ETV Bharat / state

Water Pollution: जल प्रदूषण को लेकर कांके के अस्पताल की पहल, मशीन से गंदा पानी साफ कर करते हैं इस्तेमाल

वैसे तो नियम है कि अस्पताल से निकलने वाले गंदे पानी को साफ करके नालों और तालाब में छोड़ा जाए. जिससे सिंचाई के काम के साथ साथ ग्राउंड वाटर रिजार्च भी हो जाए. लेकिन राजधानी के विभिन्न अस्पतालों से निकलने वाला गंदा पानी प्रदूषण फैला रहा है. लेकिन कांके के एक अस्पताल की पहल ने दूसरों के लिए एक मिसाल पेश की है.

Dirty water coming out of various hospitals spreading pollution In Ranchi
डिजाइन इमेज
author img

By

Published : Jul 18, 2023, 12:01 PM IST

Updated : Jul 18, 2023, 12:17 PM IST

देखें पूरी खबर

रांची: मरीजों के इलाज के दौरान अस्पताल में ऑपेरशन थियेटर से लेकर पैथोलॉजिकल लैब, ब्लड बैंक एवं अन्य जगहों पर पानी का काफी मात्रा में इस्तेमाल होता है. इस्तेमाल के बाद यह पानी गंदा हो जाता है. नियम कहता है कि चिकित्सा के दौरान इस्तेमाल किये पानी को सीधे नाले में नहीं गिराया जा सकता बल्कि अस्पताल में पहले उस गंदे पानी की सफाई जरूरी है.

इसे भी पढ़ें- जयंती सरोवर बना मछलियों का कब्रगाह! जांच में जुटी जुस्को की मेडिकल टीम

इस नियम के बावजूद राजधानी रांची सहित राज्य भर में ज्यादातर छोटे और मझौले किस्म के अस्पताल ऐसे हैं जो अस्पतालों के वार्ड, ऑपेरशन थियटर, पैथोलॉजिकल लैब एवं अन्य जगहों से निकलने वाले गंदा पानी को सीधे नाले में गिरा देते हैं. ये गंदा पानी नाले से नदियों में होते हुए जलाशयों तक पहुंचत कर जल प्रदूषण की समस्या को गंभीर बना रहे हैं बल्कि कई खतरनाक बीमारियों को भी आमंत्रित कर रहे हैं.

कांके के अस्पताल की अच्छी पहलः अस्पताल से निकलने वाले गंदे पानी को साफ कर उसका सदुपयोग करने के लिए कांके प्रखंड के एक अस्पताल ने बेहतरीन और प्रशंसनीय कार्य किया है. अस्पताल से निकलने वाले गंदे पानी को अस्पताल में ही साफ करने की मशीन लगाई है. इससे जो पानी साफ होकर निकलता है उससे पेड़ पौधों की सिंचाई की जाती जाती है. इससे बचे पानी को शॉकपिट के माध्यम से ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिये धरती के अंदर पहुंचा दिया जाता है.

रांची विश्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञान के प्रोफेसर डॉ नीतीश प्रियदर्शी कहते हैं कि अस्पतालों से निकलने वाला गंदा पानी बेहद खतरनाक होता है, उसका ट्रीटमेंट करना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि मेडिकल वेस्टेज और वाटर कई तरह से नुकसानदेह है, इसलिए उसका निस्तारण जरूरी है. वहीं आईएमए रांची के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शंभूनाथ कहते हैं कि आईएमए लगातार राज्य में स्वास्थ्य सेवा में आगे अस्पताल और नर्सिंग होम संचालकों से अपील करता रहा है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए जरूरी उपकरण जरूर अस्पताल में होना चाहिए.

अस्पतालों से निकलने वाले गंदे पदार्थ और पानी के उचित निस्तारण के लिए नियम और कानून बने हुए हैं. लेकिन उसे गंभीरता से पालन करवाने के लिए न झारखंड राज्य प्रदूषण बोर्ड गंभीर दिखता है और न ही सरकार या स्वास्थ्य विभाग. ऐसे में कोई भी अस्पताल जब गंदे पानी को साफ कर उसका इस्तेमाल हरियाली और ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिए करता है तो उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए.

देखें पूरी खबर

रांची: मरीजों के इलाज के दौरान अस्पताल में ऑपेरशन थियेटर से लेकर पैथोलॉजिकल लैब, ब्लड बैंक एवं अन्य जगहों पर पानी का काफी मात्रा में इस्तेमाल होता है. इस्तेमाल के बाद यह पानी गंदा हो जाता है. नियम कहता है कि चिकित्सा के दौरान इस्तेमाल किये पानी को सीधे नाले में नहीं गिराया जा सकता बल्कि अस्पताल में पहले उस गंदे पानी की सफाई जरूरी है.

इसे भी पढ़ें- जयंती सरोवर बना मछलियों का कब्रगाह! जांच में जुटी जुस्को की मेडिकल टीम

इस नियम के बावजूद राजधानी रांची सहित राज्य भर में ज्यादातर छोटे और मझौले किस्म के अस्पताल ऐसे हैं जो अस्पतालों के वार्ड, ऑपेरशन थियटर, पैथोलॉजिकल लैब एवं अन्य जगहों से निकलने वाले गंदा पानी को सीधे नाले में गिरा देते हैं. ये गंदा पानी नाले से नदियों में होते हुए जलाशयों तक पहुंचत कर जल प्रदूषण की समस्या को गंभीर बना रहे हैं बल्कि कई खतरनाक बीमारियों को भी आमंत्रित कर रहे हैं.

कांके के अस्पताल की अच्छी पहलः अस्पताल से निकलने वाले गंदे पानी को साफ कर उसका सदुपयोग करने के लिए कांके प्रखंड के एक अस्पताल ने बेहतरीन और प्रशंसनीय कार्य किया है. अस्पताल से निकलने वाले गंदे पानी को अस्पताल में ही साफ करने की मशीन लगाई है. इससे जो पानी साफ होकर निकलता है उससे पेड़ पौधों की सिंचाई की जाती जाती है. इससे बचे पानी को शॉकपिट के माध्यम से ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिये धरती के अंदर पहुंचा दिया जाता है.

रांची विश्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञान के प्रोफेसर डॉ नीतीश प्रियदर्शी कहते हैं कि अस्पतालों से निकलने वाला गंदा पानी बेहद खतरनाक होता है, उसका ट्रीटमेंट करना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि मेडिकल वेस्टेज और वाटर कई तरह से नुकसानदेह है, इसलिए उसका निस्तारण जरूरी है. वहीं आईएमए रांची के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शंभूनाथ कहते हैं कि आईएमए लगातार राज्य में स्वास्थ्य सेवा में आगे अस्पताल और नर्सिंग होम संचालकों से अपील करता रहा है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए जरूरी उपकरण जरूर अस्पताल में होना चाहिए.

अस्पतालों से निकलने वाले गंदे पदार्थ और पानी के उचित निस्तारण के लिए नियम और कानून बने हुए हैं. लेकिन उसे गंभीरता से पालन करवाने के लिए न झारखंड राज्य प्रदूषण बोर्ड गंभीर दिखता है और न ही सरकार या स्वास्थ्य विभाग. ऐसे में कोई भी अस्पताल जब गंदे पानी को साफ कर उसका इस्तेमाल हरियाली और ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिए करता है तो उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए.

Last Updated : Jul 18, 2023, 12:17 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.