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कोरोना की वजह से बढ़ी पुरानी कार की मांग, लोगों की बदली जीवन शैली

कोरोना की वजह से दिन प्रतिदिन लोगों के जीने की शैली में परिवर्तन हो रहा है. लोग सुरक्षा के दृष्टिकोण से सार्वजनिक जगहों पर जाने से परहेज कर रहे हैं. ऐसे तो उच्च वर्ग के परिवारों के पास पहले से ही निजी वाहन हैं, ताकि वह सार्वजनिक परिवहन सेवा से बच सकें, लेकिन अब मध्यम वर्ग फैमिली भी कोरोना की वजह से निजी वाहन खरीदने की ओर अपना रूख कर रही हैं. इससे पुरानी कार की मांग में बढ़ोतरी हुई है.

कोरोना की वजह से बढ़ी पुरानी कार की मांग
old car on Demand due to Corona in Jharkhand
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Published : Nov 8, 2020, 9:50 PM IST

रांची: पहले एक घर में कार आती थी तो कई घरों का काम हो जाता था, लेकिन कोरोना की वजह से स्थिति बदल चुकी है. अब हर घर के लोग अपनी-अपनी कार पर चलना पसंद कर रहे हैं. कोरोना की वजह से दिन प्रतिदिन लोगों के जीने की शैली में परिवर्तन हो रहा है. लोग सुरक्षा के दृष्टिकोण से सार्वजनिक जगहों पर जाने से परहेज कर रहे हैं. ऐसे तो उच्च वर्ग के परिवारों के पास पहले से ही निजी वाहन है, ताकि वह सार्वजनिक परिवहन सेवा से बच सकें, लेकिन अब मध्यम वर्ग फैमिली भी कोरोना की वजह से निजी वाहन खरीदने की ओर अपना रूख दिखा रहे हैं. इसके लिए पुरानी गाड़ियों का शोरूम अब काफी कारगर साबित हो रहा है.

देखें स्पेशल खबर

नई गाड़ी खरीदना महंगा होने से पुरानी कार की ओर रूझान

रांची के कोकर स्थित ट्रू वैल्यू शोरूम के मैनेजर राजेश मिश्रा बताते हैं कि पहले लोग नई गाड़ियों के तरफ रुख करते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद से लोगों के पास कहीं ना कहीं पैसे का अभाव हुआ है. इस वजह से लोग पुरानी गाड़ी खरीदकर अपने और अपने परिवार को सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं, मैनेजर राजेश मिश्रा बताते हैं कि नई गाड़ी खरीदने में लोगों को कम से कम 5 लाख रुपये लग जाते हैं और फिर उस गाड़ी पर डेप्रिसिएशन चार्ज भी बहुत ज्यादा लगता है. जैसे कि अगर कोई ग्राहक नई गाड़ी खरीदते हैं तो उस पर डेप्रिसिएशन चार्ज प्रति वर्ष 15 से 25 प्रतिशत तक आ जाता है, जिसके बाद उस नई गाड़ी की कीमत एक्स-शोरूम प्राइस से काफी कम हो जाती है.

ये भी पढ़ें-लंबी खिंच सकती है बाइडेन-ट्रंप की रेस, 6 प्रमुख राज्यों में मतगणना जारी

लोग कम बेच रहे अपनी गाड़ी

राजेश मिश्रा का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति नई गाड़ी खरीदने में पांच लाख रुपये खर्च करता है और उसी गाड़ी को एक से डेढ़ साल बाद अगर वह बेचता है तो उस गाड़ी की कीमत 3 से साढे़ तीन लाख हो जाती है. पुरानी गाड़ी के शोरूम के मैनेजर बताते हैं कि जिस प्रकार से कोरोना के बाद पुरानी गाड़ियों की डिमांड बढ़ी है, ग्राहकों की डिमांड पूरी नहीं हो पा रही हैं. पुरानी गाड़ियों का व्यापार करने वाले लोगों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद नई गाड़ियों की खरीदारी में कमी हुई है, इसलिए पुरानी गाड़ी को लोग कम बेच रहे हैं. इसका मतलब यह है कि लोग कोरोना के डर से पुरानी गाड़ियां खरीदने के लिए आ तो रहे हैं, लेकिन पुरानी गाड़ियों के शोरूम वाले लोगों की डिमांड को पूरी नहीं कर पा रहे हैं. कई लोगों को बैरंग वापस लौटना पड़ रहा है.

