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विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नए चेहरों पर लगा सकती है दांव, बीजेपी का दावा नही पड़ेगा इससे कोई फर्क - रांची न्यूज

आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपना एजेंडा तैयार करने में जुट गई है. प्रदेश कांग्रेस चुनाव में नए चेहरों पर बाजी लगा सकती है, वहीं प्रदेश बीजेपी का मानना है, कि विपक्ष की कांग्रेस पार्टी महागठबंधन के तहत चुनाव लड़े या अकेले लड़े, इससे बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.

विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी सभी पार्टियां
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Published : Jun 24, 2019, 1:56 PM IST

रांची: प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपना एजेंडा तैयार करने में जुट गई है. प्रदेश कांग्रेस चुनाव में नए चेहरों पर बाजी लगा सकती है. अगर महागठबंधन का स्वरूप नहीं बनता है तो कांग्रेस के लिए विधानसभा सीट पर नए चेहरों को ही उतारना मजबूरी होगी.

देखें पूरी खबर

प्रदेश बीजेपी का मानना है, कि विपक्ष की कांग्रेस पार्टी महागठबंधन के तहत चुनाव लड़े या अकेले लड़े, इससे बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, इसके साथ ही बीजेपी राज्य में फिर से सरकार बनाने का दावा भी किया.

कांग्रेस के पूर्व सांसद, सांसद, पूर्व विधायक और विधायक को छोड़ दें तो विधानसभा के 81 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए पार्टी के पास चेहरे नहीं हैं. लिहाजा नए चेहरों पर भरोसा करने के अलावा पार्टी के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है, और अगर आगामी विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को लेकर बात नहीं बनती है, तो कांग्रेस को नए चेहरों पर ही भरोसा करना मजबूरी हो जाएगी. प्रदेश कांग्रेस के पुराने चेहरों की बात करें तो महज 2 दर्जन से ज्यादा ऐसे चेहरे नही हैं. जो चुनावी मैदान का अनुभव रखते हों और वो पहचान के मोहताज भी नही है.


ऐसे में प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर ने कहा कि पुराने कांग्रेसी नेताओं का पार्टी हमेशा से लिहाज करती आई है. उन्होंने पार्टी के पास 81 विधानसभा सीट के लिए चेहरों की कमी नहीं होने की बात कही है, लेकिन नए चेहरों को भी इसमें सम्मिलित किए जाने की उम्मीद जताई है. ताकि सही तालमेल के साथ विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी चुनाव लड़ सके. राजेश ठाकुर ने कहा कि लोकसभा चुनाव में भी प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय के नेतृत्व में नए उम्मीदवारों को मौका दिया गया था. उसी तरह विधानसभा चुनाव में भी नए चेहरों को मौका मिल सकता है.


हालांकि विपक्ष कि कांग्रेस पार्टी के नए चेहरों के प्रयोग के सवाल पर राज्यसभा सांसद समीर उरांव का मानना है कि विपक्षी दल महागठबंधन के तहत चुनाव लड़े या अकेले लड़े. इससे बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. जिस तरह से लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ डबल इंजन की सरकार को जनादेश मिला है और फिर से मोदी सरकार केंद्र में स्थापित हुई है. उसी तरह विधानसभा चुनाव में भी झारखंड में बीजेपी की सरकार दुबारा बनेगी.

ऐसे में प्रदेश कांग्रेस के पुराने चेहरों की बात करें तो इसमें डॉ अजय कुमार, प्रदीप बलमुचू, डॉ रामेश्वर उरांव, सुबोधकांत सहाय, धीरज साहू, फुरकान अंसारी, राजेंद्र सिंह, गीताश्री उरांव, कालीचरण मुंडा, बन्ना गुप्ता, सुखदेव भगत, मनोज यादव, विक्सल कोंगाडी, इरफान अंसारी, बिट्टू सिंह, आलमगीर आलम, बादल पत्रलेख, केएन त्रिपाठी, मन्नान मलिक, प्रदीप तुलस्यान और निर्मला देवी जैसे चेहरे शामिल हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में जिस तरह से उम्मीदवारों का सलेक्शन हुआ उससे यह कहना गलत नहीं होगा कि विधानसभा चुनाव में भी प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार के नेतृत्व में नया प्रयोग नए चेहरों के साथ हो सकता है.

रांची: प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपना एजेंडा तैयार करने में जुट गई है. प्रदेश कांग्रेस चुनाव में नए चेहरों पर बाजी लगा सकती है. अगर महागठबंधन का स्वरूप नहीं बनता है तो कांग्रेस के लिए विधानसभा सीट पर नए चेहरों को ही उतारना मजबूरी होगी.

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प्रदेश बीजेपी का मानना है, कि विपक्ष की कांग्रेस पार्टी महागठबंधन के तहत चुनाव लड़े या अकेले लड़े, इससे बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, इसके साथ ही बीजेपी राज्य में फिर से सरकार बनाने का दावा भी किया.

कांग्रेस के पूर्व सांसद, सांसद, पूर्व विधायक और विधायक को छोड़ दें तो विधानसभा के 81 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए पार्टी के पास चेहरे नहीं हैं. लिहाजा नए चेहरों पर भरोसा करने के अलावा पार्टी के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है, और अगर आगामी विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को लेकर बात नहीं बनती है, तो कांग्रेस को नए चेहरों पर ही भरोसा करना मजबूरी हो जाएगी. प्रदेश कांग्रेस के पुराने चेहरों की बात करें तो महज 2 दर्जन से ज्यादा ऐसे चेहरे नही हैं. जो चुनावी मैदान का अनुभव रखते हों और वो पहचान के मोहताज भी नही है.


