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मुख्यमंत्री हेमंत का बाल पत्रकारों से हुआ सामना, एक प्रश्न सुनकर सोच में पड़ गये सीएम, सवाल-जवाब पर पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट - रांची न्यूज

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सोमवार को अपने आवास पर बाल पत्रकारों से मिले (Child journalists met CM Hemant Soren). बच्चों ने सीएम से कई सवाल पूछे जिनका उन्होंने बहुत ही संवेदनशीलता के साथ जवाब दिया.

Child journalists met CM Hemant Soren
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Published : Nov 14, 2022, 4:48 PM IST

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज अपने आवास पर बाल पत्रकारों से मुखातिब हुए (Child journalists met CM Hemant Soren). बच्चों ने मुख्यमंत्री से कई संवेदनशील सवाल पूछे. पलक कुमारी के सवाल पर तो सीएम सोच में पड़ गये. उन्होंने कहा कि आपने तो बहुत खतरनाक सवाल पूछ दिया. पलक कुमारी ने सीएम से पूछा कि आपको बचपन में कौन सा खेल पसंद था. क्या आप अभी भी खेलते हैं. जवाब में सीएम ने कहा कि सही बताऊं तो हमलोगों ने बचपन में ये जो कॉरपोरेट स्पोर्ट्स होते हैं, उसे छोड़कर सभी खेल खेले हैं. कई चोटे भी खाई हैं. कभी नाक टूटा तो कभी दांत टूटा. बाद में स्वीमिंग की, बैडमिंटन खेला. क्रिकेट भी खेला. विधानसभा में विधायकों के साथ कभी-कभी मैच खेलते हैं. भले खेलने के बाद चार दिन तक शरीर में दर्द हो जाता है. समय मिलता है तो स्वीमिंग कर लेते हैं. कभी-कभी बैडमिंटन खेल लेते हैं. समय के अभाव में हमेशा नहीं खेल पाते हैं.

ये भी पढ़ें- रघुवर सरकार के पांच मंत्रियों के खिलाफ होगी एसीबी जांच, सीएम हेमंत सोरेन ने दी मंजूरी

अनन्या कुमारी ने पूछा कि क्या आप बचपन से ही मुख्यमंत्री बनना चाहते थे. जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि बचपन में मैंने सीएम बनने की नहीं सोची थी. सौभाग्यवश, हमारे पिता शिबू सोरेन जी आंदोलनकारी रहे. एक आंदोलनकारी और राजनीतिज्ञ में फर्क होता है. धीरी-धीरे राजनीतिक वातावरण बना. कई घटनाक्रम हमारे साथ राजनीतिक तौर पर घटे. उसके बाद हमने विचार किया कि हम राजनीतिक क्षेत्र में जाएंगे और राज्य की जनता ने मुझे आज मुख्यमंत्री बनाया. मैं अचानक ही राजनीतिक क्षेत्र में आया. संयोग है कि मुझे सेवा करने का मौका मिला. कई घटनाक्रम की वजह से इस फिल्ड में आना पड़ा.

करण कुमार ओझा ने सीएम से जानना चाहा कि उनकी सफलता के पीछे किसका सबसे बड़ा योगदान रहा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने इसका पहला श्रेय अपने माता-पिता को दिया. उन्होंने कहा कि इसके बाद हमारी पत्नी का योगदान है. हमेशा सपोर्ट करती हैं. 24 घंटा में 20 घंटा हमलोग राज्य के लोगों के लिए देते हैं. घर के लिए बहुत कम समय दे पाते हैं. महीना में दो-तीन बार मिल जाएं तो बहुत बड़ी बात है. बिना परिवार के सपोर्ट के यह काम करना आसान नहीं है. लोगों का लगता है कि यह काम ग्लैमरस है, अच्छा है. लेकिन यह बिल्कुल विपरित है. अलग-अलग जाति, बोलचाल के लोगों के लिए एक समान सोच के साथ आगे बढ़ना आसान नहीं होता. हमारे काम में बहुत अधिक डायवर्सिटी होता है. सभी का ख्याल रखना चुनौती भरा काम है. इसके लिए फैमिली का सपोर्ट बहुत जरूरी है.

