रांची: दलबदल मामले में विधानसभा अध्यक्ष के स्वत: संज्ञान लेकर नोटिस जारी करने को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. बाबूलाल मरांडी ने मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में अपना पक्ष रखा.
स्पीकर रवींद्रनाथ महतो की तरफ से अदालत को लिखित आश्वासन दिया गया है. इसके अनुसार इस नोटिस पर किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी लिहाजा इस मामले को बंद कर दिया जाए. भारतीय जनता पार्टी और बाबूलाल मरांडी की ओर से कहा गया कि ये संवैधानिक मामला है इसलिए अधिकार क्षेत्र तय करने के लिए इसकी विस्तृत सुनवाई जरूरी है.
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद स्वतः संज्ञान मामले पर 2 मार्च को विस्तृत सुनवाई की तारीख तय की है. इसके साथ ही स्पीकर के स्वत: संज्ञान से जारी नोटिस पर कार्रवाई नहीं करने के आग्रह पर अदालत ने पूर्व में लगाई गई रोक को हटा लिया है.
स्पीकर ने स्वत: संज्ञान के तहत किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने से इंकार तो कर दिया है लेकिन विधायक भूषण तिर्की की शिकायत पर बाबूलाल मरांडी को जारी नोटिस का मामला अलग है. अब प्रश्न यह उठता है कि बाबूलाल मरांडी पर दलबदल का मामला चलेगा या नहीं? यहां यह समझना जरूरी है कि हाई कोर्ट में जो याचिका है, वह स्वत: संज्ञान के बिंदु पर ही है. इसके अलावा जो दूसरा नोटिस जारी हुआ है, वह दूसरे विधायक की शिकायत पर हुआ है.
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधायक की शिकायत पर जो फिर से नोटिस जारी किया गया है, उस नोटिस को बाबूलाल की ओर से हाई कोर्ट में चुनौती नहीं दी गई है. स्पीकर ने उस मामले की पूर्व में ही 21 जनवरी को सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की है. अब देखना अहम होगा कि 21 जनवरी को सुनवाई हो पाती है या नहीं?