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बिचौलियों को औने-पौने दाम में धान बेचने को मजबूर किसान, नहीं रुक रहा अन्नदाता का शोषण - झारखंड में धान खरीदी केंद्र शुरू

राजधानी में धान की खरीदी चल रही है. इस बार धान खरीदी केंद्रों की संख्या बढ़ाई गई है, लेकिन किसान अभी भी बिचौलियों को ही धान बेच रहा है. इसका एक बड़ा कारण धान खरीदी केंद्रों का गांवों से दूर होना, ऐसे में किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है.

किसान परेशान
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Published : Jan 4, 2021, 5:58 PM IST

Updated : Jan 6, 2021, 12:43 PM IST

रांचीः किसानों की आय को दुगने करने को लेकर राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसके साथ ही कई योजनाएं भी चला रही है, लेकिन इसके बावजूद किसानों की आय दोगुनी होने का नाम नहीं ले रहा है. इसे सरकार की उदासीनता रवैया कहें या फिर किसानों की मजबूरी, यही वजह है कि किसानों को धान का समर्थन मूल्य नहीं मिल सका.

बिचौलियों के मकड़जाल में किसान.

इसको लेकर धान क्रय केंद्र में धान खरीदने की शुरुआत की है लेकिन इसके बावजूद किसान अपनी उपज को साहूकारों को औने-पौने के दामों में बेच रहे हैं. आलम यह है कि बिचोलिए बड़े-बड़े अक्षरों में धान क्रय केंद्र लिखकर किसानों के धान को औने-पौने मूल्य पर खरीदकर उनकी बेबसी का फायदा उठा रहे हैं.

राज्य सरकार ने किसानों के धान की खरीद को लेकर रांची जिले में 23 क्रय केंद्र खोले हैं, लेकिन इसके बावजूद किसान अपनी धान को बिचौलियों को बेच रहे हैं.

11 से ₹12 प्रति किलो खरीद रहे

बिचोलिए साहूकार बेफिक्र होकर बिना डर भय के धान क्रय केंद्र लिखकर किसानों से धान को 11 से ₹12 प्रति किलो की दर से खरीद रहे हैं. साहूकार द्वारा धान ट्रैक्टर के जरिए रांची के राइस मिल में भेजने का काम किया जाता है, जिसके कारण यहां के किसान खुद को ठगा महसूस करते हैं.

किसानों का कहना है कि सरकार ने धान क्रय केंद्र तो खोल दिया है लेकिन वह धान क्रय केंद्र की सुविधा किसानों तक नहीं पहुंच पा रही है. कारण यह है कि धान को क्रय केंद्र तक पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सरकार ने भले ही ₹2,050 धान की कीमत रखी है, लेकिन हम किसानों को इसका लाभ कैसे मिलेगा, यह जानकारी नहीं है

वहीं प्रगतिशील किसान नकुल महतो की मानें तो लैंपस द्वारा धान न खरीदने के कारण किसानों को धान खरीद में दिक्कत आ रही है. इसका कारण है कांके प्रखंड में मात्र दो धान क्रय केंद्र खोले गए हैं. एक कांके अरसंडे में तो दूसरा उरुगुटु में. अगर दोनों जगह की बात करें तो किसानों को अपना धान क्रय केंद्र तक पहुंचाने के लिए ट्रैक्टर या फिर टेंपो का सहारा लेना पड़ता है.

इसके लिए किसानों को भाड़ा चुकाना पड़ता है वहीं दूर होने की वजह से किसान अपनी उपज को धान क्रय केंद्र में नहीं पहुंचा पा रहे हैं. सरकार को एक ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि जिससे किसानों का धान गांव से खरीदा जा सके. धान की उपज गांव में होती है ना कि शहर में और किसान गांव में ही बसते हैं.

ऐसे में जब 20 किलोमीटर का सफर तय कर धान को बेचने जाना पड़े तो किसानों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. यही वजह है कि किसान अपनी उपज की धान को साहूकार के हाथ में औने-पौने दाम पर बेच रहे हैं. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और कम से कम किसानों की धान खरीदने को लेकर एक उचित व्यवस्था करनी चाहिए.