अनुप्रिया कुमारी ने पूछा कि हमारे राज्य में बहुत सी लड़कियां खेलकूद में आगे रही हैं. लेकिन बहुत से माता पिता उनका मनोबल तोड़ते हैं. वे नहीं चाहते हैं कि उनकी बेटी खिलाड़ी बने. इसके जवाब सीएम ने बच्चों के माता-पिता से अपील करते हुए कहा कि पढ़ाई लिखाई के साथ खेल भी जरूरी है. खेल एक ऐसा माध्यम है, जिससे कोई भी बच्चा अपना नाम रौशन कर सकता है. देश का गौरव भी बन सकता है. खेल की रूचि रखने वाले बच्चों को खेल की दिशा में प्रोत्साहित करना चाहिए.

शिवम प्रमाणिक का सवाल था कि आपके अनुसार बाल अधिकारों को सुनिश्चित करना कितना जरूरी है. इसपर मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल अधिकार सुनिश्चित होना चाहिए. मैं समझता हूं कि बाल अधिकार आज के दिन में बहुत प्रासंगिक है. पहले भी था, अब भी है और आगे भी रहेगा. क्योंकि बच्चे आने वाले समय की एक पीढ़ी के रूप में काम करते हैं. उनके अधिकार उनतक पहुंचे ताकि वे बेहतर भविष्य के रास्ते को ठीक से तय कर पाएं

डिंपल कुमारी ने सीएम ने जानना चाहा कि आपने खेल को प्रोत्साहित करने के लिए कई पहल किए हैं. वो कौन से पहल हैं जिसके जरिए लकड़े और लड़कियों को समान अवसर मिलेगा. इसपर सीएम ने कहा कि हमने खेल को प्रोत्साहित करने के लिए कई पहल किए हैं. हमारे बीच फुटबॉलर अष्टम उरांव हैं. कई बच्चियां हॉकी खेल रही हैं. कई स्पोर्टस मसलन, तीरंदाजी , हॉकी, फुटबॉल के हर क्षेत्र में हैं. आश्चर्य है कि लड़कों से ज्यादा लड़कियां बाजी मारती हैं. इस राज्य में जो बच्चे हैं वो काफी लगन से सीमित संसाधनों में सीमित जगहों पर अपने हुनर निखार रहे हैं. इसको लेकर हम प्रयासरत है कि इन बच्चों को आगे बढ़ाएं. इसके लिए हमने नई खेल नीति बनाई है. जिसके माध्यम से बच्चों को आगे खेलने का मौका मिलेगा. नेशनल-इंटरनेशल खेल के विजेताओं के लिए नौकरी में कुछ प्रतिशत तय किया गया है. जो नीति बनी है उसके जरिए बच्चों को प्रोत्साहित करेगी. पंचायत लेबल में ही खेल का मैदान बना रहे हैं. हर जगह खेल को गांव से लेकर शहर तक कनेक्ट कर रहे हैं. शहर से देश-दुनिया तक कनेक्ट करने की कार्य योजना है. लड़का और लड़की दोनों को समान अवसर दे रहे हैं.

सरीता मुंडा ने पूछा कि हमारे राज्य की कौन सी समस्या को आप सबसी बड़ी चुनौती मानते हैं . हम बच्चे क्या योगदान दे सकते हैं. इसके जवाब में सीएम ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा और कुपोषण की है. ये दोनों हमारे राज्य से खत्म हो जाएं तो हमारी 50 प्रतिशत समस्या खत्म हो जाएगी. शिक्षा को लेकर हमारा निरंतर प्रयास है. यहां के बच्चों के लिए सरकार नये सीरे से शिक्षा का नया स्ट्रक्चर खड़ा कर रही है. अब हमारे सरकारी स्कूल के बच्चे भी प्राइवेट स्कूलों की तरह शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे. कुपोषण के क्षेत्र में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं.

बाल पत्रकार कुमार शशांक ने पूछा कि आपके पिता इतने पड़े नेता हैं उनसे आपको क्या प्रेरणा मिली. जवाब में सीएम ने कहा कि मुझे उनके संघर्ष से प्रेरणा मिली है. उन्होंने अपना बचपन-जवानी-बुढ़ापा, राज्य के लोगों के लिए समर्पित किया. वहीं हमारे लिए सबकुछ हैं. सबसे मूल्यवान हैं हमारे लिए...

