ETV Bharat / state

झारखंड के आईएएस-आईपीएस और राज्यसेवा अफसरों को सीखनी होंगी छह जनजातीय भाषाएं, सरकार लॉन्च करेगी कोर्स - झारखंड न्यूज

झारखंड के आईएएस-आईपीएस और राज्यसेवा अफसरों को छह जनजातीय भाषाएं सीखनी होंगी. इसके लिए सरकार कोर्स लॉन्च करने जा रही है. Officers will have to learn tribal language.

Officers will have to learn Jharkhandi language
Officers will have to learn Jharkhandi language
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 27, 2023, 7:32 PM IST

रांची: झारखंड की सरकार राज्य में काम करने वाले आईएएस-आईपीएस और राज्य सेवा के अफसरों को छह जनजातीय भाषाएं सिखाने के लिए ऑनलाइन पाठशाला चलाएगी. फील्ड में काम करने वाले हर अफसर के लिए यह अनिवार्य किया जाएगा कि वे राज्य में बोली जाने वाली जनजातीय भाषाएं सीखें.

झारखंड सरकार का ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट इसके लिए कोर्स मॉड्यूल तैयार कर रहा है. 15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस के मौके पर कोर्स मॉड्यूल लॉन्च कर दिया जाएगा. सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर राज्य सरकार के कल्याण विभाग ने इसकी पूरी योजना तैयार की है.

तय किया गया है कि छह जनजातीय भाषाओं संथाल, हो, खड़िया, कुड़ुख, मुंडारी और भूमिज के तीन-तीन महीने के ऑनलाइन कोर्स चलाए जाएंगे. कोर्स पूरा करने के बाद परीक्षाएं भी ली जाएंगी और उत्तीर्ण अफसरों को सर्टिफिकेट दिए जाएंगे. अगर कोई अफसर परीक्षा में पास नहीं होता है तो उसे फिर से मौका दिया जाएगा.

उद्देश्य यह है कि अफसर झारखंड की वृहत जनजातीय आबादी से उसकी भाषा में संवाद कर सकें. अफसरों को जनजातीय इतिहास और संस्कृति की भी जानकारी दी जाएगी. ऑनलाइन क्लास के सफल संचालन के लिए जनजातीय भाषा के व्याख्याताओं, शिक्षकों और जानकारों की सेवाएं ली जाएंगी. झारखंड में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली जनजातीय भाषा संथाली है. करीब 20 लाख लोग इस भाषा का इस्तेमाल करते हैं. यह संविधान की आठवीं अनुसूची में भी शामिल है.

इसी तरह लगभग 15 लाख लोग मुंडारी, दस लाख से ज्यादा लोग कुड़ुख और आठ लाख से ज्यादा लोग “हो” भाषा का उपयोग करते हैं. भूमिज भाषा बोलने वालों की संख्या भी पांच लाख से ज्यादा है. जनजातीय बहुल इलाकों में रहने वाले गैर जनजातीय लोग भी इन भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं.

बता दें कि सीएम हेमंत सोरेन बीते 21 अप्रैल को सिविल सर्विस डे पर रांची में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपस्थित आईएएस-आईपीएस अफसरों से पूछा था कि आपमें से कितने लोग झारखंड की जनजातीय भाषाएं जानते हैं? किसी भी अफसर ने इस पर जवाब नहीं दिया था.

तब, सीएम ने कहा था कि आप झारखंड के लोगों को एक ईमानदार और कुशल प्रशासन देना चाहते हैं तो उनकी भाषा को समझना और उसमें संवाद करना आवश्यक है. सीएम ने इसके बाद कल्याण विभाग को निर्देश दिया था कि अफसरों के लिए छह प्रमुख जनजातीय भाषाओं के पाठ्यक्रम की संरचना तैयार की जाए.

इनपुट- आईएएनएस

रांची: झारखंड की सरकार राज्य में काम करने वाले आईएएस-आईपीएस और राज्य सेवा के अफसरों को छह जनजातीय भाषाएं सिखाने के लिए ऑनलाइन पाठशाला चलाएगी. फील्ड में काम करने वाले हर अफसर के लिए यह अनिवार्य किया जाएगा कि वे राज्य में बोली जाने वाली जनजातीय भाषाएं सीखें.

झारखंड सरकार का ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट इसके लिए कोर्स मॉड्यूल तैयार कर रहा है. 15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस के मौके पर कोर्स मॉड्यूल लॉन्च कर दिया जाएगा. सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर राज्य सरकार के कल्याण विभाग ने इसकी पूरी योजना तैयार की है.

तय किया गया है कि छह जनजातीय भाषाओं संथाल, हो, खड़िया, कुड़ुख, मुंडारी और भूमिज के तीन-तीन महीने के ऑनलाइन कोर्स चलाए जाएंगे. कोर्स पूरा करने के बाद परीक्षाएं भी ली जाएंगी और उत्तीर्ण अफसरों को सर्टिफिकेट दिए जाएंगे. अगर कोई अफसर परीक्षा में पास नहीं होता है तो उसे फिर से मौका दिया जाएगा.

उद्देश्य यह है कि अफसर झारखंड की वृहत जनजातीय आबादी से उसकी भाषा में संवाद कर सकें. अफसरों को जनजातीय इतिहास और संस्कृति की भी जानकारी दी जाएगी. ऑनलाइन क्लास के सफल संचालन के लिए जनजातीय भाषा के व्याख्याताओं, शिक्षकों और जानकारों की सेवाएं ली जाएंगी. झारखंड में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली जनजातीय भाषा संथाली है. करीब 20 लाख लोग इस भाषा का इस्तेमाल करते हैं. यह संविधान की आठवीं अनुसूची में भी शामिल है.

इसी तरह लगभग 15 लाख लोग मुंडारी, दस लाख से ज्यादा लोग कुड़ुख और आठ लाख से ज्यादा लोग “हो” भाषा का उपयोग करते हैं. भूमिज भाषा बोलने वालों की संख्या भी पांच लाख से ज्यादा है. जनजातीय बहुल इलाकों में रहने वाले गैर जनजातीय लोग भी इन भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं.

बता दें कि सीएम हेमंत सोरेन बीते 21 अप्रैल को सिविल सर्विस डे पर रांची में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपस्थित आईएएस-आईपीएस अफसरों से पूछा था कि आपमें से कितने लोग झारखंड की जनजातीय भाषाएं जानते हैं? किसी भी अफसर ने इस पर जवाब नहीं दिया था.

तब, सीएम ने कहा था कि आप झारखंड के लोगों को एक ईमानदार और कुशल प्रशासन देना चाहते हैं तो उनकी भाषा को समझना और उसमें संवाद करना आवश्यक है. सीएम ने इसके बाद कल्याण विभाग को निर्देश दिया था कि अफसरों के लिए छह प्रमुख जनजातीय भाषाओं के पाठ्यक्रम की संरचना तैयार की जाए.

इनपुट- आईएएनएस

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.