बिचौलिए किसानों को तुरंत देते हैं पैसे

मजबूरी में किसान बिचौलियों को अपनी उपज को बेच रहे हैं इसका वजह सरकारी तंत्र और विभाग की लापरवाही है. वहीं किसानों की मजबूरी का फायदा उठाने वाले बिचौलिए की मानें तो किसानों को पैसे की तत्काल आवश्यकता होती है किसान जब फोन करते हैं तो उनके यहां धान उठाने की भी हम लोगों के पास सुविधा है और लोग जब धान को लेकर हम लोगों पास पहुंचते हैं तो तुरंत हाथों-हाथ किसानों को पैसा दिया जाता है.

सरकार की जो भी व्यवस्था है, लेकिन हम लोग किसान को मजबूर नहीं करते हैं कि हमारे पास धान बेचें लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि किसान से जो भी धान खरीद के लाते हैं उनसे राइस मिल भेजा जाता है.

किसान को 1,100 से ₹1,200 प्रति क्विंटल की धान खरीद कर तत्काल पैसे दे देते हैं. अरसंडे धान क्रय केंद्र के प्रभारी मनोज रजवार ने बताया कि किसानों द्वारा धान लाकर केंद्र में दिया जाता है उसके लिए किसानों को साढ़े 41 केजी का बोरा तैयार करना पड़ता है.

उस बोरी में भरकर किसान ट्रैक्टर के जरिए या फिर ऑटो के जरिए धान क्रय केंद्र में लाते हैं उनकी धान की जांच की जाती है उसके बाद किसानों का धान लिया जाता है किसानों को एक-दो दिन के अंदर उनके खाते में धान की आधी कीमत भेज दी जाती है.

और इसके बाद फिर आधी बाद में भेजी जाती है. इसके लिए किसानों को अपने बोरी में धान को भरकर धान क्रय केंद्र लाना पड़ता है.

रांची जिले में खोले गए 23 धान अधिप्राप्ति केंद्र

उन्होंने बताया कि अब तक 501 किसानों का रजिस्ट्रेशन इस धान क्रय केंद्र में हो चुका है. वहीं खाद आपूर्ति विभाग के मंत्री रामेश्वर उरांव की मानें तो किसानों की धान सही समय पर खरीदा जाए इसके लेकर सरकार द्वारा रांची जिले में कुल 23 धान अधिप्राप्ति केंद्र खोले गए हैं.

साथ ही उन्होंने माना कि धान क्रय केंद्र गांव में न होने की वजह से किसानों को मजबूरी में बिचौलियों के हाथ में धान बेचना पड़ रहा हो लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल जितने धान क्रय केंद्र खोले गए थे. उससे दुगुने इस बार धान क्रय केंद्र खोले गए हैं, ताकि किसानों की धान को सरकार अधिक से अधिक खरीद सके.

उसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार एक ऐसी व्यवस्था निर्धारित कर रही है जिसके जरिए ब्लॉक के पदाधिकारी किसानों के गांव में जाकर किसानों की धान को खरीदने का काम करेंगे, ताकि इन बिचौलियों पर नकेल कसी जा सके. सरकार ने जो भी धान क्रय केंद्र के जरिए धान खरीदने का रखी है निश्चित रूप से पूरा किया जाएगा और इसका सीधा लाभ किसानों को होगा.

यह भी पढ़ेंः अपनी ही सरकार के खिलाफ बोले विधायक सरफराज अहमद, अल्पसंख्यक और पिछड़ों के हालात पर जताई चिंता

सरकार ने इस बार धान को लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर लिया है. साधारण धान 1,868 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है वहीं ग्रेड ए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,888 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है.

इसके साथ ही 182 किसानों को बोनस भी दिया जाएगा. यानी बात करें तो 2,050 रुपए प्रति क्विंटल सरकार किसानों की धान की कीमत रखी है, लेकिन धान क्रय केंद्र में किसानों का धान बिकने की वजह बिचौलिया हैं जो औने-पौने दाम में किसानों से खरीद रहे हैं.