पुरानी गाड़ियों की बढ़ी मांग

पुराने गाड़ियों के जानकार बताते हैं कि आज की तारीख में पुरानी गाड़ियों की बिक्री अत्यधिक बढ़ गई है. लोग खुद और अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए अपनी गाड़ी से जाना ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं. यह भी जानकारी मिली है कि जो लोग पहले निजी गाड़ी का उपयोग नहीं करते थे, वैसे लोग भी आज की तारीख में गाड़ी खरीदना चाह रहे हैं. पहले वैसे लोग ही गाड़ी खरीदते थे, जो अत्यधिक रईस होते थे या अच्छी नौकरी में होते थे, लेकिन अब कोरोना के डर से निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के लोग भी निजी कार खरीदने पुरानी गाड़ियों के शोरूम में पहुंच रहे हैं.

ये भी पढ़ें-9 नवंबर को होगी हेमंत कैबिनेट की बैठक, कई प्रस्तावों पर लगेगी मुहर

गाड़ी खरीदते समय इन बातों का रखें ख्याल

पूरानी गाड़ी खरीदते समय ग्राहकों को किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहए. पुरानी गाड़ियों के जानकार बताते हैं कि पुरानी गाड़ी खरीदने के समय सबसे पहले ये देखना चाहये कि गाड़ी ऐक्सीडेंटल तो नहीं है. गाड़ी के चेचिस का विशेष ध्यान रखना चाहिए. अगर गाड़ी के चेचिस और इंजिन में किसी तरह की गड़बड़ी है तो फिर वह गाड़ी नहीं खरीदनी चाहिए. पुरानी गाड़ी खरीदते समय उसके सर्विस रिकॉर्ड को जरूर पढ़ना चाहिए, जिससे यह पता चले कि गाड़ी का कितनी बार सर्विसिंग हो चुका है. गाड़ी के रजिस्ट्रेशन डेट का भी ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि परिवहन विभाग की तरफ से प्रदूषण नियंत्रण के लिए 15 साल तक की पुरानी गाड़ियों को चलने की अनुमति दी गई है.

पुरानी गाड़ियां वरदान

पुरानी गाड़ी खरीदने के लिए विधिवत डीलरशिप के पास जाना चाहिए या फिर किसी जान पहचान के लोगों से ही गाड़ी खरीदनी चाहिए, ताकि कानूनन और तकनीकी रूप से भी लोगों को परेशानी ना झेलना पड़े. कोरोना काल में सेकेंडहैंड गाड़ियों की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि ज्यादा से ज्यादा लोग खुद के बचाव के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग नहीं करना चाह रहे हैं. वैसे लोगों के लिए कोरोना काल में पुरानी गाड़ियां वरदान साबित हो रही हैं.

रांची: पहले एक घर में कार आती थी तो कई घरों का काम हो जाता था, लेकिन कोरोना की वजह से स्थिति बदल चुकी है. अब हर घर के लोग अपनी-अपनी कार पर चलना पसंद कर रहे हैं. कोरोना की वजह से दिन प्रतिदिन लोगों के जीने की शैली में परिवर्तन हो रहा है. लोग सुरक्षा के दृष्टिकोण से सार्वजनिक जगहों पर जाने से परहेज कर रहे हैं. ऐसे तो उच्च वर्ग के परिवारों के पास पहले से ही निजी वाहन है, ताकि वह सार्वजनिक परिवहन सेवा से बच सकें, लेकिन अब मध्यम वर्ग फैमिली भी कोरोना की वजह से निजी वाहन खरीदने की ओर अपना रूख दिखा रहे हैं. इसके लिए पुरानी गाड़ियों का शोरूम अब काफी कारगर साबित हो रहा है.

