रांची: झारखंड के राजनीतिक गलियारे में एक गीत खूब गुनगुनाया जा रहा है. दुनिया वाले पूछेंगे, मुलाकात हुई, क्या बात हुई. बात ही कुछ ऐसी है. हजारीबाग के मेरु कैंप में बीएसएफ के स्थापना दिवस कार्यक्रम के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई है. दोनों नेताओं के बीच करीब 20 से 25 मिनट तक बातचीत हुई है.
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आज हजारीबाग में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री आदरणीय श्री @AmitShah जी के साथ महत्वपूर्ण राजनीतिक, सांगठनिक विषयों तथा झारखंड राज्य के विकास संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई l pic.twitter.com/Wa81dxkIhv
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लिहाजा, भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह से मुलाकात पर कयासों का दौर शुरु हो चुका है. प्रदेश भाजपा में एक ही चर्चा है कि "के रही, के ना रही". इसकी वजह है नई प्रदेश कार्यसमिति का अब तक गठन नहीं हो पाना. दरअसल, बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाले करीब पांच माह गुजर चुके हैं. लेकिन अभी तक कार्यसमिति की घोषणा नहीं हुई है. पिछले माह जोर शोर से चर्चा उठी थी कि बाबूलाल मरांडी, संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह और प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी के बीच इसको लेकर मंथन हुआ है. लेकिन लिस्ट अबतक सामने नहीं आई.
खास बात है कि कर्मवीर सिंह को भी संगठन मंत्री के रुप में कार्यभार संभाले करीब एक साल हो चुका है. इसके बावजूद अभी तक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश वाली कमेटी से ही काम चलाया जा रहा है. हालांकि रघुवर दास को राज्यपाल बनाकर पार्टी से अलग करने और अमर बाउरी को नेता प्रतिपक्ष बनाकर भाजपा ने संकेत दे दिया है कि कार्यसमिति में किसकी चलेगी और इसकी सूरत कैसी होगी. इसमें कास्ट इक्वेशन खासकर ओबीसी से आदित्य साहू और सामान्य वर्ग से अनंत ओझा और रणधीर सिंह को विशेष तवज्जो दी जा सकती है. वैसे प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालते ही बाबूलाल मरांडी ने संकल्प यात्रा के जरिए अपने जेवीएम वाले कैडर को भाजपा कैडर के साथ तालमेल बिठाने में बड़ी भूमिका निभाई है. लेकिन नतीजों पर पहुंचने में लगातार विलंब हो रहा है.
अब सवाल कि आखिर कार्यसमिति के गठन में विलंब क्यों हो रहा है. बाबूलाल मरांडी की अमित शाह से आखिर क्या बात हुई होगी. वरिष्ठ पत्रकार चंदन मिश्रा का मानना है कि विलंब के पीछे कई कारण दिख रहे हैं. हाल में राज्यों में हुए चुनाव के दौरान नेताओं की व्यस्तता एक बड़ी वजह मानी जा सकती है. एक और खास बात है कि भाजपा ऐसे कामों को अमलीजामा पहनाने में जल्दबाजी नहीं दिखाती है. इसके लिए बारीकी से मंथन होता है. आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव को भी देखा जाता है. केंद्रीय नेतृत्व के गाइडलाइन को भी फॉलो करना होता है. लेकिन यह बात सही है कि इतना विलंब नहीं होना चाहिए. संभव है कि दिसंबर तक कार्यसमिति बन जानी चाहिए. जहां तक अमित शाह से मुलाकात की बात है तो वह पार्टी के बड़े नेता हैं. लिहाजा, बाबूलाल मरांडी ने उनको झारखंड की राजनीतिक स्थिति से अवगत कराया होगा. झारखंड में माइनिंग और जमीन घोटाला से जुड़े कई मामले चल रहे हैं. कुछ मामले हाईकोर्ट में भी हैं. लेकिन ईडी की धीमी कार्रवाई पर जरुर चर्चा हुई होगी.
हर तीन माह में होनी चाहिए कार्यकारिणी की बैठक: खास बात है कि पार्टी के संविधान और नियम के मुताबिक हर तीन माह पर कार्यकारिणी की बैठक करने का प्रावधान है. लेकिन झारखंड में पूर्व भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश के नेतृत्व में जनवरी माह में कार्यकारिणी की बैठक हुई थी. पार्टी नियम के तहत झारखंड को श्रेणी-2 के प्रदेश में रखा गया है. इसके तहत कार्यकारिणी में अध्यक्ष के अलावा अधिक से अधिक 90 सदस्य होंगे. इनमें 30 महिलाएं और सात लोग एसटी और एससी वर्ग के होंगे. इसमें अधिक से अधिक 8 उपाध्यक्ष, तीन महामंत्री, एक महामंत्री संगठन और एक कोषाध्यक्ष होंगे. पदाधिकारियों में कम से कम 7 महिलाएं और तीन एसटी-एससी वर्ग के लोग होंगे. प्रदेश अध्यक्ष अपनी कार्यसमिति में कम से कम 25 प्रतिशत नये सदस्यों को जगह देंगे.
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