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झारखंड में ओबीसी की हकमारी! जनसंख्या अधिक, आरक्षण कम

देश में जातिगणना (caste census) पर राजनीति गर्म है. झारखंड के हालात भी जुदा नहीं हैं. बिहार से 20 साल पहले अलग हुए झारखंड में आरक्षण व्यवस्था भी इन दिनों सवालों के घेरे में है.

reservation in jharkhand
देश में जातिगणना
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Published : Aug 8, 2021, 2:40 PM IST

Updated : Aug 9, 2021, 6:41 AM IST

रांचीः देश में जातिगणना (caste census) पर राजनीति गर्म है. झारखंड के हालात भी जुदा नहीं हैं. बिहार से 20 साल पहले अलग हुए झारखंड में आरक्षण व्यवस्था भी इन दिनों सवालों के घेरे में है. इसलिए जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी, यह नारा आजकल आपको झारखंड के चौक-चौराहों पर आसानी से सुनने को मिल जाएगा. आरक्षण पर राजनीति(politics on reservation in jharkhand) भी शुरू हो गई है. ट्राइबल राज्य में ओबीसी समुदाय से जुड़े तमाम संगठन हकमारी किए जाने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि प्रदेश में ओबीसी की आबादी 53 फीसदी से अधिक है और उन्हें आरक्षण महज 14 फीसदी दिया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- रामेश्वर उरांव का कैबिनेट में बात न रख सार्वजनिक रूप से आरक्षण की मांग करना, सरकार में दर्शा रहा संवादहीनता

आबादी के हिसाब से मिले आरक्षण

छात्र नेता मनोज यादव का कहना है कि झारखंड की आबादी करीब 3.19 करोड़ है. ओबीसी समुदाय के लोगों का कहना है कि प्रदेश में अनुसूचित जाति के लिए दस फीसदी, जनजाति के लिए 26 फीसदी और आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी यानी कुल 46 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है. प्रदेश में इन वर्गों की आबादी भी करीब इतनी ही है. इसलिए बची आबादी के लिए उसके हिसाब से आरक्षण दिया जाना चाहिए, लेकिन ओबीसी को सिर्फ 14 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है. जो उनके समुदाय की हकमारी है.

ओबीसी आरक्षण पर स्पेशल खबर

ओबीसी नेताओं के खिलाफ गुस्सा

यादव अब तक ओबीसी को आरक्षण न मिलने के लिए अपने समुदाय के नेताओं को भी आड़े हाथ लेते हैं. उनका कहना है ये नेता अपने हितों के फेर में समुदाय की अनदेखी कर रहे हैं और उनको न्याय दिलाने के लिए प्रयास नहीं कर रहे हैं. राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश गुप्ता में प्रदेश में ओबीसी समुदाय को न्याय न मिलने के लिए शासक वर्ग को जिम्मेदार ठहराते हैं. उनका कहना है कि ऐसे लोग जिनकी सामाजिक न्याय में दिलचस्पी नहीं है, वे प्रदेश में ओबीसी को आबादी के हिसाब से आरक्षण देने में अड़ंगा लगा रहे हैं. वे आबादी के हिसाब से आरक्षण की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि जनप्रतिनिधियों ने ओबीसी के नाम पर राजनीतिक गोटियां तो सेंकी पर इनके हितों के लिए एकजुट होकर गंभीर प्रयास नहीं किया.

reservation in jharkhand
राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा भी कर रहा आरक्षण सीमा बढ़ाने की मांग



झामुमो, कांग्रेस के घोषणा पत्र में वादा

आरक्षण में वोटों की फसल लहलहाते देख यहां ओबीसी आरक्षण पर राजनीति (politics on reservation in jharkhand) शुरू हो गई है. राजनीतिक दल भी आरक्षण मामले में बयानबाजी में जुट गए हैं लेकिन अभी कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया है. विधानसभा चुनाव के दौरान झामुमो, कांग्रेस और राजद जैसे सत्तारूढ़ दलों ने चुनावी घोषणा पत्र में पिछड़ी जाति के लिए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने का वादा किया था. लेकिन सरकार बने एक साल से अधिक समय होने के बाद भी कोई प्रयास नहीं हुआ है.

reservation in jharkhand
कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद का दावा विधानसभा में उठाएंगी आरक्षण सीमा बढ़ाने की मांग

हालांकि कई ऐसे विधायक हैं जो झारखंड में आरक्षण बढ़ाने की मांग का समर्थन कर रहे हैं. बल्कि अम्बा प्रसाद जैसी कांग्रेसी विधायक ने तो अपने लेटर पैड पर दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर पिछड़ी जाति से आने वाले सभी विधायकों का हस्ताक्षर भी कराया है. ताकि मानसून सत्र के दौरान इस मुद्दे को एकजुट होकर सदन में उठाएं. कांग्रेस की विधायक ममता देवी भी पिछड़ों का आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रही हैं.

