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Jharkhand News: सत्ता के साथी, संघर्ष में रहते हैं दूर-दूर, झारखंड में कांग्रेस अकेले करती है आंदोलन, झामुमो-राजद खामोश - झारखंड न्यूज

झारखंड में कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार की नीतियों के विरूद्ध आंदोलन करती रही है. लेकिन इन आदोलनों में उसे सत्ता में सहयोगी दल जेएमएम और आरजेडी का उसे साथ नहीं मिला है.

Congress agitates alone in Jharkhand
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Published : Mar 20, 2023, 9:57 AM IST

Updated : Mar 20, 2023, 10:16 AM IST

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रांचीः भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई नीतियों को गलत बताकर कांग्रेस लगातार झारखंड में सड़क पर संघर्ष करती नजर आती है. महंगाई, बेरोजगारी, सरकारी संस्थानों में विनिवेश और अब हिंडनबर्ग-अडाणी प्रकरण जैसे एक के बाद एक कई मुद्दे हैं, जिसमें संघर्ष के दौरान कांग्रेस अकेली सड़क पर नजर आयी. राज्य में एक साथ सत्ता का सुख ले रहे दो अन्य सहयोगी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल के नेता और कार्यकर्ता इन मुद्दों पर न सिर्फ खामोश रहे बल्कि कहीं भी सड़क पर नजर नहीं आए. ऐसे में अब सवाल यह भी उठने लगे हैं कि क्या राज्य में कांग्रेस-राजद और झामुमो की दोस्ती सिर्फ सत्ता के लिए है ? संघर्ष में एक दूसरे का साथ देने के लिए ये दोस्ती नहीं है.

ये भी पढ़ेंः Jamtara News: आजसू पार्टी का आदिवासी महासम्मेलन, सुदेश महतो ने किया जनजातीय समाज से एकजुट होने का आह्वान

मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ अकेले संघर्ष कर रहे कांग्रेस के नेताः पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने आज नहीं तो कल, सहयोगी दलों के भी मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़क पर उतरने की उम्मीद जताई. सुबोधकांत सहाय ने कहा कि हम घोर पूंजीवाद, बेरोजगारी, महंगाई, सरकारी संस्थानों को केंद्र की सरकार द्वारा बेचने के खिलाफ सड़क पर हैं. उन्होंने कहा कि हमारे नेता राहुल गांधी ने चार हजार किलोमीटर पैदल चलकर इन सवालों को बुलंद किया है. महंगाई, बेरोजगारी, पूंजीपति मित्र को मदद पहुंचाने के लिए सरकारी संस्थाओं और आम जनता के हितों को ताक पर रख देने की मोदी सरकार की नीति जैसे सवाल राहुल गांधी ने उठाया है. वह सवाल कांग्रेस आगे भी उठाती रहेगी.

वहीं कांग्रेस की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने केंद्र की नीतियों के खिलाफ कांग्रेस के संघर्ष से सहयोगी दलों की दूरी के सवाल पर कहा कि सत्ता में साथ हैं, इसका मतलब है कि वह हमारे साथ हैं. उन्होंने कहा कि लोकसभा में हम विपक्ष के सबसे बड़े दल हैं, इसलिए हमारा संघर्ष भी बड़ा है. वहीं कांग्रेस के आंदोलन में झामुमो और राजद की दूरी को लेकर विधायक उमा शंकर अकेला कहते हैं कि हमारा आंदोलन है, जब महागठबंधन का आंदोलन होगा तो वह (झामुमो-राजद) साथ होंगे.

भाजपा ने ली चुटकीः मोदी सरकार के खिलाफ झारखंड में कांग्रेस की एकला आंदोलन पर चुटकी लेते हुए पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक सीपी सिंह कहते हैं कि राजनीति में दोस्ती-दुश्मनी जैसा कुछ नहीं होता. सभी पार्टियां अपने नफा-नुकसान के हिसाब से आंदोलन या संघर्ष की रणनीति बनाते हैं. चुकि कांग्रेस अब मृतप्राय हो गयी है इसलिए वह हिंडनबर्ग- अडाणी जैसे मुद्दों के भरोसे डूबते को तिनका का सहारा वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं.

कांग्रेस लगातार झारखंड में करती रही है संघर्षः कांग्रेस पार्टी झारखंड में वर्ष 2022 और अब 2023 में लगातार केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करती रही है. महंगाई, युवाओं को रोजगार, अडाणी-हिंडनबर्ग प्रकरण में प्रखंड से लेकर राजभवन, एसबीआई और एलआईसी कार्यालय तक कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने घेराव, प्रदर्शन किया लेकिन कहीं उसकी सहयोगी पार्टी नजर नहीं आयी.

जब हेमन्त सोरेन को ईडी ने जांच के लिए बुलाया था तब झामुमो के साथ साथ कांग्रेस-राजद के नेता भी कांके रोड में हुए थे प्रदर्शन में शामिलः महंगाई और बेरोजगारी जैसे जन सरोकार के मुद्दे, अडाणी-हिंडनबर्ग प्रकरण को लेकर कांग्रेस के संघर्ष में भले ही उसे राजद और झारखंड मुक्ति मोर्चा का साथ नहीं मिल रहा हो. लेकिन जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खनन मामले में ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था, उस समय झारखंड मुक्ति मोर्चा के आक्रोश मार्च में राजद और कांग्रेस के नेता भी शामिल हुए थे लेकिन जब मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस आंदोलित है, तब उसके ही सहयोगी दलों ने संघर्ष में उसका साथ छोड़ ही दिया है.

