रांची: आदिवासियों की सदियों पुरानी धार्मिक पहचान की मांग पर विवाद खड़ा होता दिख रहा है. इन दिनों दो अलग-अलग नामों से धार्मिक पहचान की मांग हो रही है. एक गुट सरना धर्म कोड की मांग कर रहा है तो दूसरा गुट आदिवासी धर्म कोड की. इससे इनकी धार्मिक पहचान की मांग पर असर पड़ने की आशंका है.
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पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने देश के सभी जनजातियों को एकमत करने पर जोर देने की बात कही है. आजाद भारत में अपने संवैधानिक अधिकार से वंचित रहे. आदिवासी समाज के लोग लगातार संघर्ष कर रहे हैं, ताकि 2021 के जनगणना प्रपत्र में इन्हें शामिल किया जाए. इससे पहले कई संगठन सरना धर्म कोड की मांग कर चुके हैं. इसको लेकर पिछले दिनों आंदोलन भी हुआ था.