ होने की बात सामने आई थी. इससे पहले 2018 में भी उससे रेप की वारदात हुई थी, उस वक्त वह नाबालिग थी. इससे संबंधित पॉक्सो एक्ट का मामला (POCSO Act case) निचली अदालत में चल रहा है. इस बार वारदात के बाद 28 सप्ताह का गर्भ सामने आने के बाद पीड़िता ने अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाला देते हुए कोर्ट से गर्भपात कराने की गुहार लगाई है. इस संबंध में प्रार्थी के अधिवक्ता ने बताया कि हाई कोर्ट में मामले से संबंधित याचिका दाखिल करने के पूर्व उन्होंने पीड़िता के इलाज के लिए जिले के उपायुक्त और डालसा के समक्ष भी आवेदन दिया था लेकिन इस संबंध में कोई सुनवाई नहीं हुई.


अधिवक्ता ने बताया कि पीड़िता के पिता रिक्शा चालक हैं. जब वह अपने काम पर गए थे और युवती घर पर अकेली थी. इसी दौरान उसके साथ रेप की घटना हुई, उसकी मां का स्वर्गवास हो गया है. वह पिता के साथ अकेले रहती है और उसका परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करता है. उसके घर में न तो बिजली व्यवस्था है और न गैस की व्यवस्था. इलाज के लिए उसके पास पैसे भी नहीं हैं. इधर गर्भवती हो जाने पर उसने हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर गर्भपात की इजाजत मांगी थी.

रांची: 19 वर्षीय नेत्रहीन रेप पीड़िता का गर्भपात कराने की मांग वाली याचिका (High Court denies abortion of rape victim) पर मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court ) में सुनवाई हुई. इस दौरान झारखंड हाई कोर्ट में रिम्स की ओर से जांच रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें हाई कोर्ट ने माना की अब गर्भपात नहीं हो सकता है. साथ ही अदालत ने झारखंड सरकार से पूछा कि पीड़िता को आगे आने वाली कठिनाई से कैसे निजात दिलाई जा सकती है, इस पर सभी पक्ष मिलकर सहमति से निर्णय लें और कोर्ट को उसकी जानकारी दें. अब इस मामले की सुनवाई 14 सितंबर बुधवार को होगी.

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हाई कोर्ट के न्यायाधीश एसके द्विवेदी की एकल पीठ में 28 हफ्ते के गर्भ के गर्भपात की मांग वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के आदेश के आलोक में रिम्स द्वारा गठित जांच टीम ने रिपोर्ट पेश की. टीम ने अदालत को बताया कि जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि जच्चा और बच्चा दोनों ही ठीक हैं, स्वस्थ हैं. इसलिए अब गर्भपात संभव नहीं है. जिस पर अदालत ने राज्य सरकार से यह बताने को कहा कि पीड़िता को आगे आने वाली कठिनाइयों से मुक्त करने के लिए क्या व्यवस्था की जा सकती है. इस पर सभी पक्षों को मिलकर निर्णय लेने का निर्देश दिया.

अधिवक्ता का बयान

बता दें कि नगड़ी थाना क्षेत्र की नेत्रहीन रेप पीड़िता की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले दिनों मेडिकल जांच कराई गई थी, जिसमें पीड़िता को 28 सप्ताह का गर्भ होने की बात सामने आई थी. इससे पहले 2018 में भी उससे रेप की वारदात हुई थी, उस वक्त वह नाबालिग थी. इससे संबंधित पॉक्सो एक्ट का मामला (POCSO Act case) निचली अदालत में चल रहा है. इस बार वारदात के बाद 28 सप्ताह का गर्भ सामने आने के बाद पीड़िता ने अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाला देते हुए कोर्ट से गर्भपात कराने की गुहार लगाई है. इस संबंध में प्रार्थी के अधिवक्ता ने बताया कि हाई कोर्ट में मामले से संबंधित याचिका दाखिल करने के पूर्व उन्होंने पीड़िता के इलाज के लिए जिले के उपायुक्त और डालसा के समक्ष भी आवेदन दिया था लेकिन इस संबंध में कोई सुनवाई नहीं हुई.


अधिवक्ता ने बताया कि पीड़िता के पिता रिक्शा चालक हैं. जब वह अपने काम पर गए थे और युवती घर पर अकेली थी. इसी दौरान उसके साथ रेप की घटना हुई, उसकी मां का स्वर्गवास हो गया है. वह पिता के साथ अकेले रहती है और उसका परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करता है. उसके घर में न तो बिजली व्यवस्था है और न गैस की व्यवस्था. इलाज के लिए उसके पास पैसे भी नहीं हैं. इधर गर्भवती हो जाने पर उसने हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर गर्भपात की इजाजत मांगी थी.

Last Updated : Sep 13, 2022, 8:34 PM IST
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