श्रृष्टि कुमारी के सवाल पर सीएम ने कहा कि हम तो चाहते हैं कि बार-बार आप लोगों से मिले. आप लोगों को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं. हम चाहते रहे हैं कि आप लोग मिलते रहें.. मुख्यमंत्री ने देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वह एक दलित समाज से आती हैं. जब वो शिक्षक बनीं तो बहुत सारे लोगों को तकलीफ हुई. उन्हीं के नाम पर किशोरी समृद्धि योजना शुरू की है. उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए बहुत तकलीफें झेलीं..दो कपड़े लेकर घर से निकलती थीं..कोई किचड़ फेंकता था. कोई गोबर फेंकता था.कपड़े बदलकर बच्चों को पढ़ाती थीं. उन्हीं के नाम पर योजना शुरू की है . सरकार की तरफ से आठवीं, नौंवी, दसवीं, बारहवीं तक प्रोत्साहन राशि मिलेगी. 12वीं के बाद इंजीनियरिंग, मेडिकल, जेपीएससी, यूपीएससी, पत्रकारिता करना चाहती हैं तो उसका खर्चा सरकार उठाएगी . राज्य स्थापना दिवस के दिन उसकी घोषणा की जाने वाली है.सीएम ने कहा कि गरीब बच्चों को पढ़ने के लिए कोई दिक्कत नहीं होगी. मन लगाकर पढ़िए. राज्य का नाम रौशन करिए.. विदेश में भी हायर एजुकेशन के लिए सरकार प्रमोट करेगी. मिलकर राज्य को आगे बढ़ाना है.

मुख्यमंत्री के साथ बाल पत्रकारों के सवाल-जवाब के बीच फीफा अंडर-17 के लिए भारतीय टीम की कप्तान बनीं झारखंड की अष्टम उरांव ने अपने अनुभव साझा किये. उन्होंने कहा कि मैं वर्ल्ड कप फुटबॉल टीम की कप्तान रही. मैं बचपन से ही फुटबॉल खेलती थी. 2016 में आवासीय बालिका विद्यालय में खेलना शुरू किया. हमलोग कैंप करने गोवा गये. हॉन्गकॉन्ग भी गये थे. घर की स्थिति अच्छी नहीं थी. गेस्ट हाउस में रूकने की सरकार ने व्यवस्था की. सरकार की तरफ से जमशेदपुर में कैंप लगा. ओडिशा में मैच के दौरान काफी मेहनत किया. यूएसए, मोरक्को और ब्राजील से हार जरूर मिली लेकिन मन से नहीं हारे. बहुत कुछ सीखने को मिला. उन्होंने सीएम के प्रति आभार जताते हुए कहा कि आपने हमारे पैरेंट्स को मैच देखने के लिए ओड़िशा भेजा. अष्टम ने बच्चों से कहा कि आपलोग अपने हुनर को निखारिए. एक दिन देश का नाम रौशन कर सकते हैं. कार्यक्रम के समापन के दौरान सीएम ने बच्चों को फुटबॉल पर अपना ऑटोग्राफ दिया.

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज अपने आवास पर बाल पत्रकारों से मुखातिब हुए (Child journalists met CM Hemant Soren). बच्चों ने मुख्यमंत्री से कई संवेदनशील सवाल पूछे. पलक कुमारी के सवाल पर तो सीएम सोच में पड़ गये. उन्होंने कहा कि आपने तो बहुत खतरनाक सवाल पूछ दिया. पलक कुमारी ने सीएम से पूछा कि आपको बचपन में कौन सा खेल पसंद था. क्या आप अभी भी खेलते हैं. जवाब में सीएम ने कहा कि सही बताऊं तो हमलोगों ने बचपन में ये जो कॉरपोरेट स्पोर्ट्स होते हैं, उसे छोड़कर सभी खेल खेले हैं. कई चोटे भी खाई हैं. कभी नाक टूटा तो कभी दांत टूटा. बाद में स्वीमिंग की, बैडमिंटन खेला. क्रिकेट भी खेला. विधानसभा में विधायकों के साथ कभी-कभी मैच खेलते हैं. भले खेलने के बाद चार दिन तक शरीर में दर्द हो जाता है. समय मिलता है तो स्वीमिंग कर लेते हैं. कभी-कभी बैडमिंटन खेल लेते हैं. समय के अभाव में हमेशा नहीं खेल पाते हैं.

ये भी पढ़ें- रघुवर सरकार के पांच मंत्रियों के खिलाफ होगी एसीबी जांच, सीएम हेमंत सोरेन ने दी मंजूरी

अनन्या कुमारी ने पूछा कि क्या आप बचपन से ही मुख्यमंत्री बनना चाहते थे. जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि बचपन में मैंने सीएम बनने की नहीं सोची थी. सौभाग्यवश, हमारे पिता शिबू सोरेन जी आंदोलनकारी रहे. एक आंदोलनकारी और राजनीतिज्ञ में फर्क होता है. धीरी-धीरे राजनीतिक वातावरण बना. कई घटनाक्रम हमारे साथ राजनीतिक तौर पर घटे. उसके बाद हमने विचार किया कि हम राजनीतिक क्षेत्र में जाएंगे और राज्य की जनता ने मुझे आज मुख्यमंत्री बनाया. मैं अचानक ही राजनीतिक क्षेत्र में आया. संयोग है कि मुझे सेवा करने का मौका मिला. कई घटनाक्रम की वजह से इस फिल्ड में आना पड़ा.

