रांची: रामगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस की हार के बाद अब कांग्रेस उसके समीक्षा और मंथन में जुटी है. बात सिर्फ रामगढ़ चुनाव के बाद रांची के प्रदेश कार्यालय में नहीं, बल्कि दिल्ली में भी चर्चा का विषय बनी हुई है कि आखिर रामगढ़ हार की मूल वजह क्या बनी है.
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रामगढ़ हार के कई पहलू हैं जिन पर चर्चा हो रही है. क्योंकि कांग्रेस अपनी सीटिंग सीट हारी है तो ऐसे में प्रदेश से लेकर के आलाकमान तक की इस बात की समीक्षा और चर्चा हो रही है, कि रामगढ़ हार की वजह क्या बनी. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इस बात को भी चर्चा में लाया है कि मतदान के 1 दिन पहले जिस तरीके से बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने कानून व्यवस्था को लेकर के सवाल उठाया और अपनी सरकार पर ही आरोप लगा दिया. माना यह भी जा रहा है कि जनता के बीच कानून व्यवस्था को लेकर एक अविश्वास पैदा हुआ जो भी हार की एक वजह हो सकती है.
इस बात पर कोई खुलकर तो किसी तरह की बात कहने को तैयार नहीं है, लेकिन इस चीज की चर्चा जरूर है कि जब अपने लोग ही अपनी सरकार की कार्यप्रणाली से खुश नहीं हैं, तो जनता के बीच विकास की बात को कैसे रखा जा सकता है. रामगढ़ उपचुनाव सीएम हेमंत सोरेन के लिए भी प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ था, कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी. हेमंत सोरेन ने डेरा डाल दिया था, लेकिन उसके बाद भी जिस अंतर से कांग्रेस की हार हुई है. वह कांग्रेस को आसानी से पच नहीं रही है.
झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने मीडिया से बात करते हुए यह बात कही थी कि रामगढ़ उपचुनाव हार की कोई एक वजह नहीं है. एक बयान हार जीत की वजह नहीं हो सकता है. लेकिन यह जरूर है अगर अपनी सरकार पर कानून व्यवस्था को लेकर टिप्पणियां हो रही हैं और सवाल उठ रहे हैं तो निश्चित तौर पर यह समीक्षा का विषय है.
जनता के बीच अच्छा मैसेज नहीं जाता है, अंबा प्रसाद और योगेंद्र साहू को लेकर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी तो नहीं की गई, लेकिन रामगढ़ में जिस तरीके से कानून व्यवस्था को लेकर के अंबा प्रसाद ने सवाल उठाया था, वह कांग्रेस की चर्चा में जरूर है. अब रामगढ़ हार का ठीकरा किसके सिर फोड़ा जाएगा यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा, लेकिन कांग्रेस को रामगढ़ की हार खल बहुत रही है. वह भी 60-40 वाले मुद्दे को लेकर.