रांची: झारखंड वज्रपात के लिहाज से काफी संवेदनशील है. मानसून के शुरुआत होते ही जून से सितंबर तक वज्रपात की घटना राज्य में काफी संख्या में होती है. इस वजह से आम लोगों को क्षति पहुंचती है. बिजली विभाग के लिए मानसून का समय किसी सरदर्द से कम नहीं है. आकाशीय बिजली से बचने के लिए बिजली विभाग के ओर से की गई सारी तैयारी धरी की धरी रह जाती है.
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भौगोलिक कारणों से झारखंड में वज्रपात की घटनाएं समतल इलाकों की तुलना में अधिक होती है. बादल के वाष्प कण के आपस में टकराने के कारण अत्यधिक ऊर्जा का सृजन होता है, जो आसमान से धरातल की ओर आकर्षित होकर वज्रपात का रूप धारण कर लेती है, जिसके चपेट में ऊंचे बिजली के पोल और मोबाइल टावर के अलावा बड़ी इमारतों के साथ-साथ बिजली के ट्रांसफर्मर और ट्रांसमिशन लाइन आ जाता है.
ऊर्जा विभाग ने वज्रपात से बचाव के लिए की है तैयारी
आकाशीय बिजली गिरने के कारण हर साल करोड़ों रुपए का नुकसान झेलने वाला झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड ने इससे बचाव के लिए इस बार भी तैयारी की है. बड़े और उंचे बिजली के ट्रांसमिशन लाइन को थंडरिंग से होनेवाले नुकसान से बचाने की तैयारी की गई है. इसके अलावा विद्युत सब स्टेशन से लेकर पावर ग्रीड तक में लाइटनिंग स्टोर लगाए गए हैं, जिससे बिजली उपकरण को बचाया जा सके. महाप्रबंधक पीके श्रीवास्तव के अनुसार मानसून के समय बारिश से उतनी क्षति नहीं होती है, जितनी तेज हवा के साथ थंडरिंग की घटना से होती है, बिजली उपकरण के क्षतिग्रस्त होने से बिजली आपूर्ति को फिर से चालू कराना चुनौतीभरा रहता है, एहतियात के लिए थंडरिंग की आशंका को देखते हुए पावर सप्लाई कुछ देर के लिए बंद कर दी जाती है, जिससे बिजली उपकरण को बचाया जा सके.
मानसून के समय अलर्ट पर रहते हैं विद्युत विभाग के कर्मचारी
सहायक विद्युत अभियंता भास्कर लकड़ा के अनुसार मानसून के समय में सभी सब स्टेशन, पावर स्टेशन और ग्रीड में विभागकर्मी अलर्ट पर रहते हैं, क्योंकि इसका अनुमान लगाना बेहद ही मुश्किल है, कि कब और कहां आकाशीय बिजली गिरेगा और कितनी क्षति होगी. वहीं विभाग के जूनियर इंजीनियर प्रेम दास की मानें तो आकाशीय बिजली लाखों वोल्ट के साथ धरती पर गिरती है, इस दौरान यदि पावर लाइन चपेट में आया तो काफी डैमेज हो जाता है. उन्होंने बताया कि जंम्फर, इंसुलेटर और ट्रांसफर्मर डैमेज होने पर तो कुछ घंटों के अंदर पावर रिस्टोर हो जाता है, लेकिन ट्रांसमिशन लाइन पर वज्रपात होता है, तो इसे दुरुस्त करने में काफी वक्त लग जाता है.
वज्रपात से होनेवाले नुकसान से ऐसे बचें
- वज्रपात के दौरान खुले आसमान के नीचे नहीं रहें
- वज्रपात से बचने के लिए घरों में तड़ित चालक लगवाएं
- जिस वक्त मौसम खराब हो रहा हो और वज्रपात की आशंका दिख रही हो, तो उस समय घर की बिजली के सारे सामान उपकरण को बंद कर दें
- टेलीफोन और बिजली के पोल के अलावा टेलीविजन और टेलीफोन के टावर से दूर रहें
- बिजली की चमक देखकर या गड़गड़ाहट की आवाज सुनकर ऊंचे पेड़ के नीचे नहीं जाएं.
राज्य में वज्रपात से लगभग 2000 लोगों की मौत
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक आकाशीय बिजली के चपेट में आने से राज्य में अब तक करीब 2000 लोगों की मौत हो चुकी है. वज्रपात से जानमाल की क्षति के अलावा बिजली विभाग को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है. ऐसे में मानसून शुरू होते ही बिजली विभाग अलर्ट पर है.