ये भी पढ़ें- गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण मामले में हाई कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, सबकी निगाहें डबल बेंच पर

reservation in jharkhand
ओबीसी छात्र झारखंड में आरक्षण सीमा बढ़ाने की कर रहे मांग


पिछड़ा आयोग ने की थी ओबीसी का आरक्षण बढ़ाने की अनुशंसा

18 जुलाई 2014 में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की अनुशंसा की थी. लेकिन झारखंड राज्य वर्ग पिछड़ा आयोग की अनुशंसा पर अभी तक कोई काम नहीं हुआ है. अब जब राज्य के सत्ताधारी दलों के सामने अपने घोषणा पत्र के अनुसार ओबीसी का आरक्षण बढ़ाने का दबाव है तो पिछड़ों की लड़ाई लड़ने वालों को उम्मीद है कि हेमन्त सोरेन की सरकार में पिछ्ड़ो को उनका हक जनसंख्या के अनुपात में मिल सकेगा.

reservation in jharkhand
कांग्रेस ने चुनाव घोषणा पत्र में किया था ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने का वादा

आंकड़ों से जानें झारखंड में आरक्षण की दास्तान

  • 20 साल पहले बिहार से अलग हुआ था झारखंड
  • 3.19 करोड़ है झारखंड की आबादी
  • 10 % आरक्षण का प्रावधान है यहां एससी के लिए
  • 26 % आरक्षण का प्रावधान है यहां एसटी के लिए
  • 10 % आरक्षण का प्रावधान है यहां ईडब्ल्यूएस और अन्य के लिए
  • 14 % आरक्षण का प्रावधान है यहां ओबीसी के लिए
  • 53 % से अधिक ओबीसी आबादी का अनुमान
  • 27 % आरक्षण ओबीसी को देने के लिए किया है झामुमो, कांग्रेस ने वादा
  • 2014 में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने की थी 27 % आरक्षण की अनुशंसा
  • 1931 में आखिरी बार हुई थी देश में जाति जनगणना

रांचीः देश में जातिगणना (caste census) पर राजनीति गर्म है. झारखंड के हालात भी जुदा नहीं हैं. बिहार से 20 साल पहले अलग हुए झारखंड में आरक्षण व्यवस्था भी इन दिनों सवालों के घेरे में है. इसलिए जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी, यह नारा आजकल आपको झारखंड के चौक-चौराहों पर आसानी से सुनने को मिल जाएगा. आरक्षण पर राजनीति(politics on reservation in jharkhand) भी शुरू हो गई है. ट्राइबल राज्य में ओबीसी समुदाय से जुड़े तमाम संगठन हकमारी किए जाने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि प्रदेश में ओबीसी की आबादी 53 फीसदी से अधिक है और उन्हें आरक्षण महज 14 फीसदी दिया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- रामेश्वर उरांव का कैबिनेट में बात न रख सार्वजनिक रूप से आरक्षण की मांग करना, सरकार में दर्शा रहा संवादहीनता

आबादी के हिसाब से मिले आरक्षण

छात्र नेता मनोज यादव का कहना है कि झारखंड की आबादी करीब 3.19 करोड़ है. ओबीसी समुदाय के लोगों का कहना है कि प्रदेश में अनुसूचित जाति के लिए दस फीसदी, जनजाति के लिए 26 फीसदी और आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी यानी कुल 46 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है. प्रदेश में इन वर्गों की आबादी भी करीब इतनी ही है. इसलिए बची आबादी के लिए उसके हिसाब से आरक्षण दिया जाना चाहिए, लेकिन ओबीसी को सिर्फ 14 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है. जो उनके समुदाय की हकमारी है.

