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कर्मिशयल माइनिंग के खिलाफ झारखंड सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका स्थगित, कोर्ट ने दिए ये निर्देश

कोल ब्लॉक की नीलामी के खिलाफ झारखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई फिलहाल टल गई है. मामले की सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी. राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा.

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Published : Jul 6, 2020, 2:41 PM IST

Updated : Jul 6, 2020, 3:02 PM IST

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

रांचीः सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के बीच कोयला खदानों की नीलामी के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए झारखंड सरकार याचिका को स्थगित कर दिया है और मामले को एक सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

इस मामले को एक सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. 18 जून को पीएम मोदी ने देश के 41 कोल ब्लॉक की नीलमी की घोषणा की थी. इसमें झारखंड की भी कोयला खदानें शामिल हैं. केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ देश भर में अनेक मजदूर संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया.

ऐसा कहा जा रहा है कि कमर्शियल माइनिंग से देश में अगले पांच से सात साल में 33,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश की उम्मीद है. केंद्र के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने इस पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.

झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई वाली सरकार का तर्क है कि इसमें नियमों की अनदेखी की गई है और नीलामी से कोयला खनन गतिविधियों और आदिवासी आबादी का शोषण होगा.

यह भी पढ़ेंःविशेष : पीएम मोदी की लद्दाख यात्रा का सैन्य और राजनयिक स्तर पर महत्व

इसके अलावा, राज्य सरकार का दावा है कि कोविड के कारण वर्तमान परिस्थितियों में यह संभव नहीं है कि कोयला खदान के लिए उचित मात्रा में उत्पन्न होगा. याचिका में कोविड-19 के कारण प्रचलित नेगेटिव ग्लोबल इनवेस्टमेंट क्लाइमेट को लेकर भी सवाल उठाए गए.

साथ ही झारखंड सरकार ने खनिज कानून संशोधन अधिनियम, 2020 के तहत केन्द्र के निर्णय की वैधता को भी चुनौती दी है.

इस संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी झारखंड सरकार की ओर से पैरवी करते हुए कहा कि याचिका के साथ-साथ सरकार ने ओएस भी दायर किया है जिसे याचिका पर एक साथ सुना जाएगा.

रांचीः सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के बीच कोयला खदानों की नीलामी के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए झारखंड सरकार याचिका को स्थगित कर दिया है और मामले को एक सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

इस मामले को एक सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. 18 जून को पीएम मोदी ने देश के 41 कोल ब्लॉक की नीलमी की घोषणा की थी. इसमें झारखंड की भी कोयला खदानें शामिल हैं. केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ देश भर में अनेक मजदूर संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया.

ऐसा कहा जा रहा है कि कमर्शियल माइनिंग से देश में अगले पांच से सात साल में 33,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश की उम्मीद है. केंद्र के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने इस पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.

झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई वाली सरकार का तर्क है कि इसमें नियमों की अनदेखी की गई है और नीलामी से कोयला खनन गतिविधियों और आदिवासी आबादी का शोषण होगा.

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इसके अलावा, राज्य सरकार का दावा है कि कोविड के कारण वर्तमान परिस्थितियों में यह संभव नहीं है कि कोयला खदान के लिए उचित मात्रा में उत्पन्न होगा. याचिका में कोविड-19 के कारण प्रचलित नेगेटिव ग्लोबल इनवेस्टमेंट क्लाइमेट को लेकर भी सवाल उठाए गए.

साथ ही झारखंड सरकार ने खनिज कानून संशोधन अधिनियम, 2020 के तहत केन्द्र के निर्णय की वैधता को भी चुनौती दी है.

इस संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी झारखंड सरकार की ओर से पैरवी करते हुए कहा कि याचिका के साथ-साथ सरकार ने ओएस भी दायर किया है जिसे याचिका पर एक साथ सुना जाएगा.

Last Updated : Jul 6, 2020, 3:02 PM IST
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