तो ऐसे में सरकार का जो धान खरीदी का जो लक्ष्य है, वह कैसे पूरा होगा यह भी सोचने वाली बात है. सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 2.27 लाख टन धान की खरीदी की थी वहीं वित्तीय वर्ष 2019-20 में 3.24 लाख टन धान की खरीद पूरे राज्य में की गई थी और इस वित्तीय वर्ष 2020 -21 में राज्य में 4.50 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है.

रांचीः किसानों की आय को दुगने करने को लेकर राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसके साथ ही कई योजनाएं भी चला रही है, लेकिन इसके बावजूद किसानों की आय दोगुनी होने का नाम नहीं ले रहा है. इसे सरकार की उदासीनता रवैया कहें या फिर किसानों की मजबूरी, यही वजह है कि किसानों को धान का समर्थन मूल्य नहीं मिल सका.

बिचौलियों के मकड़जाल में किसान.

इसको लेकर धान क्रय केंद्र में धान खरीदने की शुरुआत की है लेकिन इसके बावजूद किसान अपनी उपज को साहूकारों को औने-पौने के दामों में बेच रहे हैं. आलम यह है कि बिचोलिए बड़े-बड़े अक्षरों में धान क्रय केंद्र लिखकर किसानों के धान को औने-पौने मूल्य पर खरीदकर उनकी बेबसी का फायदा उठा रहे हैं.

राज्य सरकार ने किसानों के धान की खरीद को लेकर रांची जिले में 23 क्रय केंद्र खोले हैं, लेकिन इसके बावजूद किसान अपनी धान को बिचौलियों को बेच रहे हैं.

11 से ₹12 प्रति किलो खरीद रहे

बिचोलिए साहूकार बेफिक्र होकर बिना डर भय के धान क्रय केंद्र लिखकर किसानों से धान को 11 से ₹12 प्रति किलो की दर से खरीद रहे हैं. साहूकार द्वारा धान ट्रैक्टर के जरिए रांची के राइस मिल में भेजने का काम किया जाता है, जिसके कारण यहां के किसान खुद को ठगा महसूस करते हैं.

किसानों का कहना है कि सरकार ने धान क्रय केंद्र तो खोल दिया है लेकिन वह धान क्रय केंद्र की सुविधा किसानों तक नहीं पहुंच पा रही है. कारण यह है कि धान को क्रय केंद्र तक पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सरकार ने भले ही ₹2,050 धान की कीमत रखी है, लेकिन हम किसानों को इसका लाभ कैसे मिलेगा, यह जानकारी नहीं है

वहीं प्रगतिशील किसान नकुल महतो की मानें तो लैंपस द्वारा धान न खरीदने के कारण किसानों को धान खरीद में दिक्कत आ रही है. इसका कारण है कांके प्रखंड में मात्र दो धान क्रय केंद्र खोले गए हैं. एक कांके अरसंडे में तो दूसरा उरुगुटु में. अगर दोनों जगह की बात करें तो किसानों को अपना धान क्रय केंद्र तक पहुंचाने के लिए ट्रैक्टर या फिर टेंपो का सहारा लेना पड़ता है.

इसके लिए किसानों को भाड़ा चुकाना पड़ता है वहीं दूर होने की वजह से किसान अपनी उपज को धान क्रय केंद्र में नहीं पहुंचा पा रहे हैं. सरकार को एक ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि जिससे किसानों का धान गांव से खरीदा जा सके. धान की उपज गांव में होती है ना कि शहर में और किसान गांव में ही बसते हैं.

ऐसे में जब 20 किलोमीटर का सफर तय कर धान को बेचने जाना पड़े तो किसानों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. यही वजह है कि किसान अपनी उपज की धान को साहूकार के हाथ में औने-पौने दाम पर बेच रहे हैं. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और कम से कम किसानों की धान खरीदने को लेकर एक उचित व्यवस्था करनी चाहिए.

बिचौलिए किसानों को तुरंत देते हैं पैसे

मजबूरी में किसान बिचौलियों को अपनी उपज को बेच रहे हैं इसका वजह सरकारी तंत्र और विभाग की लापरवाही है. वहीं किसानों की मजबूरी का फायदा उठाने वाले बिचौलिए की मानें तो किसानों को पैसे की तत्काल आवश्यकता होती है किसान जब फोन करते हैं तो उनके यहां धान उठाने की भी हम लोगों के पास सुविधा है और लोग जब धान को लेकर हम लोगों पास पहुंचते हैं तो तुरंत हाथों-हाथ किसानों को पैसा दिया जाता है.