करण कुमार ओझा ने सीएम से जानना चाहा कि उनकी सफलता के पीछे किसका सबसे बड़ा योगदान रहा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने इसका पहला श्रेय अपने माता-पिता को दिया. उन्होंने कहा कि इसके बाद हमारी पत्नी का योगदान है. हमेशा सपोर्ट करती हैं. 24 घंटा में 20 घंटा हमलोग राज्य के लोगों के लिए देते हैं. घर के लिए बहुत कम समय दे पाते हैं. महीना में दो-तीन बार मिल जाएं तो बहुत बड़ी बात है. बिना परिवार के सपोर्ट के यह काम करना आसान नहीं है. लोगों का लगता है कि यह काम ग्लैमरस है, अच्छा है. लेकिन यह बिल्कुल विपरित है. अलग-अलग जाति, बोलचाल के लोगों के लिए एक समान सोच के साथ आगे बढ़ना आसान नहीं होता. हमारे काम में बहुत अधिक डायवर्सिटी होता है. सभी का ख्याल रखना चुनौती भरा काम है. इसके लिए फैमिली का सपोर्ट बहुत जरूरी है.

अनुप्रिया कुमारी ने पूछा कि हमारे राज्य में बहुत सी लड़कियां खेलकूद में आगे रही हैं. लेकिन बहुत से माता पिता उनका मनोबल तोड़ते हैं. वे नहीं चाहते हैं कि उनकी बेटी खिलाड़ी बने. इसके जवाब सीएम ने बच्चों के माता-पिता से अपील करते हुए कहा कि पढ़ाई लिखाई के साथ खेल भी जरूरी है. खेल एक ऐसा माध्यम है, जिससे कोई भी बच्चा अपना नाम रौशन कर सकता है. देश का गौरव भी बन सकता है. खेल की रूचि रखने वाले बच्चों को खेल की दिशा में प्रोत्साहित करना चाहिए.

शिवम प्रमाणिक का सवाल था कि आपके अनुसार बाल अधिकारों को सुनिश्चित करना कितना जरूरी है. इसपर मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल अधिकार सुनिश्चित होना चाहिए. मैं समझता हूं कि बाल अधिकार आज के दिन में बहुत प्रासंगिक है. पहले भी था, अब भी है और आगे भी रहेगा. क्योंकि बच्चे आने वाले समय की एक पीढ़ी के रूप में काम करते हैं. उनके अधिकार उनतक पहुंचे ताकि वे बेहतर भविष्य के रास्ते को ठीक से तय कर पाएं

डिंपल कुमारी ने सीएम ने जानना चाहा कि आपने खेल को प्रोत्साहित करने के लिए कई पहल किए हैं. वो कौन से पहल हैं जिसके जरिए लकड़े और लड़कियों को समान अवसर मिलेगा. इसपर सीएम ने कहा कि हमने खेल को प्रोत्साहित करने के लिए कई पहल किए हैं. हमारे बीच फुटबॉलर अष्टम उरांव हैं. कई बच्चियां हॉकी खेल रही हैं. कई स्पोर्टस मसलन, तीरंदाजी , हॉकी, फुटबॉल के हर क्षेत्र में हैं. आश्चर्य है कि लड़कों से ज्यादा लड़कियां बाजी मारती हैं. इस राज्य में जो बच्चे हैं वो काफी लगन से सीमित संसाधनों में सीमित जगहों पर अपने हुनर निखार रहे हैं. इसको लेकर हम प्रयासरत है कि इन बच्चों को आगे बढ़ाएं. इसके लिए हमने नई खेल नीति बनाई है. जिसके माध्यम से बच्चों को आगे खेलने का मौका मिलेगा. नेशनल-इंटरनेशल खेल के विजेताओं के लिए नौकरी में कुछ प्रतिशत तय किया गया है. जो नीति बनी है उसके जरिए बच्चों को प्रोत्साहित करेगी. पंचायत लेबल में ही खेल का मैदान बना रहे हैं. हर जगह खेल को गांव से लेकर शहर तक कनेक्ट कर रहे हैं. शहर से देश-दुनिया तक कनेक्ट करने की कार्य योजना है. लड़का और लड़की दोनों को समान अवसर दे रहे हैं.

