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छठ घाटों का अद्भुत नजारा, राजधानी में 22 तालाबों का बनेगा समूह

राजधानी रांची में महापर्व छठ को लेकर तैयारियां जोरो पर हैं, जिसको देखते हुए ईटीवी भारत की टीम ने छठ घाटों पर पहुंचे लोगों से स्वच्छता और सुरक्षा को लेकर बातचीत की और उनसे राय ली.

छठ घाट
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Published : Oct 31, 2019, 9:05 PM IST

रांचीः लोक आस्था के महापर्व छठ के दौरान पवित्रता का विशेष ख्याल रखा जाता है. अस्ताचलगामी और उदीयमान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए छठ व्रतियों के परिवार के लोग स्वच्छ और सुरक्षित घाटों पर पूजा करना चाहते हैं. इस मामले में पुराने विधानसभा के पास मत्स्य विभाग की ओर से मछली पालन के लिए बनाए गए 22 कृत्रिम तालाब सबसे बेहतर माने जाते हैं.

देखें पूरी खबर

इन तलाबों के चारों तरफ घेराबंदी के कारण यह इलाका सुरक्षित है. वहींं, तालाबों का पानी भी स्वच्छ रहता है साथ ही तालाब के किनारे केले के पेड़ इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं. हर साल धुर्वा के अलावा रांची के कोने-कोने से लोग यहां के तालाबों में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए पहुंचते हैं. इन तालाबों में कम पानी की वजह से छठ व्रतियों के लिए किसी तरह का कोई खतरा भी नहीं होता है. मिट्टी के कच्चे घाट को छठ व्रतियों के परिवार के लोग अपने स्तर से तैयार करते हैं. कई तालाबों में एक्वेरियम की शोभा बढ़ाने वाली रंगीन मछलियां भी पाली गई है जो आस्था के इस पर्व की साक्षी बनती हैं.

ये भी पढ़ें- रांची: व्रतियों के लिए शहर के छठ घाट तैयार, तैनात रहेगी NDRF की टीम

ईटीवी भारत की टीम ने इन तालाबों के तट पर घाट बनाने में जुटे लोगों से बातचीत की, जहां आम लोगों ने यहां की व्यवस्था पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि घाट पर सिर्फ रांची ही नहीं बल्कि बिहार और पश्चिम बंगाल से भी छठ व्रति अर्घ देने के लिए पहुंचते हैं.

रांचीः लोक आस्था के महापर्व छठ के दौरान पवित्रता का विशेष ख्याल रखा जाता है. अस्ताचलगामी और उदीयमान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए छठ व्रतियों के परिवार के लोग स्वच्छ और सुरक्षित घाटों पर पूजा करना चाहते हैं. इस मामले में पुराने विधानसभा के पास मत्स्य विभाग की ओर से मछली पालन के लिए बनाए गए 22 कृत्रिम तालाब सबसे बेहतर माने जाते हैं.

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इन तलाबों के चारों तरफ घेराबंदी के कारण यह इलाका सुरक्षित है. वहींं, तालाबों का पानी भी स्वच्छ रहता है साथ ही तालाब के किनारे केले के पेड़ इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं. हर साल धुर्वा के अलावा रांची के कोने-कोने से लोग यहां के तालाबों में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए पहुंचते हैं. इन तालाबों में कम पानी की वजह से छठ व्रतियों के लिए किसी तरह का कोई खतरा भी नहीं होता है. मिट्टी के कच्चे घाट को छठ व्रतियों के परिवार के लोग अपने स्तर से तैयार करते हैं. कई तालाबों में एक्वेरियम की शोभा बढ़ाने वाली रंगीन मछलियां भी पाली गई है जो आस्था के इस पर्व की साक्षी बनती हैं.

ये भी पढ़ें- रांची: व्रतियों के लिए शहर के छठ घाट तैयार, तैनात रहेगी NDRF की टीम

ईटीवी भारत की टीम ने इन तालाबों के तट पर घाट बनाने में जुटे लोगों से बातचीत की, जहां आम लोगों ने यहां की व्यवस्था पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि घाट पर सिर्फ रांची ही नहीं बल्कि बिहार और पश्चिम बंगाल से भी छठ व्रति अर्घ देने के लिए पहुंचते हैं.

Intro:रांची
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लोक आस्था के महापर्व छठ के दौरान पवित्रता का विशेष ख्याल रखा जाता है। अस्ताचलगामी और उदीयमान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए छठ व्रतियों के परिवार के लोग इस बात की पड़ताल करते रहते हैं कि शहर के किस तालाब का पानी स्वच्छ है और कहां के घाट सुरक्षित है । इस मामले में पुराने विधानसभा के पास मत्स्य विभाग की ओर से मछली पालन के लिए बनाए गए 22 कृत्रिम तालाब सबसे बेहतर माने जाते हैं। एक तो चारों तरफ घेराबंदी के कारण यह इलाका सुरक्षित है ऊपर से यहां बने तालाबों का पानी भी स्वच्छ है साथ ही तालाब के पेड़ पर लगे केले के पेड़ इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। हर साल ध्रुवा के अलावा रांची के कोने-कोने से लोग यहां के तालाबों में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए पहुंचते हैं। इन तालाबों में कम पानी की वजह से छठ व्रतियों के लिए किसी तरह का कोई खतरा भी नहीं होता है। मिट्टी के कच्चे घाट को छठ व्रतियों के परिवार के लोग अपने स्तर से तैयार करते हैं। कई तालाबों में एक्वेरियम की शोभा बढ़ाने वाली रंगीन मछलियां भी पाली गई है जो आस्था के इस पर्व की साक्षी बनती हैं।




Body:ईटीवी भारत की टीम ने इन तालाबों के तट पर घाट बनाने में जुटे लोगों से बातचीत की आम लोगों ने यहां की व्यवस्था पर खुशी व्यक्त की लोगों ने कहा कि यहां न सिर्फ रांची बल्कि बिहार और पश्चिम बंगाल से भी छठ प्रति अर्घ देने के लिए पहुंचते हैं।


Conclusion:खास बात है कि तालाब घाटों की पड़ताल के दौरान ईटीवी भारत के कैमरे में एक सांप की तस्वीर भी कैद हुई जिसके मुंह में मछली की। इसे देखकर छठ व्रतियों की सुरक्षा का ख्याल आया तो वहां के लोगों ने कहा कि इन तालाबों में कुछ बरसाती सांप जरूर है जो जहरीले नहीं है और इनसे किसी को कोई खतरा नहीं है। बहरहाल, 2 नवंबर की शाम अस्ताचलगामी भास्कर को अर्घ्य का गवाह बनने के लिए यहां के तालाब पूरी तरह से तैयार हैं।
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