रांचीः झारखंड में कृषि विभाग के द्वारा संचालित बागवानी मिशन योजना में किसानों को वर्ष 2016 से 2022 तक अनुदान पर मिलने वाले प्रिजर्वेशन यूनिट में कथित घोटाले की जांच वित्त विभाग स्पेशल ऑडिट के माध्यम से करवाएगा. राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने ईटीवी भारत को यह जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 से ही लगातार बागवानी मिशन के तहत लाभुक किसानों को एक लाख रुपए अनुदान पर दो लाख रुपए के प्रिजर्वेटिव यूनिट देने की योजना थी, ताकि लाभुक किसान अपने बागवानी से उत्पादित फल, सब्जियों को अधिक दिनों तक सुरक्षित और संरक्षित रख सकें, लेकिन आरोप यह है कि इस योजना के तहत दो लाख की प्रिजर्वेशन यूनिट की जगह घटिया क्वालिटी 25 -30 हजार का प्रिजर्वेशन यूनिट किसानों को दे दिया गया और उसके लिए किसानों की ओर से ली जाने वाली राशि भी नहीं ली गई. ऐसे में इस योजना के संचालन में गड़बड़ी की बात सामने आने के बाद इसके पीछे के जिम्मेवार लोगों का पता लगाने और पूरे मामले में कैसे नियमों की अवहेलना की गई इसका पता लगाने के लिए वित्त विभाग ने बागवानी मिशन के कार्यकलापों की स्पेशल ऑडिट कराने का फैसला लिया है.
स्पेशल ऑडिट के बाद गड़बड़ी की मिलेगी सही जानकारीः इस संबंध में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि स्पेशल ऑडिट के बाद आई रिपोर्ट से ही पता लग सकता है कि कैसे और कितने की गड़बड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत अब तक करीब 18 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, भले ही 18 करोड़ बड़ी रकम नहीं दिखे, लेकिन ऐसी गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए. इसलिए उन्होंने स्पेशल ऑडिट कराने का फैसला लिया है.
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत 17 जिलों में योजनाएं चल रही हैंः झारखंड हॉर्टिकल्चर पी मिशन के तहत वर्ष 2016-17 से वर्ष 2021-22 तक किसानों को दिए गए प्रिजर्वेशन यूनिट में गड़बड़ी की जांच के लिए वित्त विभाग स्पेशल ऑडिट कराएगा. राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत 17 जिलों में योजनाएं चल रही हैं, बाकी के सात जिलों में जहां राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत योजनाएं नहीं चल रही हैं वहां राज्य सरकार अपने खर्च पर हॉर्टिकल्चर डेवलपमेंट के लिए कई स्कीम चलाते रहती है. उन्हीं सात जिलों में से रांची और खूंटी को छोड़कर पांच जिलों में वर्ष 2016-17 से एक योजना चलाई गई.
किसानों से बिना एक रुपए लिए ही प्रिजर्वेशन यूनिट दे दिया गयाः योजना के तहत किसानों को उद्यान यानी बागवानी से उत्पादित मसाले, सब्जियों, फलों को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए प्रिजर्वेशन इकाई देने की योजना शुरू की गई है. इस योजना के तहत प्रति यूनिट दो लाख रुपए खर्च करने थे, जिसमें से एक लाख रुपए किसानों को देना था और बाकी एक लाख किसानों को मिलने वाली अनुदानित राशि थी, जिसे सरकार वहन करती. इस स्कीम के तहत पांच जिले बोकारो, गढ़वा, गिरिडीह, गोड्डा और कोडरमा जिले के किसानों से एक लाख तो क्या बिना एक रुपए लिए ही प्रिजर्वेशन यूनिट दे दी गई, लेकिन यह यूनिट घटिया किस्म की थी और इसकी कीमत भी 25-30 हजार रुपए से अधिक नहीं थी.
साल डेढ़ साल में ही खराब हो गई प्रिजर्वेशन यूनिटः वर्ष 2016-17, 2017-18 में 243 यूनिट प्रिजर्वेशन यूनिट बांटी गई, 2018-19 में 93 और 2019-20 में 36 प्रिजर्वेशन यूनिट लाभुकों के बीच बांटी गई. घटिया किस्म के होने की वजह से ज्यादातर प्रिजर्वेशन यूनिट साल डेढ़ साल में ही खराब हो गई. बागवानी मिशन तहत किसानों को मिलने वाले प्रिजर्वेशन यूनिट वितरण में कथित गड़बड़ी की जांच कृषि विभाग अपने स्तर पर करवा रहा है. अब वित्त विभाग ने स्पेशल ऑडिट कर गड़बड़ी करने वालों को बेपर्दा करने और उन्हें दंडित करने का मन बना लिया है.