रांचीः झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन दूसरी बार कोरोना संक्रमण की चपेट में आए हैं. इसलिए उनके सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग कराई जाएगी. इसके लिए नमूने ILS भुवनेश्वर भेजे जाएंगे. रांची के सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार ने एक सवाल के जवाब में ईटीवी भारत को इसकी एक्सक्लूसिव जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आवास में होम आइसोलेशन में रह रहे पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन की स्थिति अभी सामान्य है और उनमें कोई खास सिम्टम्स नहीं दिखाई दे रहा है. सिविल सर्जन ने बताया कि मुख्यमंत्री आवास में पदस्थापित डॉ. राजन उनकी सेहत पर नजर बनाए हुए हैं.
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रांची के सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि चूंकि पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन दूसरी बार कोरोना संक्रमित हुए हैं, इसलिए उनके सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग कराई जाएगी. इसके लिए जल्द ही नमूने को ओडिशा भेज दिया जाएगा. उन्होंने गुरुजी के समर्थकों को धैर्य रखने की सलाह दी. सिविल सर्जन ने बताया कि गुरुजी की तबीयत में सुधार है.
2020 में भी कोरोना संक्रमित हो गए थे गुरुजीः दिशोम गुरु शिबू सोरेन वर्ष 2020 में भी कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ गए थे, जिसके बाद सांस लेने में तकलीफ होने पर पहले उन्हें रांची के मेदांता और फिर बेहतर इलाज के लिए गुड़गांव मेदांता में भर्ती कराया गया था.
IPS पंकज कंबोज के सैम्पल की भी होगी जीनोम सिक्वेंसिंगः रांची के IG पंकज कंबोज काफी दिनों से कोरोना संक्रमित हैं और उन्हें भी दो बार इसका संक्रमण हो चुका है. इसलिए उनके कोरोना सैंपल की भी जीनोम सिक्वेंसिंग कराने की तैयारी की जा रही है. इनके भी कोरोना सैंपल को ILS भुवनेश्वर भेजा जाएगा.
आज रिम्स से 100 कोरोना संक्रमितों के सैम्पल को ILS भेजे जाने की संभावनाः रिम्स रांची के माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग में स्टोर कर रखे 1200 से अधिक कोरोना संक्रमितों के सैंपल में से करीब 100 सैम्पल को सोमवार को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए ILS भुवनेश्वर भेजे जाने की संभावना है.
ये है जीनोम सिक्वेंसिंगः बता दें कि हमारी कोशिकाओं में आनुवांशिक पदार्थ DNA, RNA होते हैं. इन पदार्थों को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है. एक जीन की तय जगह, दो जीन के बीच की दूरी, उसके आंतरिक हिस्सों के व्यवहार और उसके बीच की दूरी को समझने के लिए कई तरीकों से जीनोम सिक्वेंसिंग की जाती है. इससे पता चलता है कि किस तरह के बदलाव आए हैं. कोरोना वायरस की जीनोम मैपिंग या जीनोम सिक्वेंसिंग से पता चलता है कि वायरस पुराने वायरस से कितना अलग है. इससे ओमीक्रोन वैरिएंट की भी पहचान संभव है.