रांची: कोरोना की पहली लहर से उबरे भी नहीं थे कि दूसरी लहर ने जमकर तबाही मचाई. जान के साथ-साथ माल की भी जमकर क्षति हुई. सरकार की आमदनी का एकमात्र जरिया है राजस्व लेकिन कोरोना के चलते इस पर भयंकर मार पड़ी है. खासकर दूसरी लहर में सरकार को भारी नुकसान हुआ है. पहली तिमाही में सरकार को काफी क्षति हुई. कोरोना के केस कम होने के बाद सरकार भले ही राजस्व क्षति के नुकसान का आकलन कर रही हो लेकिन आंकड़े बताते हैं कि वित्तीय स्थिति डावांडोल हो चुकी है.
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लगातार घट रहा राजस्व संग्रह
पिछले तीन महीनों में हुए राजस्व संग्रह की बात करें तो मार्च 2021 में सरकार को 1,977 करोड़ रुपए राजस्व संग्रह के रूप में प्राप्त हुए. अप्रैल में यह घटकर 1402 करोड़ रुपए पर आ गया. मई में सरकार को मात्र 935 करोड़ रुपए टैक्स के रूप में मिले. आंकड़े बताते हैं कि कि टैक्स कलेक्शन में लगातार कमी आ रही है. हालांकि, अब स्थिति धीरे-धीरे ठीक हो रही है तो जून में टैक्स कलेक्शन बढ़ने की उम्मीद है.
वित्त मंत्री ने मांगा विशेष पैकेज
वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कोरोना के कारण लगातार हो रही क्षति के कारण विकास कार्य प्रभावित होने पर चिंता जताई है. क्षति की भरपाई में जुटी राज्य सरकार राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिए केंद्र से झारखंड को विशेष पैकेज के साथ-साथ जीएसटी क्षतिपूर्ति के 1,516 करोड़ रुपए बकाया राशि देने की मांग की है.
इसके अलावा राज्य सरकार आंतरिक संसाधनों को मजबूत करने के साथ-साथ कोल कंपनियों से रॉयल्टी की बकाया राशि का भुगतान करने को कहा है. रामेश्वर उरांव का कहना है कि झारखंड प्राकृतिक संसाधनों से भरा प्रदेश है. यहां की आंतरिक संसाधनों को मजबूत कर राज्य सरकार विकास की रफ्तार को पटरी पर लाएगी. अनलॉक शुरू होते ही प्रयास शुरू कर दिए गए हैं.
दूरदर्शी प्लान की जरूरत
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने केंद्र से आपदा की इस घड़ी में झारखंड को मदद करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण हुई क्षति का असर अगले कुछ वक्त तक रहेगा. ऐसे में एक दूरदर्शी प्लान तैयार करने की जरूरत है ताकि इससे जल्द उबर सकें. झारखंड सरकार इसे लेकर प्लान तैयार करेगी. केंद्र को भी झारखंड सरकार का साथ देने की जरूरत है.
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चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी जताई चिंता
चैंबर ऑफ कामर्स ने भी कारोबार में हो रहे नुकसान को लेकर चिंता जताई है. चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव राहुल मारू ने कहा कि सेक्टर के हिसाब से क्षति का आकलन करना मुश्किल है लेकिन सभी सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. कोरोना की पहली लहर से बाजार संभला भी नहीं था कि दूसरी लहर ने सबकुछ चौपट कर दिया. सबसे ज्यादा नुकसान छोटे कारोबारियों को हुआ है.
कोरोना संक्रमण की रफ्तार में आई कमी ने सरकार के लिए आने वाले महीनों में स्थितियां संभलने की उम्मीद जगा दी हैं लेकिन तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए सरकार की पहली प्राथमिकता जीवन और जीविका बचाने पर है. यही वजह है कि सरकार कोई भी योजना शुरू करने से पहले फूंक-फूंककर कदम उठा रही है.