नई दिल्ली: देश भर के शहरों में सब्जियों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के कारण भारत भर के ग्राहक प्याज, आलू और टमाटर खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं. एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, थोक बाजारों में प्याज की कीमतें 30-40 रुपये प्रति किलोग्राम (किग्रा) बढ़कर 70-80 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं, जबकि पिछले हफ्ते यह 40-60 रुपये प्रति किलोग्राम थी. दिल्ली के एक स्थानीय विक्रेता ने समाचार एजेंसी को बताया कि प्याज की औसत कीमत 60-70 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बिक्री में अभी भी कमी नहीं आई है.
विक्रेता ने कहा कि प्याज की कीमत 60 रुपये से बढ़कर 70 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. हम इसे मंडी से खरीदते हैं, इसलिए वहां से मिलने वाली कीमतें इसे बेचने की कीमतों को प्रभावित करती हैं. कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से बिक्री में कमी आई है, लेकिन लोग इसे अभी भी खरीद रहे हैं, क्योंकि यह यहां खाने की आदतों का एक अहम हिस्सा है.
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि 8 नवंबर को दिल्ली के बाजारों में प्याज की कीमतें 80 रुपये प्रति किलोग्राम थीं. एक उपभोक्ता ने एजेंसी को बताया कि उन्हें उम्मीद है कि सर्दियों के मौसम को देखते हुए कीमतों में कमी आएगी, साथ ही उन्होंने कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी ने उनके घर में खाने-पीने की आदतों को प्रभावित किया है.
फैजा ने एएनआई को बताया कि मैंने 70 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज खरीदा. इसने घर में खाने-पीने की आदतों को प्रभावित किया है. मैं सरकार से अपील करती हूं कि कम से कम उन सब्जियों की कीमतें कम करें जो हर दिन खाई जाती हैं.
मुंबई में, ग्राहकों ने बताया कि कीमतें 72 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं. खरीदार डॉ. खान ने एएनआई को बताया कि उन्होंने 5 किलो प्याज 360 रुपये में खरीदा, जबकि लहसुन की कीमत दोगुनी हो गई है. डॉ. खान ने कहा कि प्याज और लहसुन की कीमत कई गुना बढ़ गई है. यह दोगुनी हो गई है. इससे घर का बजट भी प्रभावित हुआ है.
आलू, टमाटर की कीमतों में कोई सुधार नहीं : बिजनेस इन साइडर की रिपोर्ट के अनुसार, टमाटर की कीमतें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 'दोगुनी से भी अधिक' बढ़कर ₹64/किग्रा हो गई हैं, जबकि आलू की कीमतों में अक्टूबर 2023 से 51 प्रतिशत की उछाल आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर में हुई बारिश के कारण खरीफ की फसल आने में देरी हुई, जिससे बाजार में भी कमी आ गई है.
खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण भारत में मुद्रास्फीति बढ़कर 5.81% हो जाएगी. भारत में उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति अक्टूबर में 14 महीने के उच्चतम स्तर 5.81 प्रतिशत पर पहुंच गई, जिसका मुख्य कारण सब्जी और खाद्य तेल की कीमतों में उछाल है, जैसा कि अर्थशास्त्रियों के रॉयटर्स पोल में अनुमान लगाया गया है. यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 6 प्रतिशत की सहनशीलता सीमा से थोड़ा कम है.