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थानों में नहीं सुनी जाती फरियाद! आला अधिकारियों तक लगानी पड़ती है गुहार - रांची अपराध खबर

रांची में इन दिनों थाना स्तर के पुलिस अधिकारियों पर आम लोगों का भरोसा कम हुआ है. थाने में आने वाले फरियादियों की गुहार सुनने वाला कोई नहीं है. यही वजह है कि फरियादियों की भीड़ एसएसपी कार्यालय की ओर बढ़ी है.

Complaints are not heard properly in Ranchi police stations
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Published : Sep 16, 2021, 9:55 PM IST

रांची: सेवा ही लक्ष्य स्लोगन झारखंड पुलिस का है. लेकिन आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पुलिस का निचले तंत्र पर से लोगों का भरोसा उठ रहा है. वैसे तो बड़े अधिकारियों का यह आदेश है कि थानों में फरियादियों को न्याय मिलना चाहिए. इसके बावजूद इंसाफ देना तो दूर, थानों में कई मामलों में सुनवाई तक नहीं हो पाती है. ऐसी परिस्थिति में आला अफसरों के यहां फरियादियों की भीड़ बढ़ती जा रही है. सोमवार से लेकर शनिवार तक रांची एसएसपी का आवासीय कार्यालय हो या फिर कचहरी स्थित कार्यालय अपनी फरियाद पहुंचाने के लिए आम लोगों की भीड़ लगी रहती है. सब की एक ही समस्या रहती है कि थाना स्तर पर उनकी बात नहीं सुनी जा रही है. इसलिए अभी आपके पास आए हैं.

ये भी पढ़ें- Cyber Crime: नियम से ही नियमों को तोड़ने में माहिर साइबर ठग! हाई टेक अपराधियों के आगे बेबस पुलिस

आला अधिकारियों के पास उमड़ती है भीड़

रांची के सीनियर एसपी के जिम्मे कई महत्वपूर्ण काम है. राजधानी होने के नाते रांची एसएसपी को कई अहम जिम्मेदारियां दिन भर निभाना होता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि रांची एसएसपी का आधा समय लोगों की फरियाद सुनने में निकल जाता है. ऐसा कोई भी दिन नहीं होता है जिस दिन 50 से अधिक लोग रांची के सीनियर एसपी के पास अपनी फरियाद लेकर नहीं पहुंचते हैं. अगर आंकड़ों की बात करें तो 1 महीने में लगभग 500 से ज्यादा लोग रांची के सीनियर एसपी के कार्यालय पहुंचकर यह शिकायत करते नजर आते हैं कि उक्त थानेदार ने उनकी बात नहीं सुनी. यह आंकड़ा तो सिर्फ रांची के सीनियर एसपी का है अगर पूरे जिले की बात करें तो ग्रामीण एसपी, सिटी एसपी और कई डीएसपी के कार्यालय पहुंचकर हर दिन दर्जनों लोग अपनी फरियाद सुनाते हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
क्या कहते हैं आंकड़े
  • एसएसपी के अवासीय कार्यालय और कचहरी स्थित कार्यालय में हर रोज 50 लोग से ज्यादा आते हैं.
  • रूरल एसपी के यहां भी औसतन 40 लोग हर रोज आते हैं.
  • सिटी एसपी के यहां भी औसतन 30 लोग हर दिन पहुंचते हैं.
  • जबकि हटिया एएसपी, सदर डीएसपी, सिटी डीएसपी, बेड़ो डीएसपी, कोतवाली एएसपी, सिल्ली डीएसपी के दफ्तरों में भी औसतन हर रोज 20 से ज्यादा लोग अपनी फरियाद लेकर पहुंचते हैं.

क्या कहते हैं फरियादी

बड़े अधिकारियों के द्वार पर फरियाद लगाने वाले कई लोग तो कैमरे पर कुछ भी कहने से सिर्फ इसलिए बचते हैं क्योंकि उन्हें यह डर रहता है कि कहीं थाना स्तर से मामला बिगड़ ना जाए. रांची एसएसपी के कार्यालय में 75 वर्षीय उर्मिला देवी अपने बेटों की शिकायत लेकर पहुंची थी. उर्मिला देवी अपने बेटी के साथ एसएसपी से मिलने आई थी. उनका कहना था कि थाना में उनकी फरियाद नहीं सुनी गई. दरअसल, उनके बेटे उनके साथ मारपीट करते हैं. लेकिन जब वह थाना गई तो वहां उनकी बात नहीं सुनी गई. जिसके बाद मजबूरी बस उन्हें एसएसपी के यहां अपनी फरियाद लेकर आना पड़ा. उर्मिला देवी की तरह कई ऐसे लोग हैं जिनकी फरियाद थानों में अनसुनी कर दी जाती है. इसलिए वे सीधी जिला के पुलिस कप्तान के पास अपनी फरियाद लेकर पहुंचते हैं.

