रांची: साल 2022 में शीतकालीन सत्र से पहले तक चार निजी विश्वविद्यालयों से जुड़े विधेयक पारित हुए थे. लेकिन शीतकालीन सत्र (Winter session) के चौथे दिन तीन और निजी विश्वविद्यालयों के जुड़े विधेयक सदन में टेबल हुए लेकिन जैन विश्वविद्यालय विधेयक पर बात अटक गई. भाकपा माले के विधायक बिनोद कुमार सिंह ने कहा कि जिस सोसायटी के नाम से जैन विश्वविद्यालय विधेयक लाया गया है, उसी सोसायटी के नाम पर साल 2017 में आर्का जैन विश्वविद्यालय विधेयक पारित हुआ था. भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा कि कई निजी विश्वविद्यालय राज्य के संसाधन का इस्तेमाल कर रहे हैं. लंबोदर महतो ने कहा कि कई निजी विश्वविद्यालय किराए के मकान में चल रहे हैं. कहीं भी यूजीसी के गाईडलाइन का पालन नहीं हो रहा है.
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जैन विश्वविद्यालय को लेकर माननीयों के विरोध के स्वर को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि यह मामला बेहद गंभीर प्रतीत हो रहा है. उन्होंने स्पीकर से आग्रह किया कि राज्य में संचालित सभी 20 निजी विश्विविद्यालयों के स्टेटस की जांच (Checking status of private universities) के लिए विधानसभा की एक समिति बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि समिति सदन को पूरा रिपोर्ट उपलब्ध कराए, जिससे पता चल सके कि निजी विश्वविद्यालय मापदंडों का पालन कर रहे हैं या नहीं. राज्य गठन के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी निजी विश्वविद्यालय से जुड़े विधेयक को सरकार ने वापस ले लिया है.
इससे पहले प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सोना देवी विश्वविद्यालय विधेयक, 2022 और बाबू दिनेश सिंह विश्वविद्यालय विधेयक, 2022 को सदन पटल पर रखा. इन दोनों विधेयकों को भी प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव आया. जवाब में प्रभारी मंत्री ने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों के गठन को लेकर यूजीसी के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए मापदंड तैयार किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि सोना देवी विश्वविद्यालय का संचालन घाटशिला में होना है. इस अनुमंडल में सिर्फ दो कॉलेज हैं. इस विश्वविद्यालय के खुलने से इलाके के छात्र-छात्रा कई तरह के प्रोफेशनल कोर्स का लाभ ले सकेंगे. इस दौरान बिनोद कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में संचालित निजी विश्वविद्यालयों में से 16 के पास जमीन का डिलेट नहीं है. उन्होंने सवाल उठाया कि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए तीन साल का समय देना समझ से परे है. वहीं भाजपा विधायक अमित मंडल ने कहा कि एक तरफ सरकार कहती है कि निजी संस्थानों में 75 प्रतिशत नौकरी का प्रावधान स्थानीयों के लिए होगा. लेकिन निजी विश्वविद्यालयों से जुड़े विधेयक में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है.