ऐसे में प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर ने कहा कि पुराने कांग्रेसी नेताओं का पार्टी हमेशा से लिहाज करती आई है. उन्होंने पार्टी के पास 81 विधानसभा सीट के लिए चेहरों की कमी नहीं होने की बात कही है, लेकिन नए चेहरों को भी इसमें सम्मिलित किए जाने की उम्मीद जताई है. ताकि सही तालमेल के साथ विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी चुनाव लड़ सके. राजेश ठाकुर ने कहा कि लोकसभा चुनाव में भी प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय के नेतृत्व में नए उम्मीदवारों को मौका दिया गया था. उसी तरह विधानसभा चुनाव में भी नए चेहरों को मौका मिल सकता है.


हालांकि विपक्ष कि कांग्रेस पार्टी के नए चेहरों के प्रयोग के सवाल पर राज्यसभा सांसद समीर उरांव का मानना है कि विपक्षी दल महागठबंधन के तहत चुनाव लड़े या अकेले लड़े. इससे बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. जिस तरह से लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ डबल इंजन की सरकार को जनादेश मिला है और फिर से मोदी सरकार केंद्र में स्थापित हुई है. उसी तरह विधानसभा चुनाव में भी झारखंड में बीजेपी की सरकार दुबारा बनेगी.

ऐसे में प्रदेश कांग्रेस के पुराने चेहरों की बात करें तो इसमें डॉ अजय कुमार, प्रदीप बलमुचू, डॉ रामेश्वर उरांव, सुबोधकांत सहाय, धीरज साहू, फुरकान अंसारी, राजेंद्र सिंह, गीताश्री उरांव, कालीचरण मुंडा, बन्ना गुप्ता, सुखदेव भगत, मनोज यादव, विक्सल कोंगाडी, इरफान अंसारी, बिट्टू सिंह, आलमगीर आलम, बादल पत्रलेख, केएन त्रिपाठी, मन्नान मलिक, प्रदीप तुलस्यान और निर्मला देवी जैसे चेहरे शामिल हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में जिस तरह से उम्मीदवारों का सलेक्शन हुआ उससे यह कहना गलत नहीं होगा कि विधानसभा चुनाव में भी प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार के नेतृत्व में नया प्रयोग नए चेहरों के साथ हो सकता है.

Intro:रांची.प्रदेश कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में नए चेहरों पर बाजी लगा सकती है.अगर महागठबंधन का स्वरूप नहीं बनता है तो कांग्रेस के लिए विधानसभा सीट पर नए चेहरों को ही उतारना मजबूरी होगी.लेकिन प्रदेश बीजेपी का मानना है कि विपक्ष की कांग्रेस पार्टी महागठबंधन के तहत चुनाव लड़े या अकेले लड़े. इससे पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.बल्कि राज्य में दुबारा बीजेपी की सरकार बनेगी.







Body:कांग्रेस के पूर्व सांसद,सांसद,पूर्व विधायक और विधायक को छोड़ दें तो विधानसभा के 81 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए पार्टी के पास चेहरे नही है.लिहाजा नए चेहरों पर भरोसा करने के अलावा पार्टी के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है और अगर आगामी विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को लेकर बात नहीं बनती है. तो कांग्रेस को नए चेहरों पर ही भरोसा करना मजबूरी हो जाएगी. प्रदेश कांग्रेस के पुराने चेहरों की बात करें तो महज 2 दर्जन से ज्यादा ऐसे चेहरे नही हैं.जो चुनावी मैदान का अनुभव रखते हों और वो पहचान के मोहताज भी नही है.


ऐसे में प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर ने कहा है कि पुराने कांग्रेसी नेताओं का पार्टी हमेशा से लिहाज करती आई है. उन्होंने पार्टी के पास 81 विधानसभा सीट के लिए चेहरों की कमी नहीं होने की बात कही है. लेकिन नए चेहरों को भी इसमें सम्मिलित किए जाने की उम्मीद जताई है. ताकि सही तालमेल के साथ विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी चुनाव लड़ सके. उन्होंने कहा है कि लोकसभा चुनाव में भी प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय के नेतृत्व में नए उम्मीदवारों को मौका दिया गया था. उसी तरह विधानसभा चुनाव में भी नए चेहरों को मौका मिल सकता है.


Conclusion:हालांकि विपक्ष कि कांग्रेस पार्टी के नए चेहरों के प्रयोग के सवाल पर राज्यसभा सांसद समीर उरांव का मानना है कि विपक्षी दल महागठबंधन के तहत चुनाव लड़े या अकेले लड़े. इससे बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. जिस तरह से लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ डबल इंजन की सरकार को जनादेश मिला है और फिर से मोदी सरकार केंद्र में स्थापित हुई है. उसी तरह विधानसभा चुनाव में भी झारखंड में बीजेपी की सरकार दुबारा बनेगी.


ऐसे में प्रदेश कांग्रेस के पुराने चेहरों की बात करें तो इसमें डॉ अजय कुमार,प्रदीप बलमुचू,डॉ रामेश्वर उरांव,सुबोधकांत सहाय,धीरज साहू, फुरकान अंसारी, राजेंद्र सिंह,गीताश्री उरांव,कालीचरण मुंडा,बन्ना गुप्ता, सुखदेव भगत, मनोज यादव,विक्सल कोंगाडी, इरफान अंसारी, बिट्टू सिंह,आलमगीर आलम, बादल पत्रलेख, केएन त्रिपाठी, मन्नान मलिक,प्रदीप तुलस्यान और निर्मला देवी जैसे चेहरे शामिल है.लेकिन लोकसभा चुनाव में जिस तरह से उम्मीदवारों का सलेक्शन हुआ.उससे यह कहना गलत नहीं होगा कि विधानसभा चुनाव में भी प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार के नेतृत्व में नया प्रयोग नए चेहरों के साथ हो सकता है.

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