रांची: झारखंड राज्य फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (Forensic Science Laboratory) की व्यवस्था को दुरुस्त करने करने के बिंदु पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में सुनवाई हुई. अदालत ने राज्य सरकार के जवाब पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की. अदालत ने सरकार से पूछा की लैब में जब वर्ष 2011 में पद सृजित किया गया है, तो अब तक सीधी नियुक्ति क्यों नहीं की गई है. आउटसोर्सिंग से क्यों लिया जाएगा. ऐसे पदों पर आउटसोर्सिंग से काम लिया जाना कितना उचित है.
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अदालत ने इन तमाम बिंदु पर 9 सितंबर से पहले राज्य सरकार जेपीएससी शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है. अदालत ने पूछा कि जेपीएससी और जेएससीसी नियुक्ति क्यों नहीं कर पा रही है. मौखिक रूप से जेपीएससी संवैधानिक संस्था है. इसलिए नहीं तो बंद करने का आदेश दे देते.
एफएसएल में नियुक्ति के बिंदु पर सुनवाई
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में एफएसएल में नियुक्ति के बिंदु पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर कर कहा गया है, कि पद सृजित कर दी गई है. आउटसोर्सिंग से शीघ्र ही पद को भरा जाएगा. कार्य प्रारंभ हो जाएगा.
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झारखंड लोक सेवा आयोग को जवाब पेश करने का आदेश
अदालत ने राज्य सरकार के जवाब पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे सेंसिटिव पद को आउटसोर्सिंग के द्वारा क्यों भरा जा रहा है. सीधी नियुक्ति क्यों नहीं हो पा रही है. क्या झारखंड कर्मचारी चयन आयोग नियुक्ति नहीं कर पा रही है. कर्मचारी चयन आयोग से नियुक्ति नहीं हो रही है. जिस पर किसी भी प्रकार की कोई सकारात्मक जवाब पेश नहीं किया गया. अदालत ने राज्य सरकार झारखंड कर्मचारी चयन आयोग और झारखंड लोक सेवा आयोग सभी को शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत बिंदुवार अद्यतन जवाब पेश करने को कहा है.
अदालत ने गृह सचिव को बुलाया था
धनबाद के जज की मौत के बाद हाई कोर्ट ने सीबीआई को मामले की एफएसएल रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा था. सीबीआई ने जांच के लिए ब्लड सैंपल प्रयोगशाला में भेजा था, लेकिन राज्य एफएसएल लेबोरेटरी में किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं होने के कारण जांच नहीं हो सकी. सीबीआई की ओर से अदालत में यह जानकारी दी गई कि राज्य में यह व्यवस्था नहीं होने के कारण जांच रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी. जिस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार के गृह सचिव को बुलाया था.
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9 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
अदालत ने कहा था कि यह बहुत ही शर्मनाक बात है, कि राज्य में ब्लड और यूरिन जांच करने की भी व्यवस्था नहीं है. उसके बाद सरकार ने लेबोरेटरी की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने की तैयारी शुरु की है. अदालत को जानकारी दी गई है की लेबोरेटरी में उचित संसाधन उपलब्ध कराने और उसकी व्यवस्था को ठीक करने की तैयारी प्रारंभ कर दी गई है. सरकार के जवाब पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए यह पूछा है कि आउटसोर्सिंग से पद भरने की क्या आवश्यकता है. सीधी नियुक्ति क्यों नहीं की जा रही है. इस पर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 9 सितंबर को होगी.