रांची: झारखंड सरकार सरकारी स्कूलों में खाली पड़े उर्दू शिक्षकों के पदों का आकलन करने में जुट गई है. संयुक्त बिहार के समय वर्ष 1999 में 4401 उर्दू शिक्षक वैसे प्राथमिक और मध्य विधालय के लिए सृजित किये गये थे, जहां 10 या उससे अधिक संख्या में उर्दू भाषी छात्र पढ़ते हैं. अलग राज्य झारखंड बनने के बाद शिक्षक नियुक्ति नियमावली में उर्दू शिक्षक के पदों के लिए स्नातक और इंटर प्रशिक्षित दोनों को इस पद के लिए योग्य माना गया.
राज्य में 26 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया जैसे ही शुरू हुई, उर्दू शिक्षकों की मांग भी तेज होने लगी. युवा खेल और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन के अनुसार उर्दू शिक्षकों की बहाली 26 हजार शिक्षकों की बहाली के बाद किया जायेगा. इस संबंध में मुख्यमंत्री के साथ बातचीत भी हुई है. राज्यभर में आकलन की प्रक्रिया जारी है.
प्राथमिक शिक्षा निदेशालय करा रही है आकलन: उर्दू शिक्षकों के आकलन के लिए प्राथमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा सभी जिला शिक्षा अधीक्षक को निर्धारित फॉर्म में पूरी जानकारी देने के लिए चिठ्ठी भेजी गई है. सरकार के अवर सचिव जागो चौधरी की हस्ताक्षर से जारी इस चिठ्ठी के बाद जिला स्तर पर आकलन प्रारंभ कर दी गई है. इस आकलन के जरिए सामान्य सरकारी विद्यालय जिसमें प्राथमिक और मध्य विद्यालय शामिल हैं, उसमें उर्दू पढ़ने वाले बच्चों की संख्या का भी पता चल जायेगा. झारखंड छात्र संघ के अध्यक्ष एसअली के अनुसार उर्दू शिक्षकों के खाली पदों को भरने में सरकार उदासीन रही है. ऐसे में नये सिरे से आकलन कर यथाशीघ्र यदि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाती है तो बहुत बड़ा काम होगा.
बहाली के नाम पर निकलता रहा है विज्ञापन: वर्ष 2008 में झारखंड लोक सेवा आयोग ने उर्दू शिक्षकों के पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाला था, लेकिन परीक्षा नहीं हुई. फिर उसी विज्ञापन को संशोधित कर 2010 में विज्ञापन निकाले गए, मगर नियुक्ति नहीं हुई. उसके बाद सरकार ने झारखंड अधिविध परिषद को 4401 उर्दू शिक्षक और सहायक शिक्षकों के पद पर बहाली के लिए अधिकृत कर दिया. जैक ने दोनों पदों पर बहाली के लिए वर्ष 2011 में विज्ञापन निकाल कर परीक्षा आयोजित की. लेकिन विज्ञापन में संशोधन को गलत मानते हुए हाईकोर्ट ने पूरे रिजल्ट को रद्द कर दिया.
2012 में बनाई गई प्रारम्भिक विद्यालय शिक्षक नियुक्ति नियमावली: इसके बाद प्राथमिक शिक्षा निदेशलय ने पहले की नियमावली में संशोधन कर वर्ष 2012 में प्रारम्भिक विद्यालय शिक्षक नियुक्ति नियमावली बनाई. जिसमें उर्दू शिक्षक के सभी पदों को कक्षा 01-05 में समाहित करते हुए इंटर प्रशिक्षित कर दिया गया, जिसके कारण स्नातक प्रशिक्षित अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित हो गए. इसी नियमावली के आधार पर आयोजित टेट परीक्षा के बाद 2015 में हुई बहाली में मात्र 689 उर्दू शिक्षक ही बहाल हुए और 3712 पद खाली रह गए. गौरतलब है कि सृजित 4401 पद में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लिए 1526 पद आरक्षित है. जिस पर योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलने की वजह से सीटें खाली रह जाती हैं.