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प्रभु यीशु के जन्मोत्सव पर भजन-कीर्तन, संतों ने चढ़ाया भोग, सर्वधर्म समभाव का दिया संदेश, पढ़ें रिपोर्ट

रांची रामकृष्ण मिशन में क्रिसमस मनाया गया (Christmas at Ramakrishna Mission Ranchi). इस मौके पर संतों ने प्रभु यीशु के लिए विशेष प्रार्थना की और प्रसाद का भी भोग लगाया. मिशन के स्वामी भवेशानंद जी महाराज ने सर्वधर्म समभाव का संदेश दिया.

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रामकृष्ण मिशन में स्वामी भवेशानंद जी महाराज और फादर अशोक नाग
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Published : Dec 26, 2022, 7:49 PM IST

Updated : Dec 26, 2022, 8:46 PM IST

रांची: क्या आपने कभी सुना है कि प्रभु यीशु के जन्म यानी क्रिसमस की खुशी में उनकी तस्वीर पर देवी-देवताओं की तरह भोग चढ़ाया गया हो. क्या आपने क्रिसमस के मौके पर किसी आश्रम में भजन कीर्तन होते देखा है. यह विश्वास से परे लगता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ समय से मानवीय सोच, सहिष्णुता और अहिष्णुता में उलझ गयी है. तिलक, टोपी और क्रॉस को अलग-अलग चश्मे से देखा जा रहा है. लेकिन ऐसी सोच और ऐसे विवादों की परवाह किए बगैर कुछ ऐसे संस्थान भी हैं जो सर्वधर्म समभाव का अलख जगा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- EXCLUSIVE एक ऐसा ईसाई समुदाय जो नहीं मनाता क्रिसमस, दावा- बाइबिल में नहीं है ईसा मसीह के जन्म की तारीख

झारखंड की राजधानी रांची में मौजूद रामकृष्ण मिशन में 24 दिसंबर की शाम प्रभु यीशु के लिए विशेष प्रार्थना की गई (Christmas at Ramakrishna Mission Ranchi). संतों ने भजन कीर्तन किया. प्रभु को पकवान और मिठाईयां अर्पित की. प्रभु यीशु की तस्वीर के सामने दीया-बाती के साथ कैंडल भी जलाए गये. रामकृष्ण मिशन की 125वीं वर्षगांठ पर विशेष प्रार्थना का आयोजन किया गया था. इसमें ईसाई समाज के आईएमएस से जुड़े फादर आलोक नाग भी मौजूद थे. भजन कीर्तन के दौरान मंच पर सांता क्लॉज भी बैठे नजर आये.

रांची रामकृष्ण मिशन के स्वामी भवेशानंद जी महाराज (Swami Bhaveshanand Ji Maharaj) से ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने फोन पर इस बाबत बात की तो उन्होंने कुछ ऐसी बातें बताई जो शायद बहुत कम लोगों को मालूम होगी. उन्होंने कहा कि जब स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की महासमाधि हुई तो उसके बाद उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद अपने गुरूभाई के पास कोलकाता के एक गांव में गये थे. वहां 24 दिसंबर को अन्य गुरूभाईयों के साथ धुनी जलाकर देश, समाज और मानवता को लेकर ध्यान कर रहे थे. उसी दौरान स्वामी विवेकानंद को प्रभु यीशु के जन्म की पूर्व संध्या पर उनके जन्मोत्सव को मनाने का विचार आया. उसी समय से यह परंपरा चली आ रही है.

उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद का मानना था कि अलग-अलग समय में मानवीय अत्याचार के खिलाफ देवताओं ने अवतार लिए. प्रभु यीशु भी उन्हीं में से एक थे. उन्होंने मानवता को राह दिखायी. स्वामी भवेशानंद ने कहा कि हमारे धर्म में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के जरिए जीवन का संदेश दिया था. यानी सभी धर्मों में बहुत सी अच्छी बातें हैं. हमारे गुरूओं ने बताया कि हर धर्म की अच्छी बातों को आत्मसात करना चाहिए. तभी से यह परंपरा चली आ रही है. उन्होंने कहा कि फुल का बागीचा तब और खूबसूरत हो जाता है, जब उसमें दूसरे सुंदर फुल खिलते हैं.

इंडियन मिशनरीज सोसायटी के फादर अशोक नाग ने कहा कि एक अच्छे समाज के लिए एक दूसरे का सत्कार बहुत जरूरी है. हमे सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि रामकृष्णन मिशन की इंसानियत और धर्म के प्रति मान्यताएं बेहद अच्छी है. हम सभी को समाज और देश को मजबूत बनाए रखने के लिए एक दूसरे से जुड़कर रहना होगा. उन्होंने कहा कि रामकृष्ण मिशन का यह आयोजन हमेशा याद रहेगा.

ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा पर्व क्रिसमस है. 24 दिसंबर की मध्य रात्रि को प्रभु यीशु के जन्म की खुशी में यह पर्व मनाया जाता है. रांची के तमाम गिरजाघर जगमगा रहे हैं. क्रिसमस की बधाई देने का सिलसिला जारी है. लेकिन धर्म से जुड़े कुछ सवालों के बीच रामकृष्ण मिशन की यह पहल एक आदर्श समाज की नींव को मजबूत करने का काम कर रही है.

रांची: क्या आपने कभी सुना है कि प्रभु यीशु के जन्म यानी क्रिसमस की खुशी में उनकी तस्वीर पर देवी-देवताओं की तरह भोग चढ़ाया गया हो. क्या आपने क्रिसमस के मौके पर किसी आश्रम में भजन कीर्तन होते देखा है. यह विश्वास से परे लगता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ समय से मानवीय सोच, सहिष्णुता और अहिष्णुता में उलझ गयी है. तिलक, टोपी और क्रॉस को अलग-अलग चश्मे से देखा जा रहा है. लेकिन ऐसी सोच और ऐसे विवादों की परवाह किए बगैर कुछ ऐसे संस्थान भी हैं जो सर्वधर्म समभाव का अलख जगा रहे हैं.

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झारखंड की राजधानी रांची में मौजूद रामकृष्ण मिशन में 24 दिसंबर की शाम प्रभु यीशु के लिए विशेष प्रार्थना की गई (Christmas at Ramakrishna Mission Ranchi). संतों ने भजन कीर्तन किया. प्रभु को पकवान और मिठाईयां अर्पित की. प्रभु यीशु की तस्वीर के सामने दीया-बाती के साथ कैंडल भी जलाए गये. रामकृष्ण मिशन की 125वीं वर्षगांठ पर विशेष प्रार्थना का आयोजन किया गया था. इसमें ईसाई समाज के आईएमएस से जुड़े फादर आलोक नाग भी मौजूद थे. भजन कीर्तन के दौरान मंच पर सांता क्लॉज भी बैठे नजर आये.

रांची रामकृष्ण मिशन के स्वामी भवेशानंद जी महाराज (Swami Bhaveshanand Ji Maharaj) से ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने फोन पर इस बाबत बात की तो उन्होंने कुछ ऐसी बातें बताई जो शायद बहुत कम लोगों को मालूम होगी. उन्होंने कहा कि जब स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की महासमाधि हुई तो उसके बाद उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद अपने गुरूभाई के पास कोलकाता के एक गांव में गये थे. वहां 24 दिसंबर को अन्य गुरूभाईयों के साथ धुनी जलाकर देश, समाज और मानवता को लेकर ध्यान कर रहे थे. उसी दौरान स्वामी विवेकानंद को प्रभु यीशु के जन्म की पूर्व संध्या पर उनके जन्मोत्सव को मनाने का विचार आया. उसी समय से यह परंपरा चली आ रही है.

उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद का मानना था कि अलग-अलग समय में मानवीय अत्याचार के खिलाफ देवताओं ने अवतार लिए. प्रभु यीशु भी उन्हीं में से एक थे. उन्होंने मानवता को राह दिखायी. स्वामी भवेशानंद ने कहा कि हमारे धर्म में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के जरिए जीवन का संदेश दिया था. यानी सभी धर्मों में बहुत सी अच्छी बातें हैं. हमारे गुरूओं ने बताया कि हर धर्म की अच्छी बातों को आत्मसात करना चाहिए. तभी से यह परंपरा चली आ रही है. उन्होंने कहा कि फुल का बागीचा तब और खूबसूरत हो जाता है, जब उसमें दूसरे सुंदर फुल खिलते हैं.

इंडियन मिशनरीज सोसायटी के फादर अशोक नाग ने कहा कि एक अच्छे समाज के लिए एक दूसरे का सत्कार बहुत जरूरी है. हमे सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि रामकृष्णन मिशन की इंसानियत और धर्म के प्रति मान्यताएं बेहद अच्छी है. हम सभी को समाज और देश को मजबूत बनाए रखने के लिए एक दूसरे से जुड़कर रहना होगा. उन्होंने कहा कि रामकृष्ण मिशन का यह आयोजन हमेशा याद रहेगा.

ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा पर्व क्रिसमस है. 24 दिसंबर की मध्य रात्रि को प्रभु यीशु के जन्म की खुशी में यह पर्व मनाया जाता है. रांची के तमाम गिरजाघर जगमगा रहे हैं. क्रिसमस की बधाई देने का सिलसिला जारी है. लेकिन धर्म से जुड़े कुछ सवालों के बीच रामकृष्ण मिशन की यह पहल एक आदर्श समाज की नींव को मजबूत करने का काम कर रही है.

Last Updated : Dec 26, 2022, 8:46 PM IST
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