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औषधीय वाटिका से बदल रही ग्रामीणों की जिंदगी, कोरोना काल में साबित हुई वरदान

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Published : Feb 5, 2022, 8:39 PM IST

आदिवासी बहुल झारखंड के जनजातीय समाज को परंपरागत रूप से औषधीय पौधों की समझ (Medicinal plants cultivation in Jharkhand) होती है. आज भी सुदूरवर्ती इलाकों में यहां के लोग जड़ी-बूटियों से कई बीमारियां ठीक कर देते हैं. लेकिन सरकार की पहल पर अब औषधीय पौधे इनकी जिंदगी में खूशबू बिखेरने लगे हैं.

Medicinal plants cultivation in Jharkhand
Medicinal plants cultivation in Jharkhand

रांची: खूंटी के बिरहु बड़का टोली की अनिता सांगा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुलसी, गिलोय, चिरोंजी, सतावर, घोडवार जैसे औषधीय पौधों की नर्सरी (Medicinal plants cultivation in Jharkhand) आजीविका का साधन बन सकता है. अनिता सखी मंडल की महिलाओं के साथ मिल कर औषधीय पौधों और फलों की नर्सरी कर अच्छी कमाई कर रही है. अनिता की नर्सरी के पौधे आज औषधीय वाटिका से जुड़ी सखी मंडल के दीदियों की इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार साबित हो रहे हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के तहत बड़ी संख्या में महिलाएं औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती कर अपने अपने परिवार को स्वस्थ्य जीवन का उपहार दे रही हैं.

ये भी पढ़ें- स्वावलंबी नारीः एलबिना ने खेती में हासिल किया मुकाम, केंद्रीय कृषि मंत्री से मिला सम्मान

वर्तमान में राज्य के 17 जिलों के 35 प्रखंडों में 6500 किसानों के साथ परियोजना चलाई जा रही है. 30 से अधिक औषधीय और सुंगधित पौधों जैसे हर्रा, बहेड़ा, करंज, कुसुम, लेमनग्रास आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो मुख्य रूप से औषधीय वाटिका के तहत उगाए जाते हैं. इसके अलावा वन आधारित औषधीय पौधों का वैज्ञानिक संग्रहण, खेती और सुगंधित पौधे को बढ़ावा देकर राज्य में आजीविका के नये अवसर उत्पन्न करने का प्रयास भी जोरों पर है.

औषधीय वाटिका का लक्ष्य सखी मंडल की दीदियों के जरिए पुरातन प्राकृतिक उपायों से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना और रोग निवारक उपायों को बढ़ावा देना है. इससे एक ओर जहां नेचुरोपैथी एवं होड़ोपैथी को पुनर्जीवित किया जा रहा है, वहीं गांव की महिलाएं आमदनी भी कर रही हैं. हजारीबाग जिले के दारु प्रखंड अंतर्गत पेटो गांव की आशा देवी पिछले डेढ़ साल से औषधीय वाटिका परियोजना से जुड़ कर न सिर्फ कोरोना के कठिन समय में कारगर तुलसी , गिलोय, हरसिंगार सहित 30 से ज्यादा औषधीय पौधों की खेती कर अपने परिवार और आसपास के लोगो की मदद की, बल्कि इन औषधीय पौधों की बिक्री के जरिए कुछ आमदनी भी कर लेती हैं.

फिलहाल, करीब 10 औषधीय पौधो की नर्सरी का संचालन ग्रामीण महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है. आने वाले दिनों में नेशनल मेडिसिनल प्लान्ट बोर्ड के साथ अभिसरण के जरिए 50 से ज्यादा नर्सरी की स्थापना का लक्ष्य है. इस पहल से करीब 11 हजार ग्रामीण परिवार औषधीय वाटिका से जुड़ेंगे.

रांची: खूंटी के बिरहु बड़का टोली की अनिता सांगा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुलसी, गिलोय, चिरोंजी, सतावर, घोडवार जैसे औषधीय पौधों की नर्सरी (Medicinal plants cultivation in Jharkhand) आजीविका का साधन बन सकता है. अनिता सखी मंडल की महिलाओं के साथ मिल कर औषधीय पौधों और फलों की नर्सरी कर अच्छी कमाई कर रही है. अनिता की नर्सरी के पौधे आज औषधीय वाटिका से जुड़ी सखी मंडल के दीदियों की इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार साबित हो रहे हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के तहत बड़ी संख्या में महिलाएं औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती कर अपने अपने परिवार को स्वस्थ्य जीवन का उपहार दे रही हैं.

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वर्तमान में राज्य के 17 जिलों के 35 प्रखंडों में 6500 किसानों के साथ परियोजना चलाई जा रही है. 30 से अधिक औषधीय और सुंगधित पौधों जैसे हर्रा, बहेड़ा, करंज, कुसुम, लेमनग्रास आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो मुख्य रूप से औषधीय वाटिका के तहत उगाए जाते हैं. इसके अलावा वन आधारित औषधीय पौधों का वैज्ञानिक संग्रहण, खेती और सुगंधित पौधे को बढ़ावा देकर राज्य में आजीविका के नये अवसर उत्पन्न करने का प्रयास भी जोरों पर है.

औषधीय वाटिका का लक्ष्य सखी मंडल की दीदियों के जरिए पुरातन प्राकृतिक उपायों से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना और रोग निवारक उपायों को बढ़ावा देना है. इससे एक ओर जहां नेचुरोपैथी एवं होड़ोपैथी को पुनर्जीवित किया जा रहा है, वहीं गांव की महिलाएं आमदनी भी कर रही हैं. हजारीबाग जिले के दारु प्रखंड अंतर्गत पेटो गांव की आशा देवी पिछले डेढ़ साल से औषधीय वाटिका परियोजना से जुड़ कर न सिर्फ कोरोना के कठिन समय में कारगर तुलसी , गिलोय, हरसिंगार सहित 30 से ज्यादा औषधीय पौधों की खेती कर अपने परिवार और आसपास के लोगो की मदद की, बल्कि इन औषधीय पौधों की बिक्री के जरिए कुछ आमदनी भी कर लेती हैं.

फिलहाल, करीब 10 औषधीय पौधो की नर्सरी का संचालन ग्रामीण महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है. आने वाले दिनों में नेशनल मेडिसिनल प्लान्ट बोर्ड के साथ अभिसरण के जरिए 50 से ज्यादा नर्सरी की स्थापना का लक्ष्य है. इस पहल से करीब 11 हजार ग्रामीण परिवार औषधीय वाटिका से जुड़ेंगे.

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