जरूरत पर इनसे कर सकते हैं संपर्क

नामपद मोबाइल नं.
नीरज सिन्हा डीजीपी 9939097626
सुरेंद्र कुमार झा एसएसपी 9431706136
सौरभ सिटी एसपी 9431706137
नौसाद आलम ग्रामीण एसपी 9431706138


क्या फेल हो रहा निचला तंत्र

किसी भी जिले में लोग अपनी पहली शिकायत लेकर थाने तक पहुंचते हैं. अगर वहां उनकी बात नहीं सुनी जाती है तब वे डीएसपी और फिर उसके ऊपर के अधिकारियों के पास फरियाद लेकर जाते हैं. सवाल यह है कि क्या वाकई में राजधानी पुलिस का निचला तंत्र फेल हो चुका है? रांची के सीनियर एसपी सुरेंद्र कुमार झा के अनुसार दिन के पहले हाफ में वे आमलोगों से मिलते हैं. अपने जूनियर पर अधिकारियों का बचाव करते हुए एसएसपी बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि पुलिस का निचला तंत्र फेल है. वर्तमान समय में छोटी-छोटी बातों को लेकर भी लोग उन तक पहुंचते हैं. लेकिन कुछ ऐसे मामले भी होते हैं जिनमें थाना स्तर से लोगों को उचित न्याय नहीं मिल पाता है या फिर थाना उन्हें उचित माध्यम समझा नहीं पाता है. ऐसे में लोग उनके पास पहुंचते हैं, लेकिन यह कहना थोड़ा गलत होगा कि पुलिस का निचला तंत्र फेल है.


उधर डीजीपी ने कहा 24 घण्टे खुला रहता है उनका मोबाइल

झारखंड पुलिस मुख्यालय में भी फरियादियों की संख्या कम नहीं होती है. पुलिस मुख्यालय में भी औसतन हर महीने 500 से ज्यादा आवेदन अलग-अलग जिलों से आते हैं. मुख्यालय में आवेदन पर कार्रवाई के लिए बकायदा एक टीम काम करती है जो डीजीपी के आदेश पर जिलों के पुलिस अधीक्षकों को उस संबंध में अवगत करवाकर कार्रवाई करने का निर्देश देती है. झारखंड पुलिस के मुखिया डीजीपी नीरज सिन्हा के अनुसार पुलिस का प्रमुख उद्देश्य लोगों की सेवा करना है और अगर उनकी बात कोई नहीं सुन रहा है तो वह सीधे उनसे संपर्क कर सकते हैं या फिर उनको अगर कोई परेशानी भी है तब भी वे उनसे संपर्क कर सकते हैं.

रांची: सेवा ही लक्ष्य स्लोगन झारखंड पुलिस का है. लेकिन आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पुलिस का निचले तंत्र पर से लोगों का भरोसा उठ रहा है. वैसे तो बड़े अधिकारियों का यह आदेश है कि थानों में फरियादियों को न्याय मिलना चाहिए. इसके बावजूद इंसाफ देना तो दूर, थानों में कई मामलों में सुनवाई तक नहीं हो पाती है. ऐसी परिस्थिति में आला अफसरों के यहां फरियादियों की भीड़ बढ़ती जा रही है. सोमवार से लेकर शनिवार तक रांची एसएसपी का आवासीय कार्यालय हो या फिर कचहरी स्थित कार्यालय अपनी फरियाद पहुंचाने के लिए आम लोगों की भीड़ लगी रहती है. सब की एक ही समस्या रहती है कि थाना स्तर पर उनकी बात नहीं सुनी जा रही है. इसलिए अभी आपके पास आए हैं.

ये भी पढ़ें- Cyber Crime: नियम से ही नियमों को तोड़ने में माहिर साइबर ठग! हाई टेक अपराधियों के आगे बेबस पुलिस

