रांची: पूरा शहर बैनर पोस्टर से अटा पड़ा है. राजधानी के सभी चौक चौराहों पर एक ही योजना का जिक्र है कि आज से मुख्यमंत्री सारथी योजना शुरू होने जा रही है. इन पोस्टरों को बेरोजगारी की मार झेल रहे प्रतिभाशाली युवा उम्मीद भरी नजरों से निहार रहे थे. कार्यक्रम का समय और स्थान तय हो चुका था. श्रम, नियोजन और प्रशिक्षण विभाग की ओर से अधिकारियों को आमंत्रण पत्र भी प्रेषित किया जा चुका था. उसी विभाग के कुछ पदाधिकारी रांची विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार भी पहुंच गये लेकिन वहां सन्नाटा पसरा था. गार्ड ने कहा कि यहां कोई कार्यक्रम नहीं है.
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सरकार की तरफ से 14 जुलाई की शाम को एक विज्ञप्ति जारी कर अपरिहार्य कारणों का हवाला देते हुए कार्यक्रम स्थगित करने की जानकारी दे दी गई थी. लेकिन सवाल है कि सारी तैयारी के बावजूद कार्यक्रम को क्यों टाला गया. इसका जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने विभाग के कई पदाधिकारियों से संपर्क किया. लेकिन जवाब किसी के पास नहीं था. बाद में श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव राजेश शर्मा से फोन पर बात हुई. उन्होंने कहा कि कुछ वजहों से कार्यक्रम टल गया है. हालांकि उन्होंने भी वजह नहीं बताई. उनसे पूछा गया कि आखिर इसका शुभारंभ कब तक होगा. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह तक इसका शुभारंभ होने की संभावना है. उनसे अबतक शुरू नहीं हुई मुख्यमंत्री बेरोजगारी भत्ता योजना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है.
क्या है मुख्यमंत्री सारथी योजना: इस योजना का मकसद है युवाओं के भीतर छिपी प्रतिभा को निखार कर उनको उनके पैरों पर खड़ा करना. इसके लिए प्रखंड स्तर पर इंस्टीट्यूट फॉर रूल स्कील एक्वीजीशन के जरिए युवा हुनरमंद बनेंगे. पहले फेज में यानी वित्तीय वर्ष 2023-24 में सूबे के 80 प्रखंडों में योजना का शुभारंभ होना. इसके बाद आने वाले दिनों में राज्य के सभी प्रखंडो में बिरसा योजना संचालित की जाएगी.
युवाओं को कैसे मिलेगा लाभ: मुख्यमंत्री सारथी योजना का लाभ सभी वर्ग के युवाओं को मुफ्त में मिलेगा. इसके लिए सरकार ने पात्रता तय की है. जेनरल केटेगरी के 18 से 35 साल तक के युवक और युवतियों को प्रखंड स्तर पर मुफ्त में कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा. खास बात है कि प्रशिक्षण के बाद अगर युवकों को तीन माह के भीतर नियोजन नहीं मिला तो उन्हें रोजगार प्रोत्साहन भत्ता के रूप में प्रतिमाह 1000 रु. दिए जाएंगे. जबकि युवतियों, दिव्यांग और परलैंगिक को प्रतिमाह 1,500 रु. का भत्ता मिलेगा. यह सुविधा अधिकतम एक साल के लिए डीबीटी यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से मिलेगी. अहम बात यह है कि गैरआवासीय प्रशिक्षण लेने वाले युवक और युवतियों को उनके घर से ट्रेनिंग सेंटर तक आने-जाने के लिए हर माह 1000 रु. डीबीटी के जरिए दिया जाएगा. इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1800-123-3444 की सुविधा दी गई है.
कहां गई मुख्यमंत्री बेरोजगारी भत्ता योजना: मुख्यमंत्री सारथी योजना के बैनर पोस्टर से पूरा शहर अटा पड़ा है. लेकिन 2019 के चुनाव के वक्त झामुमो का एक वादा सबसे ज्यादा सुर्खियों में था. वह था बेरोजगारों को भत्ता देने के वादा. चुनाव के वक्त जारी निश्चय पत्र में झामुमो ने वादा किया था कि सरकार गठन के दो साल के भीतर राज्य के सभी खाली पद भरे जाएंगे. साथ ही नौकरी नहीं मिलने पर स्नातक पास बेरोजगार को 5 हजार रु और स्नातकोत्तर को 7 हजार रु. दिए जाएंगे. साथ ही हर पंचायत में पंचायती राज की योजनाओं से युवाओं को जोड़ने का वादा किया गया था.
विलंब के लिए कोरोना का हवाला पिछले साल इसकी प्रक्रिया भी शुरू की गई. पोर्टल भी बन गया. जिलास्तर पर डीसी के स्तर पर स्क्रूटनी कमेटी भी बन गई. बेरोजगार युवाओं ने पोर्टल पर फॉर्म भी भरना शुरू कर दिया. राज्य के 47 नियोजनालयों में भारी संख्या में आवेदन आने लगे. लेकिन आज तक किसी को एक फूटी कौड़ी तक नहीं मिली. जब इसको शुरू करने की बात हुई तो कहा गया कि साल में 5000 और 7 हजार रु. दिए जाएंगे. उसके लिए भी कई शर्तें रखी गईं. इसको लेकर विपक्ष ने जमकर सरकार को घेरा. सरकार पर युवाओं को छलने का आरोप लगाया. विपक्ष की ओर कहा गया है कि एक कौशल प्रशिक्षित युवा को प्रति माह पांच सौ रु. से भी कम देकर सरकार क्या जताना चाहती है. यह ऐसा मसला था जिसका झामुमो नेताओं को जवाब देते नहीं बन रहा था.
अगर आपने पूरी रिपोर्ट पढ़ी है तो समझ गये होंगे कि मुख्यमंत्री बेरोजगारी भत्ता योजना ठंडे बस्ते में जा चुकी है. इसका अब कहीं जिक्र नहीं होता. अब उसकी जगह मुख्यमंत्री सारथी योजना ने ले ली है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी 13 जुलाई को नवाडीह में एक कार्यक्रम के दौरान सारथी योजना का जिक्र करते हुए कहा था कि अब पैसे को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. अगर आपमें प्रतिभा है तो उसे सरकार निखारेगी और आपको अपने पैरों पर खड़ा करेगी. अब देखना है कि यह योजना कबतक धरातल पर उतरती है.