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राज्यपाल रमेश बैस ने की राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े में शिरकत, कहा- नेत्रदान से बड़ा पुण्य काम कोई नहीं

36वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े (National Eye Donation Fortnight) का आयोजन रांची के कश्यप मेमोरियल आई बैंक में किया गया. इसमें राज्यपाल रमेश बैस (Governor Ramesh Bais ) ने भी शिरकत की.

Governor Ramesh Bais participated in National Eye Donation Fortnight
राज्यपाल रमेश बैस ने की राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े में शिरकत
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Published : Sep 1, 2021, 10:26 AM IST

रांची: नेत्रदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए राजधानी के एक निजी अस्पताल कश्यप मेमोरियल आई बैंक(EYE BANK) की ओर से 36वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े (National Eye Donation Fortnight) का आयोजन किया गया. इसमें बतौर मुख्य अतिथि शामिल राज्यपाल रमेश बैस (Governor Ramesh Bais ) ने कहा कि नेत्रदान से बड़ा पुण्य काम कोई नहीं हो सकता. इससे अंधेरे में जीवन बिता रहा व्यक्ति दुनिया देख सकता है.

ये भी पढ़ें-लें शपथ अंधेरे को उजाले से परिचित करवाने की: नेत्रदान पखवाड़ा विशेष

कार्यक्रम में राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि 18 साल पहले ही वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर नेत्रदान कर चुके हैं. आज देश में दृष्टिबाधित लोगों की एक बड़ी आबादी है. प्रत्येक साल नेत्र प्रत्यारोपण के माध्यम से 30 लाख लोग दुनिया देख सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोग नेत्रदान करें.

देखें पूरी खबर



केंद्र और राज्य के बीच समन्वय स्थापित करने की जरूरतः बन्ना गुप्ता

कार्यक्रम में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि देश भर में 109 आई बैंक हैं. इनमें समन्वय स्थापित कर दृष्टि बाधित लोगों की आंखों में रोशनी लाने का काम आसान कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि डेढ़ करोड़ लोग देश भर में दृष्टिहीन हैं. इनमें 75% लोग कॉर्निया के कारण दृष्टिहीन हैं. राज्य में 5 आई बैंक हैं, जिसके बेहतर संचालन के लिए राज्य सरकार कृत संकल्पित है.

कोरोना के कारण घटा नेत्र प्रत्यारोपण

कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल से जुड़ी डॉ. भारती कश्यप ने कहा कि पिछले 2 सालों में पूरे देश भर में नेत्रदान 63% तक घटा है, वहीं नेत्र प्रत्यारोपण भी 52% तक घटा है. आई डोनेशन अवेयरनेस क्लब और कश्यप मेमोरियल आई बैंक द्वारा 124 लोगों को सफलतापूर्वक नेत्र प्रत्यारोपण किया गया है. अत्याधुनिक पद्धति से इस नेत्र प्रत्यारोपण में गरीबों को आयुष्मान भारत योजना का भी लाभ दिया गया है.



बच्ची का नेत्रदान करने वाले माता-पिता सम्मानित

कार्यक्रम में 18 दिन की बच्ची अपराजिता की मौत के बाद उसका नेत्रदान करने वाले मां-बाप को सम्मानित किया गया. बच्ची की मां राजश्री गुप्ता ने कहा कि उनकी बच्ची की मौत के बाद मेरी मां ने मुझे नेत्रदान को लेकर प्रेरित किया था, जिस कारण मैंने उसकी आंखों को दान कर दिया. कठिन घड़ी थी, लेकिन इस कार्य को करने के बाद गर्व महसूस हो रहा है कि आज लोग मुझे मेरी बच्ची के नाम से जान रहे हैं.

रांची: नेत्रदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए राजधानी के एक निजी अस्पताल कश्यप मेमोरियल आई बैंक(EYE BANK) की ओर से 36वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े (National Eye Donation Fortnight) का आयोजन किया गया. इसमें बतौर मुख्य अतिथि शामिल राज्यपाल रमेश बैस (Governor Ramesh Bais ) ने कहा कि नेत्रदान से बड़ा पुण्य काम कोई नहीं हो सकता. इससे अंधेरे में जीवन बिता रहा व्यक्ति दुनिया देख सकता है.

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कार्यक्रम में राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि 18 साल पहले ही वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर नेत्रदान कर चुके हैं. आज देश में दृष्टिबाधित लोगों की एक बड़ी आबादी है. प्रत्येक साल नेत्र प्रत्यारोपण के माध्यम से 30 लाख लोग दुनिया देख सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोग नेत्रदान करें.

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केंद्र और राज्य के बीच समन्वय स्थापित करने की जरूरतः बन्ना गुप्ता

कार्यक्रम में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि देश भर में 109 आई बैंक हैं. इनमें समन्वय स्थापित कर दृष्टि बाधित लोगों की आंखों में रोशनी लाने का काम आसान कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि डेढ़ करोड़ लोग देश भर में दृष्टिहीन हैं. इनमें 75% लोग कॉर्निया के कारण दृष्टिहीन हैं. राज्य में 5 आई बैंक हैं, जिसके बेहतर संचालन के लिए राज्य सरकार कृत संकल्पित है.

कोरोना के कारण घटा नेत्र प्रत्यारोपण

कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल से जुड़ी डॉ. भारती कश्यप ने कहा कि पिछले 2 सालों में पूरे देश भर में नेत्रदान 63% तक घटा है, वहीं नेत्र प्रत्यारोपण भी 52% तक घटा है. आई डोनेशन अवेयरनेस क्लब और कश्यप मेमोरियल आई बैंक द्वारा 124 लोगों को सफलतापूर्वक नेत्र प्रत्यारोपण किया गया है. अत्याधुनिक पद्धति से इस नेत्र प्रत्यारोपण में गरीबों को आयुष्मान भारत योजना का भी लाभ दिया गया है.



बच्ची का नेत्रदान करने वाले माता-पिता सम्मानित

कार्यक्रम में 18 दिन की बच्ची अपराजिता की मौत के बाद उसका नेत्रदान करने वाले मां-बाप को सम्मानित किया गया. बच्ची की मां राजश्री गुप्ता ने कहा कि उनकी बच्ची की मौत के बाद मेरी मां ने मुझे नेत्रदान को लेकर प्रेरित किया था, जिस कारण मैंने उसकी आंखों को दान कर दिया. कठिन घड़ी थी, लेकिन इस कार्य को करने के बाद गर्व महसूस हो रहा है कि आज लोग मुझे मेरी बच्ची के नाम से जान रहे हैं.

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