सरीता मुंडा ने पूछा कि हमारे राज्य की कौन सी समस्या को आप सबसी बड़ी चुनौती मानते हैं . हम बच्चे क्या योगदान दे सकते हैं. इसके जवाब में सीएम ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा और कुपोषण की है. ये दोनों हमारे राज्य से खत्म हो जाएं तो हमारी 50 प्रतिशत समस्या खत्म हो जाएगी. शिक्षा को लेकर हमारा निरंतर प्रयास है. यहां के बच्चों के लिए सरकार नये सीरे से शिक्षा का नया स्ट्रक्चर खड़ा कर रही है. अब हमारे सरकारी स्कूल के बच्चे भी प्राइवेट स्कूलों की तरह शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे. कुपोषण के क्षेत्र में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं.

बाल पत्रकार कुमार शशांक ने पूछा कि आपके पिता इतने पड़े नेता हैं उनसे आपको क्या प्रेरणा मिली. जवाब में सीएम ने कहा कि मुझे उनके संघर्ष से प्रेरणा मिली है. उन्होंने अपना बचपन-जवानी-बुढ़ापा, राज्य के लोगों के लिए समर्पित किया. वहीं हमारे लिए सबकुछ हैं. सबसे मूल्यवान हैं हमारे लिए...

श्रृष्टि कुमारी के सवाल पर सीएम ने कहा कि हम तो चाहते हैं कि बार-बार आप लोगों से मिले. आप लोगों को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं. हम चाहते रहे हैं कि आप लोग मिलते रहें.. मुख्यमंत्री ने देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वह एक दलित समाज से आती हैं. जब वो शिक्षक बनीं तो बहुत सारे लोगों को तकलीफ हुई. उन्हीं के नाम पर किशोरी समृद्धि योजना शुरू की है. उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए बहुत तकलीफें झेलीं..दो कपड़े लेकर घर से निकलती थीं..कोई किचड़ फेंकता था. कोई गोबर फेंकता था.कपड़े बदलकर बच्चों को पढ़ाती थीं. उन्हीं के नाम पर योजना शुरू की है . सरकार की तरफ से आठवीं, नौंवी, दसवीं, बारहवीं तक प्रोत्साहन राशि मिलेगी. 12वीं के बाद इंजीनियरिंग, मेडिकल, जेपीएससी, यूपीएससी, पत्रकारिता करना चाहती हैं तो उसका खर्चा सरकार उठाएगी . राज्य स्थापना दिवस के दिन उसकी घोषणा की जाने वाली है.सीएम ने कहा कि गरीब बच्चों को पढ़ने के लिए कोई दिक्कत नहीं होगी. मन लगाकर पढ़िए. राज्य का नाम रौशन करिए.. विदेश में भी हायर एजुकेशन के लिए सरकार प्रमोट करेगी. मिलकर राज्य को आगे बढ़ाना है.

मुख्यमंत्री के साथ बाल पत्रकारों के सवाल-जवाब के बीच फीफा अंडर-17 के लिए भारतीय टीम की कप्तान बनीं झारखंड की अष्टम उरांव ने अपने अनुभव साझा किये. उन्होंने कहा कि मैं वर्ल्ड कप फुटबॉल टीम की कप्तान रही. मैं बचपन से ही फुटबॉल खेलती थी. 2016 में आवासीय बालिका विद्यालय में खेलना शुरू किया. हमलोग कैंप करने गोवा गये. हॉन्गकॉन्ग भी गये थे. घर की स्थिति अच्छी नहीं थी. गेस्ट हाउस में रूकने की सरकार ने व्यवस्था की. सरकार की तरफ से जमशेदपुर में कैंप लगा. ओडिशा में मैच के दौरान काफी मेहनत किया. यूएसए, मोरक्को और ब्राजील से हार जरूर मिली लेकिन मन से नहीं हारे. बहुत कुछ सीखने को मिला. उन्होंने सीएम के प्रति आभार जताते हुए कहा कि आपने हमारे पैरेंट्स को मैच देखने के लिए ओड़िशा भेजा. अष्टम ने बच्चों से कहा कि आपलोग अपने हुनर को निखारिए. एक दिन देश का नाम रौशन कर सकते हैं. कार्यक्रम के समापन के दौरान सीएम ने बच्चों को फुटबॉल पर अपना ऑटोग्राफ दिया.

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