सरकार की जो भी व्यवस्था है, लेकिन हम लोग किसान को मजबूर नहीं करते हैं कि हमारे पास धान बेचें लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि किसान से जो भी धान खरीद के लाते हैं उनसे राइस मिल भेजा जाता है.

किसान को 1,100 से ₹1,200 प्रति क्विंटल की धान खरीद कर तत्काल पैसे दे देते हैं. अरसंडे धान क्रय केंद्र के प्रभारी मनोज रजवार ने बताया कि किसानों द्वारा धान लाकर केंद्र में दिया जाता है उसके लिए किसानों को साढ़े 41 केजी का बोरा तैयार करना पड़ता है.

उस बोरी में भरकर किसान ट्रैक्टर के जरिए या फिर ऑटो के जरिए धान क्रय केंद्र में लाते हैं उनकी धान की जांच की जाती है उसके बाद किसानों का धान लिया जाता है किसानों को एक-दो दिन के अंदर उनके खाते में धान की आधी कीमत भेज दी जाती है.

और इसके बाद फिर आधी बाद में भेजी जाती है. इसके लिए किसानों को अपने बोरी में धान को भरकर धान क्रय केंद्र लाना पड़ता है.

रांची जिले में खोले गए 23 धान अधिप्राप्ति केंद्र

उन्होंने बताया कि अब तक 501 किसानों का रजिस्ट्रेशन इस धान क्रय केंद्र में हो चुका है. वहीं खाद आपूर्ति विभाग के मंत्री रामेश्वर उरांव की मानें तो किसानों की धान सही समय पर खरीदा जाए इसके लेकर सरकार द्वारा रांची जिले में कुल 23 धान अधिप्राप्ति केंद्र खोले गए हैं.

साथ ही उन्होंने माना कि धान क्रय केंद्र गांव में न होने की वजह से किसानों को मजबूरी में बिचौलियों के हाथ में धान बेचना पड़ रहा हो लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल जितने धान क्रय केंद्र खोले गए थे. उससे दुगुने इस बार धान क्रय केंद्र खोले गए हैं, ताकि किसानों की धान को सरकार अधिक से अधिक खरीद सके.

उसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार एक ऐसी व्यवस्था निर्धारित कर रही है जिसके जरिए ब्लॉक के पदाधिकारी किसानों के गांव में जाकर किसानों की धान को खरीदने का काम करेंगे, ताकि इन बिचौलियों पर नकेल कसी जा सके. सरकार ने जो भी धान क्रय केंद्र के जरिए धान खरीदने का रखी है निश्चित रूप से पूरा किया जाएगा और इसका सीधा लाभ किसानों को होगा.

यह भी पढ़ेंः अपनी ही सरकार के खिलाफ बोले विधायक सरफराज अहमद, अल्पसंख्यक और पिछड़ों के हालात पर जताई चिंता

सरकार ने इस बार धान को लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर लिया है. साधारण धान 1,868 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है वहीं ग्रेड ए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,888 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है.

इसके साथ ही 182 किसानों को बोनस भी दिया जाएगा. यानी बात करें तो 2,050 रुपए प्रति क्विंटल सरकार किसानों की धान की कीमत रखी है, लेकिन धान क्रय केंद्र में किसानों का धान बिकने की वजह बिचौलिया हैं जो औने-पौने दाम में किसानों से खरीद रहे हैं.

तो ऐसे में सरकार का जो धान खरीदी का जो लक्ष्य है, वह कैसे पूरा होगा यह भी सोचने वाली बात है. सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 2.27 लाख टन धान की खरीदी की थी वहीं वित्तीय वर्ष 2019-20 में 3.24 लाख टन धान की खरीद पूरे राज्य में की गई थी और इस वित्तीय वर्ष 2020 -21 में राज्य में 4.50 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है.

Last Updated : Jan 6, 2021, 12:43 PM IST
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