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रांचीः भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई नीतियों को गलत बताकर कांग्रेस लगातार झारखंड में सड़क पर संघर्ष करती नजर आती है. महंगाई, बेरोजगारी, सरकारी संस्थानों में विनिवेश और अब हिंडनबर्ग-अडाणी प्रकरण जैसे एक के बाद एक कई मुद्दे हैं, जिसमें संघर्ष के दौरान कांग्रेस अकेली सड़क पर नजर आयी. राज्य में एक साथ सत्ता का सुख ले रहे दो अन्य सहयोगी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल के नेता और कार्यकर्ता इन मुद्दों पर न सिर्फ खामोश रहे बल्कि कहीं भी सड़क पर नजर नहीं आए. ऐसे में अब सवाल यह भी उठने लगे हैं कि क्या राज्य में कांग्रेस-राजद और झामुमो की दोस्ती सिर्फ सत्ता के लिए है ? संघर्ष में एक दूसरे का साथ देने के लिए ये दोस्ती नहीं है.

ये भी पढ़ेंः Jamtara News: आजसू पार्टी का आदिवासी महासम्मेलन, सुदेश महतो ने किया जनजातीय समाज से एकजुट होने का आह्वान

मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ अकेले संघर्ष कर रहे कांग्रेस के नेताः पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने आज नहीं तो कल, सहयोगी दलों के भी मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़क पर उतरने की उम्मीद जताई. सुबोधकांत सहाय ने कहा कि हम घोर पूंजीवाद, बेरोजगारी, महंगाई, सरकारी संस्थानों को केंद्र की सरकार द्वारा बेचने के खिलाफ सड़क पर हैं. उन्होंने कहा कि हमारे नेता राहुल गांधी ने चार हजार किलोमीटर पैदल चलकर इन सवालों को बुलंद किया है. महंगाई, बेरोजगारी, पूंजीपति मित्र को मदद पहुंचाने के लिए सरकारी संस्थाओं और आम जनता के हितों को ताक पर रख देने की मोदी सरकार की नीति जैसे सवाल राहुल गांधी ने उठाया है. वह सवाल कांग्रेस आगे भी उठाती रहेगी.

वहीं कांग्रेस की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने केंद्र की नीतियों के खिलाफ कांग्रेस के संघर्ष से सहयोगी दलों की दूरी के सवाल पर कहा कि सत्ता में साथ हैं, इसका मतलब है कि वह हमारे साथ हैं. उन्होंने कहा कि लोकसभा में हम विपक्ष के सबसे बड़े दल हैं, इसलिए हमारा संघर्ष भी बड़ा है. वहीं कांग्रेस के आंदोलन में झामुमो और राजद की दूरी को लेकर विधायक उमा शंकर अकेला कहते हैं कि हमारा आंदोलन है, जब महागठबंधन का आंदोलन होगा तो वह (झामुमो-राजद) साथ होंगे.

भाजपा ने ली चुटकीः मोदी सरकार के खिलाफ झारखंड में कांग्रेस की एकला आंदोलन पर चुटकी लेते हुए पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक सीपी सिंह कहते हैं कि राजनीति में दोस्ती-दुश्मनी जैसा कुछ नहीं होता. सभी पार्टियां अपने नफा-नुकसान के हिसाब से आंदोलन या संघर्ष की रणनीति बनाते हैं. चुकि कांग्रेस अब मृतप्राय हो गयी है इसलिए वह हिंडनबर्ग- अडाणी जैसे मुद्दों के भरोसे डूबते को तिनका का सहारा वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं.

कांग्रेस लगातार झारखंड में करती रही है संघर्षः कांग्रेस पार्टी झारखंड में वर्ष 2022 और अब 2023 में लगातार केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करती रही है. महंगाई, युवाओं को रोजगार, अडाणी-हिंडनबर्ग प्रकरण में प्रखंड से लेकर राजभवन, एसबीआई और एलआईसी कार्यालय तक कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने घेराव, प्रदर्शन किया लेकिन कहीं उसकी सहयोगी पार्टी नजर नहीं आयी.

जब हेमन्त सोरेन को ईडी ने जांच के लिए बुलाया था तब झामुमो के साथ साथ कांग्रेस-राजद के नेता भी कांके रोड में हुए थे प्रदर्शन में शामिलः महंगाई और बेरोजगारी जैसे जन सरोकार के मुद्दे, अडाणी-हिंडनबर्ग प्रकरण को लेकर कांग्रेस के संघर्ष में भले ही उसे राजद और झारखंड मुक्ति मोर्चा का साथ नहीं मिल रहा हो. लेकिन जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खनन मामले में ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था, उस समय झारखंड मुक्ति मोर्चा के आक्रोश मार्च में राजद और कांग्रेस के नेता भी शामिल हुए थे लेकिन जब मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस आंदोलित है, तब उसके ही सहयोगी दलों ने संघर्ष में उसका साथ छोड़ ही दिया है.

Last Updated : Mar 20, 2023, 10:16 AM IST
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