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Ranchi Contract Health Workers Strike: अनुबंधित नर्सों और पारा मेडिकल कर्मियों की हड़ताल जारी, झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई

एनएचएम अनुबंधित नर्सों और पारा मेडिकल कर्मियों की हड़ताल से झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है. सेवा स्थायीकरण की मांग को लेकर पिछले दिनों से आमरण अनशन पर बैठे स्वास्थ्यकर्मियों ने भले ही अपना अनशन तोड़ दिया है. लेकिन झारखंड अनुबंधित एनएचएम नर्सेस एसोसिएशन के आह्वान पर उनकी हड़ताल 34वें दिन भी जारी है.

Jharkhand health system affected due to contracted medical staff Strike
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Published : Feb 19, 2023, 1:34 PM IST

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रांचीः सेवा स्थायीकरण की मांग को लेकर राज्य भर के साढ़े आठ हजार अनुबंधित नर्सों और पारा मेडिकल कर्मियों की हड़ताल रविवार को 34वें दिन भी जारी है. आंदोलित नर्स और पारा मेडिकलकर्मियों ने साफ शब्दों में कहा कि अपने अनशनकारी साथियों की लगातार खराब होती स्थिति और सरकार की संवेदनहीनता की वजह से सिर्फ अनशन समाप्त किया है. लेकिन मांगें पूरी होने तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी है.

इसे भी पढ़ें- Ranchi Contract Health Workers Strike: स्वास्थ्य संयुक्त सचिव ने जूस पिलाकर खत्म कराया अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों का अनशन, जारी रहेगी हड़ताल

झारखंड अनुबंधित एनएचएम नर्सेस एसोसिएशन की संयुक्त सचिव और दुमका के जिला अध्यक्ष विनीता कुमारी ने कहा कि लगातार उनके अनशनकारी साथियों की तबीयत बिगड़ते जा रही थी. 21 अनशनकारियों में ज्यादातर साथी अस्पताल में भर्ती कराए जा चुके थे. देवघर की एनएचएम नर्स शिवरानी को एम्स दिल्ली में भर्ती कराना पड़ा है. तीन सप्ताह से अधिक समय के आमरण अनशन के बावजूद सरकार और स्वास्थ्य महकमा संवेदनहीन बने हुए थे. इसलिए उन्होंने अपने आमरण अनशन को समाप्त किया लेकिन नियमितीकरण का लिखित आश्वासन मिलने तक उनका आंदोलन चलता रहेगा.

एमडीए और अन्य अभियान पर बुरा असरः अनुबंधित एनएचएम कर्मियों के स्थायीकरण के लिए जारी हड़ताल का व्यापक असर स्वास्थ्य सेवाओं और सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं पर पड़ने का दावा झारखंड अनुबंधित नर्सेस एसोसिएशन ने किया है. संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि हाल ही में सरकार ने फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीएम अभियान चलाया. लेकिन हड़ताल का असर यह रहा कि इस अभियान के तहत सिर्फ 15-20 फीसदी लोगों को ही दवा पिलाई गयी जबकि यह आंकड़ा पहले 90 प्रतिशत से ऊपर रहता था. आंदोलनकारी नर्सों ने कहा कि यही हाल राज्य में कुपोषण उपचार केंद्रों, टीकाकरण केंद्रों, हेल्थ वेलनेस सेंटर, टीबी, कालाजार, कुष्ठ उन्मूलन जैसे राष्ट्रीय अभियानों की भी है.

स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी होने के लिए स्वास्थ्य विभाग और मंत्री जिम्मेदार- विनीताः झारखंड स्टेट अनुबंधित नर्सेस एंड पारा मेडिकल एसोसिएशन की संयुक्त सचिव विनीता ने कहा कि राज्य में हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह बेपटरी है. स्वास्थ्य महकमा आउट सोर्सिंग और नर्सिग स्टाफ के भरोसे व्यवस्था को दुरुस्त बनाये रखने का झूठा दावा कर रही है. उन्होंने कहा कि हकीकत यह कि राज्य में स्वास्थ्य सेवा ध्वस्त हो गयी है और सरकार अपने ही वादे पर चुप्पी साधे बैठी है.