ओबीसी आरक्षण पर स्पेशल खबर

ओबीसी नेताओं के खिलाफ गुस्सा

यादव अब तक ओबीसी को आरक्षण न मिलने के लिए अपने समुदाय के नेताओं को भी आड़े हाथ लेते हैं. उनका कहना है ये नेता अपने हितों के फेर में समुदाय की अनदेखी कर रहे हैं और उनको न्याय दिलाने के लिए प्रयास नहीं कर रहे हैं. राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश गुप्ता में प्रदेश में ओबीसी समुदाय को न्याय न मिलने के लिए शासक वर्ग को जिम्मेदार ठहराते हैं. उनका कहना है कि ऐसे लोग जिनकी सामाजिक न्याय में दिलचस्पी नहीं है, वे प्रदेश में ओबीसी को आबादी के हिसाब से आरक्षण देने में अड़ंगा लगा रहे हैं. वे आबादी के हिसाब से आरक्षण की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि जनप्रतिनिधियों ने ओबीसी के नाम पर राजनीतिक गोटियां तो सेंकी पर इनके हितों के लिए एकजुट होकर गंभीर प्रयास नहीं किया.

reservation in jharkhand
राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा भी कर रहा आरक्षण सीमा बढ़ाने की मांग



झामुमो, कांग्रेस के घोषणा पत्र में वादा

आरक्षण में वोटों की फसल लहलहाते देख यहां ओबीसी आरक्षण पर राजनीति (politics on reservation in jharkhand) शुरू हो गई है. राजनीतिक दल भी आरक्षण मामले में बयानबाजी में जुट गए हैं लेकिन अभी कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया है. विधानसभा चुनाव के दौरान झामुमो, कांग्रेस और राजद जैसे सत्तारूढ़ दलों ने चुनावी घोषणा पत्र में पिछड़ी जाति के लिए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने का वादा किया था. लेकिन सरकार बने एक साल से अधिक समय होने के बाद भी कोई प्रयास नहीं हुआ है.

reservation in jharkhand
कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद का दावा विधानसभा में उठाएंगी आरक्षण सीमा बढ़ाने की मांग

हालांकि कई ऐसे विधायक हैं जो झारखंड में आरक्षण बढ़ाने की मांग का समर्थन कर रहे हैं. बल्कि अम्बा प्रसाद जैसी कांग्रेसी विधायक ने तो अपने लेटर पैड पर दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर पिछड़ी जाति से आने वाले सभी विधायकों का हस्ताक्षर भी कराया है. ताकि मानसून सत्र के दौरान इस मुद्दे को एकजुट होकर सदन में उठाएं. कांग्रेस की विधायक ममता देवी भी पिछड़ों का आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रही हैं.

ये भी पढ़ें- गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण मामले में हाई कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, सबकी निगाहें डबल बेंच पर

reservation in jharkhand
ओबीसी छात्र झारखंड में आरक्षण सीमा बढ़ाने की कर रहे मांग


पिछड़ा आयोग ने की थी ओबीसी का आरक्षण बढ़ाने की अनुशंसा

18 जुलाई 2014 में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की अनुशंसा की थी. लेकिन झारखंड राज्य वर्ग पिछड़ा आयोग की अनुशंसा पर अभी तक कोई काम नहीं हुआ है. अब जब राज्य के सत्ताधारी दलों के सामने अपने घोषणा पत्र के अनुसार ओबीसी का आरक्षण बढ़ाने का दबाव है तो पिछड़ों की लड़ाई लड़ने वालों को उम्मीद है कि हेमन्त सोरेन की सरकार में पिछ्ड़ो को उनका हक जनसंख्या के अनुपात में मिल सकेगा.

reservation in jharkhand
कांग्रेस ने चुनाव घोषणा पत्र में किया था ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने का वादा

आंकड़ों से जानें झारखंड में आरक्षण की दास्तान

  • 20 साल पहले बिहार से अलग हुआ था झारखंड
  • 3.19 करोड़ है झारखंड की आबादी
  • 10 % आरक्षण का प्रावधान है यहां एससी के लिए
  • 26 % आरक्षण का प्रावधान है यहां एसटी के लिए
  • 10 % आरक्षण का प्रावधान है यहां ईडब्ल्यूएस और अन्य के लिए
  • 14 % आरक्षण का प्रावधान है यहां ओबीसी के लिए
  • 53 % से अधिक ओबीसी आबादी का अनुमान
  • 27 % आरक्षण ओबीसी को देने के लिए किया है झामुमो, कांग्रेस ने वादा
  • 2014 में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने की थी 27 % आरक्षण की अनुशंसा
  • 1931 में आखिरी बार हुई थी देश में जाति जनगणना
Last Updated : Aug 9, 2021, 6:41 AM IST
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