रांचीः झारखंड में भाषा विवाद लगातार गहराता जा रहा है. खासकर राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा मुखर दिख रहे हैं. अब इस विवाद में राजद सुप्रीमो लालू यादव भी कूद पड़े हैं. लालू प्रसाद ने साफ कहा कि भोजपुरिया समाज किसी से नहीं डरता है. अगर यहां के मंत्री हमारी भाषा का विरोध कर रहे हैं तो मैं उनका विरोध करता हूं. मंत्री के बयान में कोई दम नहीं है.
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने लालू यादव के बयान पर कुछ भी बोलने से इनकार किया. ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान शिक्षा मंत्री ने कहा कि लालू यादव जी हमारे नेता हैं. हम उनका सम्मान करते हैं. उनकी टिप्पणी पर कोई बयान नहीं देंगे. हालाकि उन्होंने फिर दोहराया कि धनबाद और बोकारो के गांवों में भोजपुरी भाषा कोई नहीं बोलता है. भोजपुरी भाषा को हटाने के लिए सरकार से आग्रह किया जा चुका है और इसपर जल्द फैसला भी आ जाएगा.
शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि लालू प्रसाद यादव की भाषा भोजपुरी नहीं बल्कि छपरहिया है. उन्होंने कहा कि भोजपुरी सिर्फ बोली जाने वाली भाषा है. इसकी लिपि भी नहीं है. उन्होंने कहा कि बिहार में झारखंड के लोगों को नौकरी नहीं दी जाती है, फिर वहां के लोगों को यहां नौकरी क्यों दी जाए. शिक्षकों के पदस्थापन से जुड़े वादे को पूरा नहीं होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि विभाग इस दिशा में नियमावली बना रही है. उन्होंने कहा कि महिला, पति-पत्नी, बीमारी और दिव्यांगता को आधार बनाकर गृह जिला में पदस्थापन किया जाएगा. दूसरे फेज में कुछ और लोगों को सुविधा देने की कवायद होगी. शिक्षा मंत्री ने कहा कि एक साथ सभी के लिए यह व्यवस्था लागू करने पर शिक्षा व्यवस्था चरमरा सकती थी.
जगरनाथ महतो ने कहा कि इस साल मार्च माह तक 26 हजार शिक्षकों की बहाली से जुड़ी नियमावली तैयार कर ली जाएगी. इसके बाद बहुत जल्द शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया पूरी होगी. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार सरकारी शिक्षा व्यवस्था को निजी स्कूलों के स्टैंडर्ड के समतुल्य करने के लिए प्रतिबद्ध है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि इसकी वजह से शिक्षकों के 60 हजार पद सृजन की कवायद भी चल रही है.