आला अधिकारियों के पास उमड़ती है भीड़

रांची के सीनियर एसपी के जिम्मे कई महत्वपूर्ण काम है. राजधानी होने के नाते रांची एसएसपी को कई अहम जिम्मेदारियां दिन भर निभाना होता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि रांची एसएसपी का आधा समय लोगों की फरियाद सुनने में निकल जाता है. ऐसा कोई भी दिन नहीं होता है जिस दिन 50 से अधिक लोग रांची के सीनियर एसपी के पास अपनी फरियाद लेकर नहीं पहुंचते हैं. अगर आंकड़ों की बात करें तो 1 महीने में लगभग 500 से ज्यादा लोग रांची के सीनियर एसपी के कार्यालय पहुंचकर यह शिकायत करते नजर आते हैं कि उक्त थानेदार ने उनकी बात नहीं सुनी. यह आंकड़ा तो सिर्फ रांची के सीनियर एसपी का है अगर पूरे जिले की बात करें तो ग्रामीण एसपी, सिटी एसपी और कई डीएसपी के कार्यालय पहुंचकर हर दिन दर्जनों लोग अपनी फरियाद सुनाते हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
क्या कहते हैं आंकड़े
  • एसएसपी के अवासीय कार्यालय और कचहरी स्थित कार्यालय में हर रोज 50 लोग से ज्यादा आते हैं.
  • रूरल एसपी के यहां भी औसतन 40 लोग हर रोज आते हैं.
  • सिटी एसपी के यहां भी औसतन 30 लोग हर दिन पहुंचते हैं.
  • जबकि हटिया एएसपी, सदर डीएसपी, सिटी डीएसपी, बेड़ो डीएसपी, कोतवाली एएसपी, सिल्ली डीएसपी के दफ्तरों में भी औसतन हर रोज 20 से ज्यादा लोग अपनी फरियाद लेकर पहुंचते हैं.

क्या कहते हैं फरियादी

बड़े अधिकारियों के द्वार पर फरियाद लगाने वाले कई लोग तो कैमरे पर कुछ भी कहने से सिर्फ इसलिए बचते हैं क्योंकि उन्हें यह डर रहता है कि कहीं थाना स्तर से मामला बिगड़ ना जाए. रांची एसएसपी के कार्यालय में 75 वर्षीय उर्मिला देवी अपने बेटों की शिकायत लेकर पहुंची थी. उर्मिला देवी अपने बेटी के साथ एसएसपी से मिलने आई थी. उनका कहना था कि थाना में उनकी फरियाद नहीं सुनी गई. दरअसल, उनके बेटे उनके साथ मारपीट करते हैं. लेकिन जब वह थाना गई तो वहां उनकी बात नहीं सुनी गई. जिसके बाद मजबूरी बस उन्हें एसएसपी के यहां अपनी फरियाद लेकर आना पड़ा. उर्मिला देवी की तरह कई ऐसे लोग हैं जिनकी फरियाद थानों में अनसुनी कर दी जाती है. इसलिए वे सीधी जिला के पुलिस कप्तान के पास अपनी फरियाद लेकर पहुंचते हैं.

जरूरत पर इनसे कर सकते हैं संपर्क

नामपद मोबाइल नं.
नीरज सिन्हा डीजीपी 9939097626
सुरेंद्र कुमार झा एसएसपी 9431706136
सौरभ सिटी एसपी 9431706137
नौसाद आलम ग्रामीण एसपी 9431706138


क्या फेल हो रहा निचला तंत्र

किसी भी जिले में लोग अपनी पहली शिकायत लेकर थाने तक पहुंचते हैं. अगर वहां उनकी बात नहीं सुनी जाती है तब वे डीएसपी और फिर उसके ऊपर के अधिकारियों के पास फरियाद लेकर जाते हैं. सवाल यह है कि क्या वाकई में राजधानी पुलिस का निचला तंत्र फेल हो चुका है? रांची के सीनियर एसपी सुरेंद्र कुमार झा के अनुसार दिन के पहले हाफ में वे आमलोगों से मिलते हैं. अपने जूनियर पर अधिकारियों का बचाव करते हुए एसएसपी बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि पुलिस का निचला तंत्र फेल है. वर्तमान समय में छोटी-छोटी बातों को लेकर भी लोग उन तक पहुंचते हैं. लेकिन कुछ ऐसे मामले भी होते हैं जिनमें थाना स्तर से लोगों को उचित न्याय नहीं मिल पाता है या फिर थाना उन्हें उचित माध्यम समझा नहीं पाता है. ऐसे में लोग उनके पास पहुंचते हैं, लेकिन यह कहना थोड़ा गलत होगा कि पुलिस का निचला तंत्र फेल है.


उधर डीजीपी ने कहा 24 घण्टे खुला रहता है उनका मोबाइल

झारखंड पुलिस मुख्यालय में भी फरियादियों की संख्या कम नहीं होती है. पुलिस मुख्यालय में भी औसतन हर महीने 500 से ज्यादा आवेदन अलग-अलग जिलों से आते हैं. मुख्यालय में आवेदन पर कार्रवाई के लिए बकायदा एक टीम काम करती है जो डीजीपी के आदेश पर जिलों के पुलिस अधीक्षकों को उस संबंध में अवगत करवाकर कार्रवाई करने का निर्देश देती है. झारखंड पुलिस के मुखिया डीजीपी नीरज सिन्हा के अनुसार पुलिस का प्रमुख उद्देश्य लोगों की सेवा करना है और अगर उनकी बात कोई नहीं सुन रहा है तो वह सीधे उनसे संपर्क कर सकते हैं या फिर उनको अगर कोई परेशानी भी है तब भी वे उनसे संपर्क कर सकते हैं.

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