रांचीः राज्य में नियोजन नीति को लेकर एक बार फिर कबायद शुरू हो गई है. झारखंड हाईकोर्ट ने साल 2021 में बनी नियोजन नीति को असंवैधानिक बताया था. इसके बाद हेमंत सरकार नए सिरे से नियोजन नीति बनाने की तैयारी कर रही है.
इस बार नियोजन नीति बनाने से पहले हेमंत सरकार द्वारा आम लोगों के साथ-साथ वैसे छात्र जो जेएसएससी की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या उन्होंने पिछले दिनों रद्द हुई परीक्षा में आवेदन किया था. इन छात्र-छात्राओं से फीडबैक ली जा रही है. संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने बताया कि अब तक राज्य में तीन बार नियोजन नीति बनी, जो किसी ना किसी वजह से खारिज होता चला गया. इस स्थिति में पहली बार हमारी सरकार ने आम लोगों के साथ साथ छात्रों से सुझाव लेकर नया नियोजन नीति बनाने की तैयारी कर रही है.
मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री की पहल सराहनीय है. आमलोगों के साथ साथ छात्रों से मिले सुझाव के आधार पर नियोजन नीति तैयार किया जाएगा. राज्य सरकार का मानना है कि इस बार नियोजन नीति ऐसी बने, जो विवाद से दूर हो और राज्य के युवाओं के लिए लाभदायक साबित हो सके.
बता दें कि अब तक मुख्यमंत्री को वॉइस रिकॉर्डिंग और मैसेज के जरिये करीब 9000 छात्रों और शिक्षाविदों सुझाव मिल चुका हैं. इस काम में एक निजी एजेंसी को लगाया गया है, जो 28 फरवरी तक लोगों की राय को संग्रहित करेंगे. छात्र नेता मनोज कुमार कहते हैं कि सरकार की यह पहल अच्छी है. नियोजन नीति में लोगों से मिले सुझावों को सम्मलित किया जाता है तो निश्चित रूप से झारखंड के युवाओं के लिए बेहतर होगा. संभावना है कि 27 फरवरी से शुरू होने वाले झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में नियोजन नीति लाया जाए.
राज्य गठन के बाद से झारखंड में तीन बार नियोजन नीति बनी है. पहला नियोजन नीति बाबूलाल मरांडी के मुख्यमंत्रित्व काल में बनी. इसके बाद रघुवर दास के कार्यकाल में राज्य के युवाओं को दूसरा नियोजन नीति देखने को मिला और तीसरा नियोजन नीति हेमंत सोरेन सरकार द्वारा 2021 में लाया गया. दुर्भाग्य से तीनों नियोजन नीति झारखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से खारिज कर दिया गया. ऐसे में नई नियोजन नीति बनाने में जुटी राज्य सरकार ने सबसे ज्यादा ध्यान संवैधानिक पहलुओं पर दिया है, जिससे कोई अड़चन ना आ सके.