रांची: राजधानी में चोर-उचक्कों, स्नैचर्स और अपराध की घटना को अंजाम देकर फरार होने अपराधियों के धर-पकड़ के लिए एंटी क्राइम चेकिंग के पुराने पैटर्न को बदल दिया गया है. राजधानी में अब स्टैटिक चेकिंग को खत्म करते हुए कोड सिस्टम से एंटी क्राइम चेकिंग शुरू की गई है.
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स्टैटिक चेकिंग हुआ था फेल: दरअसल, पहले राजधानी रांची में एंटी क्राइम चेकिंग स्टैटिक तरीके से होता था. इसमें कुछ हॉटस्पॉट चिन्हित किए गए थे, जहां वायरलेस पर आदेश जारी होते ही सभी थानों की टीम एंटी क्राइम चेकिंग अभियान शुरू कर देती थी. लेकिन इस एंटी क्राइम चेकिंग का कोई फायदा पुलिस को मिल नहीं रहा था. दरअसल, अपराधियों को यह जानकारी हो गई थी कि पुलिस किन जगहों पर चेकिंग करेगी. ऐसे में वे उन रास्तों को बदल कर फरार होने लगे.
स्टैटिक चेकिंग की वजह से ही राजधानी रांची में अचानक मोबाइल और सोने की चेन की छिनतई के मामले बढ़ गए. रांची पुलिस के वरीय अफसरों ने जब इस पर मंथन किया, तब उन्हें यह समझ आया कि अपराधी पुलिस के एंटी क्राइम चेकिंग के मॉडल को समझ चुके हैं. जिसके बाद यह तय हुआ कि अब रांची पुलिस कोड सिस्टम के तहत एंटी क्राइम चेकिंग शुरू करेगी.
क्या है कोड सिस्टम: रांची पुलिस के वरीय अफसरों ने एंटी क्राइम चेकिंग अभियान के लिए ए, बी और सी प्लान तैयार किया. इस प्लान के तहत ए, बी और सी में 5 से 6 हॉट स्पॉट चिन्हित किया गया. ए प्लान में अति संवेदनशील हॉटस्पॉट शामिल है, जबकि बी और सी में कम संवेदनशील हॉटस्पॉट को रखा गया है. एंटी क्राइम चेकिंग में शामिल जवानों तक को यह पता अंत तक नहीं रहता है कि उन्हें किस प्लान के तहत चेकिंग करनी है.
चेकिंग से ठीक आधे घंटे पहले डीएसपी और थाना प्रभारियों को इससे संबंधित निर्देश जारी किया जाता है, जिसके बाद में समझ आता है कि आज राजधानी में ए या बी या फिर सी कोड प्लान के तहत चेकिंग करना है. प्लान के द्वारा जारी किए गए कोड के आधार पर पुलिस अब एंट्री क्राइम चेकिंग चला रही है. ऐसे में पुलिस कहां पर एंटी क्राइम चेकिंग चलाई जाएगी. इसकी जानकारी सिर्फ वरीय अधिकारियों को ही होती है. जिन अफसरों और पुलिसकर्मियों को एंटी क्राइम चेकिंग में शामिल होना होता है, वह आदेश जारी होते ही वहां चेकिंग शुरू कर देते हैं.
फायदा मिल रहा है कोड सिस्टम का: रांची रेंज के डीआईजी अनूप बिरथरे ने बताया कि कोड सिस्टम के जरिए हो रही एंटी क्राइम चेकिंग की वजह से शहर में कम से कम छिनतई की वारदातों में काफी हद तक कमी आई है. इस प्लान को बेहतर तरीके से और कारगर बनाने की प्रक्रिया जारी है, ताकि आपराधिक वारदातों को अंजाम देने से पहले अपराधियों की धरपकड़ हो सके या फिर अगर वे अपराधी घटना को अंजाम देकर फरार होने की भी कोशिश करते हैं तब भी पकड़े जा सके.