वादा खिलाफी कर रही हेमंत सरकारः आंदोलित स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि अनुबंध शब्द इस राज्य पर कलंक जैसा है, इसे समाप्त किया जाएगा. लेकिन आज तीन साल से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी उनके साथ अनुबंध शब्द जुड़ा हुआ है. अब राज्य भर के आंदोलित अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों ने 'अभी करो, अर्जेंट करो, सबको परमानेंट करो' के नारे के साथ मांग पूरी होने थक हड़ताल जारी रखने का फैसला किया है. इस दौरान रांची में नर्सों की हड़ताल और राजभवन के समक्ष धरना भी जारी रहेगा.

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रांचीः सेवा स्थायीकरण की मांग को लेकर राज्य भर के साढ़े आठ हजार अनुबंधित नर्सों और पारा मेडिकल कर्मियों की हड़ताल रविवार को 34वें दिन भी जारी है. आंदोलित नर्स और पारा मेडिकलकर्मियों ने साफ शब्दों में कहा कि अपने अनशनकारी साथियों की लगातार खराब होती स्थिति और सरकार की संवेदनहीनता की वजह से सिर्फ अनशन समाप्त किया है. लेकिन मांगें पूरी होने तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी है.

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झारखंड अनुबंधित एनएचएम नर्सेस एसोसिएशन की संयुक्त सचिव और दुमका के जिला अध्यक्ष विनीता कुमारी ने कहा कि लगातार उनके अनशनकारी साथियों की तबीयत बिगड़ते जा रही थी. 21 अनशनकारियों में ज्यादातर साथी अस्पताल में भर्ती कराए जा चुके थे. देवघर की एनएचएम नर्स शिवरानी को एम्स दिल्ली में भर्ती कराना पड़ा है. तीन सप्ताह से अधिक समय के आमरण अनशन के बावजूद सरकार और स्वास्थ्य महकमा संवेदनहीन बने हुए थे. इसलिए उन्होंने अपने आमरण अनशन को समाप्त किया लेकिन नियमितीकरण का लिखित आश्वासन मिलने तक उनका आंदोलन चलता रहेगा.

एमडीए और अन्य अभियान पर बुरा असरः अनुबंधित एनएचएम कर्मियों के स्थायीकरण के लिए जारी हड़ताल का व्यापक असर स्वास्थ्य सेवाओं और सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं पर पड़ने का दावा झारखंड अनुबंधित नर्सेस एसोसिएशन ने किया है. संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि हाल ही में सरकार ने फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीएम अभियान चलाया. लेकिन हड़ताल का असर यह रहा कि इस अभियान के तहत सिर्फ 15-20 फीसदी लोगों को ही दवा पिलाई गयी जबकि यह आंकड़ा पहले 90 प्रतिशत से ऊपर रहता था. आंदोलनकारी नर्सों ने कहा कि यही हाल राज्य में कुपोषण उपचार केंद्रों, टीकाकरण केंद्रों, हेल्थ वेलनेस सेंटर, टीबी, कालाजार, कुष्ठ उन्मूलन जैसे राष्ट्रीय अभियानों की भी है.

स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी होने के लिए स्वास्थ्य विभाग और मंत्री जिम्मेदार- विनीताः झारखंड स्टेट अनुबंधित नर्सेस एंड पारा मेडिकल एसोसिएशन की संयुक्त सचिव विनीता ने कहा कि राज्य में हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह बेपटरी है. स्वास्थ्य महकमा आउट सोर्सिंग और नर्सिग स्टाफ के भरोसे व्यवस्था को दुरुस्त बनाये रखने का झूठा दावा कर रही है. उन्होंने कहा कि हकीकत यह कि राज्य में स्वास्थ्य सेवा ध्वस्त हो गयी है और सरकार अपने ही वादे पर चुप्पी साधे बैठी है.

वादा खिलाफी कर रही हेमंत सरकारः आंदोलित स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि अनुबंध शब्द इस राज्य पर कलंक जैसा है, इसे समाप्त किया जाएगा. लेकिन आज तीन साल से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी उनके साथ अनुबंध शब्द जुड़ा हुआ है. अब राज्य भर के आंदोलित अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों ने 'अभी करो, अर्जेंट करो, सबको परमानेंट करो' के नारे के साथ मांग पूरी होने थक हड़ताल जारी रखने का फैसला किया है. इस दौरान रांची में नर्सों की हड़ताल और राजभवन के समक्ष धरना भी जारी रहेगा.

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