रांची: सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि सरकार के खजाने की चिंताजनक स्थिति में है और वह जल्द ही श्वेत पत्र के जरिए आम लोगों को इससे अवगत कराएंगे. इसपर अमल करते हुए सरकार के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने बजट सत्र के दूसरे दिन वित्त एवं विकास पर आधारित श्वेत पत्र की कॉपी सदन पटल पर रखी.
श्वेत पत्र के जरिए बताया गया है कि साल 2014-15 में राज्य का आर्थिक विकास दर 12.5 प्रतिशत था, लेकिन 2015-16 से 2018-19 तक औसत वार्षिक विकास दर सिर्फ 5.7 प्रतिशत रहा, साथ ही वित्तीय हालात के लिए पूर्वर्ती सरकार की नीतियों को जिम्मेवार ठहराया गया है. श्वेत पत्र के जरिए कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों में बिना अध्ययन किए कई विभागों ने ऐसी योजनाओं को स्वीकृति दी, जिसका लाभ लोगों को नहीं मिला और पैसे की बर्बादी हुई. वित्तीय कुप्रबंधन, सरकारी धनराशि का अपव्यय और धन संग्रहण के मोर्चे पर विफलता के कारण अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं है और राजकोष अभावग्रस्त है.
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साल 2013-14 से 2018-19 के बीच राजस्व प्राप्ति की औसम वार्षित वृद्धि 16.5 प्रतिशत थी, जबकि पूंजीगत प्राप्तियों में औसत वृद्धि 17.6 प्रतिशत थी. इसकी मुख्य वजह थी केंद्रीय करों में राज्य के हिस्से में तीव्र वृद्धि. दरअसल, 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर केंद्र ने डिवोल्यूशन में 13वें वित्त आयोग के 32 प्रतिशत की जगह 42 प्रतिशत की वृद्धि की थी. अनुमान के अनुसार 2018-19 में झारखंड को केंद्रीय करों के हिस्से के रूप में 23,906.13 करोड़ रू.मिले थे, लेकिन 2020-21 में इस मद में 20,592.04 करोड़ रू. ही मिलने का अनुमान है.
साल 2016-17 की तुलना में 2017-18 में वाणिज्य कर में 6.5 प्रतिशत, उत्पाद कर में 12.6 प्रतिशत, निबंधन में 22.7 प्रतिशत और भू-राजस्व में 35.1 प्रतिशत की कमी हुई . इस वजह से राज्य के अपने स्त्रोत से राजस्व संग्रहण में पिछले वर्ष की तुलना में 7.1 प्रतिशत की कमी आई.
वित्तीय हालात सुधारने पर होगा जोर
हेमंत सरकार के मुताबिक श्वेत पत्र जारी करने का उद्देश्य राज्य की जनता को पारदर्शिता के साथ राज्य की वित्तीय स्थिति से अवगत कराना है. इस वित्तीय हालात से राज्य को बाहर लाने के लिए कई अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रयास किए जाएंगे.