रांचीः झारखंड में सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास कर रही है. इस कड़ी में हेमंत सरकार ने मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना शुरू की है, जिसके तहत लाभुकों को सुकर, कुक्कुट, गाय, बतख बांटा जा रहा है. योजना के तहत शेड निर्माण की भी व्यवस्था है. लेकिन हकीकत योजनाओं से अलग है.
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कहां आ रही है समस्या
दरअसल, राज्य में पशुधन विकास योजना चलाई जा रही है. इस योजना के तहत पशु-पक्षियों का वितरण पशुपालन विभाग की ओर से किया जाना है ओर मुर्गियों के लिए शेड ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत मनरेगा योजना से कराया जाना है. अब समस्या यह है कि मनरेगा के तहत अधिक से अधिक 96 वर्गफीट का ही शेड बन सकता है जबकि योजना के तहत मिलने वाले 500 चूजों के लिए कम से कम 500 वर्गफीट का शेड चाहिए. इसलिए मनरेगा के तहत यह काम नहीं हो सकता. इससे यहां कुक्कुट पालन योजना धरातल पर नहीं उतर पा रही है.
क्या कहते हैं दोनों विभागों के मंत्री कृषि एवं पशुपालन विभाग की महत्वाकांक्षी योजना के जमीन पर उतरने में दिक्कत की मुख्य वजह इस योजना के लिए शेड निर्माण के लिए मनरेगा यानी ग्रामीण विकास विभाग पर आश्रित होना है. ऐसे में ETV BHARAT ने जब इस योजना को लेकर मंत्री बादल पत्रलेख और ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम से बात की तो दोनों ने माना कि योजना के क्रियान्वयन में दिक्कतें आ रही हैं. कृषिमंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि दोनों विभाग के सचिव स्तर पर बैठक हुई है और इस समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा. वहीं आलमगीर आलम ने कहा कि इस संबंध में एक फाइल उनकी टेबल पर आई है, जिसका शीघ्र निपटारा कर दिया जाएगा.
क्या योजना बनाने से पहले ध्यान नहीं देते अधिकारी ETV भारत ने कुक्कुट पालन योजना को धरातल पर उतारने में हो रही समस्या पर सरकार का ध्यान दिलाया है. संभव है कि बहुत जल्द दिक्कतें भी ठीक कर ली जाएं पर सवाल यह कि अधिकारी जब योजना बनाते हैं तब उसका क्रियान्वयन कैसे होगा, इसपर ध्यान नहीं देते ?