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एक ऐसा हेलीपैड, जो नक्सलियों के लिए काल और झारखंड पुलिस के लिए साबित हुआ वरदान! - CHAK HELIPAD

झारखंड में अब नक्सलवाद खात्मे की ओर से है. इसमें सुरक्षा बलों बड़ा योगदान है साथ ही एक ऐसे स्थल की भी अहम भूमिका है.

Why Chak helipad of Palamu district historical for Jharkhand Police
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 14, 2025, 3:36 PM IST

पलामूः झारखंड में नक्सलियों के कमजोर होने में कई कहानी है. नक्सल विरोधी अभियान में कुछ ऐसी चीज भी तैयार हुई जो झारखंड पुलिस के लिए धरोहर बन गई. ऐसे ही धरोहर में शामिल है पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के चक में मौजूद पुलिस का हेलीपैड.

यह हेलीपैड झारखंड का पलामू चतरा एवं बिहार के गया के चिकन नेक पर मौजूद है. चक में झारखंड पुलिस का पिकेट है और पिकेट के बगल में ही हेलीपैड मौजूद है. चक के हेलीपैड से नक्सलियों के खिलाफ सैकड़ों अभियान चलाए गए और उनके खिलाफ रणनीति तय की गई. ईटीवी भारत संवाददाता नीरज कुमार ने जायजा लिया चक हेलीपैड का.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः चक हेलीपैड के बारे में रोचक जानकारी देते संवाददाता नीरज कुमार (ETV Bharat)

नक्सलियों के गढ़ में पहली बार बना हेलीपैड

2007-08 का वह दौर जब नक्सल हिंसा चरम पर थी और माओवादियों का साम्राज्य चला करता था. उस दौर में झारखंड-बिहार सीमा पर किसी भी इलाके में पुलिस एवं सुरक्षा बलों को अपनी पहुंच बनाना एक बड़ी चुनौती थी. इस चुनौती से पार पाते हुए झारखंड की पुलिस ने मनातू के चक में पिकेट की स्थापना की और हेलीपैड बनाया.

नक्सलियों के गढ़ में तैयार हुआ यह पहला पक्का हेलीपैड था. शुरुआत में इस हेलीपैड को सुरक्षा के दृष्टिकोण से तैयार किया गया था ताकि आपातकालीन स्थिति में जवानों की मदद की जा सके. लेकिन बाद में इस हेलीपैड के माध्यम से झारखंड-बिहार सीमावर्ती इलाकों में नक्सल विरोधी अभियान चलाया गया.

हेलीपैड पर उतर चुके हैं पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और केंद्रीय गृह सचिव

चक हेलीपैड पर देश के तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज सिंह पाटिल और बाद में गृह सचिव आरके सिंह उतर चुके है. केंद्रीय गृह मंत्री और केंद्रीय गृह सचिव ने उस दौरान नक्सल विरोधी अभियान में तैनात जवानों का हौसला बढ़ाया था और इसकी समीक्षा भी की थी. चक पिकेट से झारखंड-बिहार सीमा पर नक्सल विरोधी अभियान की समीक्षा की जाती, समीक्षा के लिए अधिकारी चक हेलीपैड पर ही उतरा करते थे.

Why Chak helipad of Palamu district historical for Jharkhand Police
पलामू का चक हेलीपैड (ETV Bharat)

पहली बार चक में हेलीकॉप्टर से गए थे मतदान कर्मी

2009 के बाद से लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल शुरू हुआ. इस दौरान पलामू के चक में पहली बार मतदान कर्मी हेलीकॉप्टर से पहुंचाए और लाए गये थे. 2019 के विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव तक चक हेलीपैड पर ही मतदान कर्मी उतरते थे और वोटिंग करवाते थे. चक हेलीपैड की सुरक्षा की जनवरी से आईआरबी के जवानों पर है.

"नक्सल उन्मूलन में चक हेलीपैड की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. चुनाव के दौरान चक हेलीपैड से ही मतदान करने इलाके में वोटिंग के लिए जाते थे. कई बार अभियान में हुए जवानों को मदद पहुंचाने और नक्सल विरोधी अभियान की समीक्षा में हेलीपैड की भूमिका रही है. आज नक्सली बेहद कमजोर हो गए हैं और हेलीपैड गतिविधि भी कम हुई है. यह पिकेट से सटा हुआ है. चक हेलीपैड पुलिस के लिए ऐतिहासिक और हम सबके लिए ये एक धरोहर है". -रीष्मा रमेशन, एसपी पलामू.

माओवादियों के लिए भी महत्वपूर्ण था चक

प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के झारखंड-छत्तीसगढ़ रेड कॉरिडोर में चक एक बड़ा पड़ाव था. चक से ही माओवादी बिहार से झारखंड से होते हुए छत्तीसगढ़ जाते थे. चक पर सुरक्षा बलों का कब्जा होने के बाद माओवादियों को अपने रास्ते को बदलना पड़ा. झारखंड बिहार सीमावर्ती इलाके में चक माओवादियों का यूनिफाइड कमांड की तरह था. चक में पुलिस की मौजूदगी के बाद माओवादियों ने बिहार के छकरबंधा के इलाके में अपना यूनिफाइड कमांड बनाया था. चक में पिकेट और हेलीपैड बनने के बाद माओवादीयों ने कई बार हमला भी किया था.

