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प्राथमिक स्कूल खोलने की मांग तेजः सुविधाओं के अभाव में ऑनलाइन क्लास से ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे हो रहे वंचित

ग्रामीण क्षेत्र में विद्यार्थी के पास स्मार्ट फोन और इंटरनेट कनेक्शन को लेकर परेशानी है. इस वजह से ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ लंबे समय से विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रहा है. इस स्थिति में प्राथमिक स्कूल खोलने की मांग तेज हो गयी है.

online classes in Jharkhand
ऑनलाइन क्लास से ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे वंचित
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Published : Dec 12, 2021, 1:25 PM IST

रांचीः कोरोना महामारी की रोकथाम को लेकर लॉकडाउन लगाया गया. इस लॉकडाउन ने स्कूल और कॉलेज में होने वाली पढ़ाई को पूरी तरह ठप कर दिया था. इस स्थिति में बच्चों की शिक्षा का एकमात्र रास्ता ऑनलाइन क्लास ही रह गया था. हालांकि कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या कम हुई तो राज्य के स्कूल और कॉलेजों को खोला दिया गया है. लेकिन अब भी प्राथमिक स्कूल बंद है. स्थिति यह है कि ग्रामीम क्षेत्रों में रहने वाले प्राथमिक स्कूल के बच्चे ऑनलाइन क्लास से वंचित हैं.

यह भी पढ़ेंःशाम 6 बजे के बाद और सुबह 9 बजे से पहले होगी ऑनलाइन क्लासेस, झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद बनाई है योजना

प्राथमिक स्कूल लंबे समय से बंद है. अब पहली से पांचवीं कक्षा तक स्कूल खोलने की मांग तेज हो गयी है. लेकिन कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग असमंजस में है. स्थिति यह है कि ऑनलाइन क्लास का खामियाजा ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा हैं और बच्चे पढ़ाई से दूर हो रहे हैं.

देखें पूरी खबर


आपदा प्रबंधन विभाग से मांगी गई है अनुमति
आपदा प्रबंधन विभाग से पहली से पांचवीं कक्षा तक की ऑफलाइन क्लास शुरू करने की अनुमति भी स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग की ओर से मांगी गई है. शिक्षा विभाग का कहना है कि पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के स्कूल नहीं खुलने से राज्य के गरीब बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह प्रभावित हो रहा है. इसकी वजह है कि गरीब परिवार के बच्चों के पास नहीं स्मार्ट फोन है और ना ही उनके अभिभावक स्मार्ट फोन खरीद सकते हैं. इस स्थिति में ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने की अनुमति दी जाए.

ऑनलाइन क्लास का लाभ नहीं मिल रहा
झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी नेटवर्क और टेक्निकल परेशानियों की वजह से ऑनलाइन क्लास का लाभ शत-प्रतिशत नहीं ले पा रहे हैं. Private School And Children Welfare Association यानी पसवा के अध्यक्ष आलोक दुबे ने कहा कि बच्चों में इम्यूनिटी पावर अधिक होता है. यह हम नहीं विशेषज्ञों ने कहा हैं. इस स्थिति में नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक स्कूल खोलने की अनुमति मिलना चाहिए.

रांचीः कोरोना महामारी की रोकथाम को लेकर लॉकडाउन लगाया गया. इस लॉकडाउन ने स्कूल और कॉलेज में होने वाली पढ़ाई को पूरी तरह ठप कर दिया था. इस स्थिति में बच्चों की शिक्षा का एकमात्र रास्ता ऑनलाइन क्लास ही रह गया था. हालांकि कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या कम हुई तो राज्य के स्कूल और कॉलेजों को खोला दिया गया है. लेकिन अब भी प्राथमिक स्कूल बंद है. स्थिति यह है कि ग्रामीम क्षेत्रों में रहने वाले प्राथमिक स्कूल के बच्चे ऑनलाइन क्लास से वंचित हैं.

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प्राथमिक स्कूल लंबे समय से बंद है. अब पहली से पांचवीं कक्षा तक स्कूल खोलने की मांग तेज हो गयी है. लेकिन कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग असमंजस में है. स्थिति यह है कि ऑनलाइन क्लास का खामियाजा ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा हैं और बच्चे पढ़ाई से दूर हो रहे हैं.

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आपदा प्रबंधन विभाग से मांगी गई है अनुमति
आपदा प्रबंधन विभाग से पहली से पांचवीं कक्षा तक की ऑफलाइन क्लास शुरू करने की अनुमति भी स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग की ओर से मांगी गई है. शिक्षा विभाग का कहना है कि पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के स्कूल नहीं खुलने से राज्य के गरीब बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह प्रभावित हो रहा है. इसकी वजह है कि गरीब परिवार के बच्चों के पास नहीं स्मार्ट फोन है और ना ही उनके अभिभावक स्मार्ट फोन खरीद सकते हैं. इस स्थिति में ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने की अनुमति दी जाए.

ऑनलाइन क्लास का लाभ नहीं मिल रहा
झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी नेटवर्क और टेक्निकल परेशानियों की वजह से ऑनलाइन क्लास का लाभ शत-प्रतिशत नहीं ले पा रहे हैं. Private School And Children Welfare Association यानी पसवा के अध्यक्ष आलोक दुबे ने कहा कि बच्चों में इम्यूनिटी पावर अधिक होता है. यह हम नहीं विशेषज्ञों ने कहा हैं. इस स्थिति में नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक स्कूल खोलने की अनुमति मिलना चाहिए.

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