गिरिडीहः झारखंड के गिरिडीह और बिहार के जमुई-नवादा के बॉर्डर इलाके से नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के पांव लगभग उखड़ चुके हैं. इस क्षेत्र के बड़े नक्सली या तो मारे गए या आत्मसमर्पण कर दिया या फिर गिरफ्तार हो गए. पुलिस-अर्द्धसैनिक बलों की लगातार कार्रवाई से नक्सलियों की सरगर्मी क्षेत्र में न के बराबर रही. पिछले कुछ वर्षों से यहां शांति ही है.
इस बीच इसी भाकपा माओवादी नक्सली संगठन से जुड़े रहे दो नक्सलियों ने अलग से अपनी दहशत कायम करने की कोशिश की. दोनों क्षेत्र से लेवी की वसूलने की योजना बना चुके थे और पहला कदम उठा भी लिया था लेकिन गिरिडीह एसपी डॉ विमल और एएसपी अभियान की टीम दोनों के मंसूबे पर न सिर्फ पानी फेर दिया बल्कि दोनों को गिरफ्तार करते हुए जेल भेज दिया. इन नक्सलियों में जमुई जिला के बटिया थाना क्षेत्र के लखनपुर निवासी बुधन मुर्मू एवं बुढ़ियालापर गांव निवासी अनवर अंसारी शामिल हैं. गिरफ्तारी की जानकारी एसपी डॉ. विमल ने दी.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, 12 दिसंबर 2024 को गुनियाथर के मुखिया के पति सह सहायक शिक्षक सफदर अली अहमद को एक नक्सलियों का धमकी भरा पर्चा मिला था. सफदर को नक्सलियों का यह पर्चा उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय हड़मातरी में मिला था. इसके बाद पुन: 05 जनवरी 2025 को सफदर अली को फोन पर धमकी देते हुए लेवी की मांग की गई. पर्चा व फोन पर धमकी मिलने के बाद सफदर और उनका पूरा परिवार काफी भयभीत थे. ऐसे में इसकी जानकारी एसपी डॉ विमल को मिली. इस संबंध में गुनियाथर ओपी में एक कांड अंकित किया गया था.
टीम गठित कर शुरू हुआ अभियान
मामला संज्ञान में आने के बाद एसपी ने एएसपी अभियान सुरजीत कुमार एवं एसडीपीओ खोरीमहुआ राजेंद्र प्रसाद की अगुवाई में एक टीम का गठन कर मामले का उद्भेदन करने एवं अपराधियों के धर पकड़ करने का निर्देश दिया. एएसपी और एसडीपीओ की टीम ने इसी कड़ी में टीम ने झारखंड और बिहार के अलग-अलग स्थानों पर छापामारी कर बुधन मुर्मू एवं अनवर अंसारी को धर दबोचा. एसपी डॉ. विमल ने बताया कि गिरफ्तार दोनों नक्सलियों के निशानदेही पर मुखिया के पति सफदर को धमकी देने के लिए उपयोग में लाया गया मोबाइल बरामद किया गया है.
सिद्धू कोड़ा का था सक्रिय मेंबर
एसपी ने बताया कि गिरफ्तार दोनों नक्सली का आपराधिक इतिहास रहा है. दोनों बिहार के कई नक्सली कांड में शामिल रहे हैं. अनवर अंसारी व बुधन मुर्मू के विरूद्ध चरकापत्थर थाना में कांड संख्या 91/2017 दर्ज है. दोनों नक्सली कमांडर सिद्धु कोडा के दस्ता के सदस्य रहे हैं. यहां बता दें कि सिद्धू कोड़ा भाकपा माओवादी का कुख्यात नक्सली रहा था. संगठन के प्लाटून कमांडर सिद्धू 2001 में संगठन में शामिल हुआ था. इसके जिम्मे गिरिडीह, कोडरमा तो बिहार के जमुई-नवादा, लखीसराय और बांका का जिम्मा था. कई घटनाओं में सिद्धू का नाम आया था. जमुई जिले के चकाई थाना इलाके के निहालडीह के रहनेवाले इस नक्सली को फरवरी 2020 में दुमका से गिरफ्तार किया गया था. हालांकि गिरफ्तारी के बाद ही सिद्धू की मौत बीमारी से हो गई थी.
दहशत कायम करना चाहता था अनवर, अलग टीम बनाने की थी योजना
नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान के कारण इस इलाके के नक्सली शांत पड़ गए. अनवर भी गिरफ्तारी की डर से शांत हो गया था. इस बीच कई महीनों की शांति और संगठन की शिथिलता का फायदा उठाने की फिराक में अनवर जुट गया. अनवर अपनी दहशत कायम करना चाहता था. इसी उद्देश्य से उसने अपने साथ संगठन के पुराने साथी बुधन को जोड़ा. फिर लेवी की चिठ्ठी सफदर को दे डाली.
पुलिसिया छानबीन में यह भी जानकारी मिली कि संगठन भाकपा माओवादी का कई पर्चा भी अनवर के पास था. चूंकि वह संगठन से जुड़ा था तो उसी अनुभव का लाभ उठाकर वह अपना अलग से दहशत बनाने में जुट गया. वह पुराने साथियों को जोड़ कर इस चक्कर में था कि लेवी से होने वाली कमाई अब उसका होगा. पुलिसिया पूछताछ में उसने इन बातों की जानकारी भी दी है.
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