इसे भी पढ़ें- Naxalites in Palamu: विस्फोटों के बाद भी नहीं टूटा चक हाई स्कूल के बच्चों का हौसला, कलम की ताकत से नक्सलियों के मंसूबे को रौंदा

इसे भी पढे़ं- पलामू के चक से लैंड माइंस बरामद, सुरक्षाबलों ने विस्फोट कर किया नष्ट

इसे भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2024ः इंटरस्टेट बॉर्डर पर 24 घंटे हो रही है निगरानी, एक एक वाहन की हो रही तलाशी - Lok Sabha election 2024

पलामूः झारखंड में नक्सलियों के कमजोर होने में कई कहानी है. नक्सल विरोधी अभियान में कुछ ऐसी चीज भी तैयार हुई जो झारखंड पुलिस के लिए धरोहर बन गई. ऐसे ही धरोहर में शामिल है पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के चक में मौजूद पुलिस का हेलीपैड.

यह हेलीपैड झारखंड का पलामू चतरा एवं बिहार के गया के चिकन नेक पर मौजूद है. चक में झारखंड पुलिस का पिकेट है और पिकेट के बगल में ही हेलीपैड मौजूद है. चक के हेलीपैड से नक्सलियों के खिलाफ सैकड़ों अभियान चलाए गए और उनके खिलाफ रणनीति तय की गई. ईटीवी भारत संवाददाता नीरज कुमार ने जायजा लिया चक हेलीपैड का.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः चक हेलीपैड के बारे में रोचक जानकारी देते संवाददाता नीरज कुमार (ETV Bharat)

नक्सलियों के गढ़ में पहली बार बना हेलीपैड

2007-08 का वह दौर जब नक्सल हिंसा चरम पर थी और माओवादियों का साम्राज्य चला करता था. उस दौर में झारखंड-बिहार सीमा पर किसी भी इलाके में पुलिस एवं सुरक्षा बलों को अपनी पहुंच बनाना एक बड़ी चुनौती थी. इस चुनौती से पार पाते हुए झारखंड की पुलिस ने मनातू के चक में पिकेट की स्थापना की और हेलीपैड बनाया.

नक्सलियों के गढ़ में तैयार हुआ यह पहला पक्का हेलीपैड था. शुरुआत में इस हेलीपैड को सुरक्षा के दृष्टिकोण से तैयार किया गया था ताकि आपातकालीन स्थिति में जवानों की मदद की जा सके. लेकिन बाद में इस हेलीपैड के माध्यम से झारखंड-बिहार सीमावर्ती इलाकों में नक्सल विरोधी अभियान चलाया गया.

हेलीपैड पर उतर चुके हैं पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और केंद्रीय गृह सचिव

चक हेलीपैड पर देश के तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज सिंह पाटिल और बाद में गृह सचिव आरके सिंह उतर चुके है. केंद्रीय गृह मंत्री और केंद्रीय गृह सचिव ने उस दौरान नक्सल विरोधी अभियान में तैनात जवानों का हौसला बढ़ाया था और इसकी समीक्षा भी की थी. चक पिकेट से झारखंड-बिहार सीमा पर नक्सल विरोधी अभियान की समीक्षा की जाती, समीक्षा के लिए अधिकारी चक हेलीपैड पर ही उतरा करते थे.

Why Chak helipad of Palamu district historical for Jharkhand Police
पलामू का चक हेलीपैड (ETV Bharat)

पहली बार चक में हेलीकॉप्टर से गए थे मतदान कर्मी

2009 के बाद से लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल शुरू हुआ. इस दौरान पलामू के चक में पहली बार मतदान कर्मी हेलीकॉप्टर से पहुंचाए और लाए गये थे. 2019 के विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव तक चक हेलीपैड पर ही मतदान कर्मी उतरते थे और वोटिंग करवाते थे. चक हेलीपैड की सुरक्षा की जनवरी से आईआरबी के जवानों पर है.

"नक्सल उन्मूलन में चक हेलीपैड की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. चुनाव के दौरान चक हेलीपैड से ही मतदान करने इलाके में वोटिंग के लिए जाते थे. कई बार अभियान में हुए जवानों को मदद पहुंचाने और नक्सल विरोधी अभियान की समीक्षा में हेलीपैड की भूमिका रही है. आज नक्सली बेहद कमजोर हो गए हैं और हेलीपैड गतिविधि भी कम हुई है. यह पिकेट से सटा हुआ है. चक हेलीपैड पुलिस के लिए ऐतिहासिक और हम सबके लिए ये एक धरोहर है". -रीष्मा रमेशन, एसपी पलामू.

माओवादियों के लिए भी महत्वपूर्ण था चक

प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के झारखंड-छत्तीसगढ़ रेड कॉरिडोर में चक एक बड़ा पड़ाव था. चक से ही माओवादी बिहार से झारखंड से होते हुए छत्तीसगढ़ जाते थे. चक पर सुरक्षा बलों का कब्जा होने के बाद माओवादियों को अपने रास्ते को बदलना पड़ा. झारखंड बिहार सीमावर्ती इलाके में चक माओवादियों का यूनिफाइड कमांड की तरह था. चक में पुलिस की मौजूदगी के बाद माओवादियों ने बिहार के छकरबंधा के इलाके में अपना यूनिफाइड कमांड बनाया था. चक में पिकेट और हेलीपैड बनने के बाद माओवादीयों ने कई बार हमला भी किया था.

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