रांची: झारखंड हाई कोर्ट में टेट परीक्षा पास पारा शिक्षकों के समायोजन मामले (Para teachers adjustment case) पर 17 अक्टूबर को सुनवाई हुई. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने पारा शिक्षकों द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर विस्तृत और बिंदुवार जवाब दाखिल करने का निर्देश राज्य सरकार को पूर्व में दिया था लेकिन, अदालत के आदेश के बाद भी मामले में राज्य सरकार की ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया. जिसके बाद अदालत ने राज्य सरकार को एक और मौका देते हुए पारा शिक्षकों द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर जवाब देने का निर्देश दिया है.
इसे भी पढ़ें: अमित अग्रवाल को सुप्रीम कोर्ट से झटका, नहीं मिली राहत, दी झारखंड हाई कोर्ट जाने की सलाह
इसमें से एक बिंदु जिसमें यह कहा गया था कि पारा शिक्षकों को जो वेतन मिलता है, वह सहायक शिक्षक के बराबर मिलना चाहिए. दूसरे बिंदु जिसमें यह कहा है कि वे लंबे समय से पारा शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं, ऐसे में उन्हें रेगुलराइज किया जाना चाहिए. राज्य सरकार को इन पर कंप्रिहेंसिव जवाब देने का निर्देश दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को निर्धारित की गयी है.
प्रार्थी सुनील कुमार यादव और अन्य समेत करीब 111 याचिकाएं पारा शिक्षकों के सहायक शिक्षक के रूप में वेतन एवं नियमितीकरण के मामले में हाईकोर्ट में दाखिल की गयी है. याचिका में कहा गया है कि पारा शिक्षक के पद पर वे 15 वर्ष से अधिक समय से काम कर रहे हैं. साथ ही वे शिक्षक पद की अहर्ता पूरी करते हैं. राज्य सरकार उनकी सेवा को स्थाई करे और उन्हें सहायक शिक्षक के पद पर समायोजित किया जाये. साथ ही समान कार्य के बदले समान वेतन उन्हें दिया जाये.
पारा शिक्षक मामले पर हाई कोर्ट गंभीर, सरकार से मांगा जवाब
पारा शिक्षकों के समायोजन मामले (Para teachers adjustment case) पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जहां अदालत द्वारा मांगे गए जवाब राज्य सरकार की ओर से दाखिल नहीं किए गए. जिसके बाद अदालत ने राज्य सरकार को एक और मौका दिया.
रांची: झारखंड हाई कोर्ट में टेट परीक्षा पास पारा शिक्षकों के समायोजन मामले (Para teachers adjustment case) पर 17 अक्टूबर को सुनवाई हुई. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने पारा शिक्षकों द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर विस्तृत और बिंदुवार जवाब दाखिल करने का निर्देश राज्य सरकार को पूर्व में दिया था लेकिन, अदालत के आदेश के बाद भी मामले में राज्य सरकार की ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया. जिसके बाद अदालत ने राज्य सरकार को एक और मौका देते हुए पारा शिक्षकों द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर जवाब देने का निर्देश दिया है.
इसे भी पढ़ें: अमित अग्रवाल को सुप्रीम कोर्ट से झटका, नहीं मिली राहत, दी झारखंड हाई कोर्ट जाने की सलाह
इसमें से एक बिंदु जिसमें यह कहा गया था कि पारा शिक्षकों को जो वेतन मिलता है, वह सहायक शिक्षक के बराबर मिलना चाहिए. दूसरे बिंदु जिसमें यह कहा है कि वे लंबे समय से पारा शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं, ऐसे में उन्हें रेगुलराइज किया जाना चाहिए. राज्य सरकार को इन पर कंप्रिहेंसिव जवाब देने का निर्देश दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को निर्धारित की गयी है.
प्रार्थी सुनील कुमार यादव और अन्य समेत करीब 111 याचिकाएं पारा शिक्षकों के सहायक शिक्षक के रूप में वेतन एवं नियमितीकरण के मामले में हाईकोर्ट में दाखिल की गयी है. याचिका में कहा गया है कि पारा शिक्षक के पद पर वे 15 वर्ष से अधिक समय से काम कर रहे हैं. साथ ही वे शिक्षक पद की अहर्ता पूरी करते हैं. राज्य सरकार उनकी सेवा को स्थाई करे और उन्हें सहायक शिक्षक के पद पर समायोजित किया जाये. साथ ही समान कार्य के बदले समान वेतन उन्हें दिया जाये.