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नई गाड़ी खरीदना महंगा होने से पुरानी कार की ओर रूझान

रांची के कोकर स्थित ट्रू वैल्यू शोरूम के मैनेजर राजेश मिश्रा बताते हैं कि पहले लोग नई गाड़ियों के तरफ रुख करते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद से लोगों के पास कहीं ना कहीं पैसे का अभाव हुआ है. इस वजह से लोग पुरानी गाड़ी खरीदकर अपने और अपने परिवार को सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं, मैनेजर राजेश मिश्रा बताते हैं कि नई गाड़ी खरीदने में लोगों को कम से कम 5 लाख रुपये लग जाते हैं और फिर उस गाड़ी पर डेप्रिसिएशन चार्ज भी बहुत ज्यादा लगता है. जैसे कि अगर कोई ग्राहक नई गाड़ी खरीदते हैं तो उस पर डेप्रिसिएशन चार्ज प्रति वर्ष 15 से 25 प्रतिशत तक आ जाता है, जिसके बाद उस नई गाड़ी की कीमत एक्स-शोरूम प्राइस से काफी कम हो जाती है.

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लोग कम बेच रहे अपनी गाड़ी

राजेश मिश्रा का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति नई गाड़ी खरीदने में पांच लाख रुपये खर्च करता है और उसी गाड़ी को एक से डेढ़ साल बाद अगर वह बेचता है तो उस गाड़ी की कीमत 3 से साढे़ तीन लाख हो जाती है. पुरानी गाड़ी के शोरूम के मैनेजर बताते हैं कि जिस प्रकार से कोरोना के बाद पुरानी गाड़ियों की डिमांड बढ़ी है, ग्राहकों की डिमांड पूरी नहीं हो पा रही हैं. पुरानी गाड़ियों का व्यापार करने वाले लोगों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद नई गाड़ियों की खरीदारी में कमी हुई है, इसलिए पुरानी गाड़ी को लोग कम बेच रहे हैं. इसका मतलब यह है कि लोग कोरोना के डर से पुरानी गाड़ियां खरीदने के लिए आ तो रहे हैं, लेकिन पुरानी गाड़ियों के शोरूम वाले लोगों की डिमांड को पूरी नहीं कर पा रहे हैं. कई लोगों को बैरंग वापस लौटना पड़ रहा है.

पुरानी गाड़ियों की बढ़ी मांग

पुराने गाड़ियों के जानकार बताते हैं कि आज की तारीख में पुरानी गाड़ियों की बिक्री अत्यधिक बढ़ गई है. लोग खुद और अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए अपनी गाड़ी से जाना ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं. यह भी जानकारी मिली है कि जो लोग पहले निजी गाड़ी का उपयोग नहीं करते थे, वैसे लोग भी आज की तारीख में गाड़ी खरीदना चाह रहे हैं. पहले वैसे लोग ही गाड़ी खरीदते थे, जो अत्यधिक रईस होते थे या अच्छी नौकरी में होते थे, लेकिन अब कोरोना के डर से निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के लोग भी निजी कार खरीदने पुरानी गाड़ियों के शोरूम में पहुंच रहे हैं.

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गाड़ी खरीदते समय इन बातों का रखें ख्याल

पूरानी गाड़ी खरीदते समय ग्राहकों को किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहए. पुरानी गाड़ियों के जानकार बताते हैं कि पुरानी गाड़ी खरीदने के समय सबसे पहले ये देखना चाहये कि गाड़ी ऐक्सीडेंटल तो नहीं है. गाड़ी के चेचिस का विशेष ध्यान रखना चाहिए. अगर गाड़ी के चेचिस और इंजिन में किसी तरह की गड़बड़ी है तो फिर वह गाड़ी नहीं खरीदनी चाहिए. पुरानी गाड़ी खरीदते समय उसके सर्विस रिकॉर्ड को जरूर पढ़ना चाहिए, जिससे यह पता चले कि गाड़ी का कितनी बार सर्विसिंग हो चुका है. गाड़ी के रजिस्ट्रेशन डेट का भी ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि परिवहन विभाग की तरफ से प्रदूषण नियंत्रण के लिए 15 साल तक की पुरानी गाड़ियों को चलने की अनुमति दी गई है.

पुरानी गाड़ियां वरदान

पुरानी गाड़ी खरीदने के लिए विधिवत डीलरशिप के पास जाना चाहिए या फिर किसी जान पहचान के लोगों से ही गाड़ी खरीदनी चाहिए, ताकि कानूनन और तकनीकी रूप से भी लोगों को परेशानी ना झेलना पड़े. कोरोना काल में सेकेंडहैंड गाड़ियों की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि ज्यादा से ज्यादा लोग खुद के बचाव के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग नहीं करना चाह रहे हैं. वैसे लोगों के लिए कोरोना काल में पुरानी गाड़ियां वरदान साबित हो रही हैं.

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