रांची: झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र 3 सितंबर से शुरू हो रहा है. कानूनी पेंच और राजनीतिक कारणों से एक बार फिर सदन की कार्यवाही बगैर नेता प्रतिपक्ष की होगी. भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी पर लगा दल बदल का आरोप इस कदर उलझा है कि इसका जल्द समाधान निकलने की संभावना नहीं दिख रही है. विधानसभा अध्यक्ष न्यायाधिकरण में इस मामले को लेकर मंगलवार को भी सुनवाई हुई जिसमें भी यही संकेत दिखा कि इसका जल्द समाधान नहीं निकलने वाला है.
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भाजपा आखिर क्यों पड़ गई सुस्त ?
नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे को जोर शोर से उठाने वाली भारतीय जनता पार्टी अचानक बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग पर चुप्पी साध ली है. भाजपा अंदरखाने में बाबूलाल के विकल्प के तौर पर किसी दूसरे नेता के नाम की तलाश शुरू हो गई है. हालांकि, पूर्व मंत्री और वर्तमान में रांची के भाजपा विधायक सीपी सिंह की मानें तो एक ही मुद्दे को बार-बार उठाना अच्छा नहीं लगता. जनता को लगेगा सदन में जनहित के मुद्दे की बजाय भाजपा के लिए नेता प्रतिपक्ष ही एक मुद्दा है.
सीपी सिंह ने कहा कि 2 सितंबर को होने वाली विधायक दल की बैठक में मुद्दा तय होगा कि सदन में क्या उठाया जाए. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में नेता प्रतिपक्ष का मनोनयन बताते हुए कहा कि भाजपा इस इश्यू पर लगातार मुखर रही है. इधर, सत्तारूढ़ कांग्रेस ने न्यायाधिकरण में केस लंबित होने का वजह बताते हुए फैसला आने तक बाबूलाल को प्रतीक्षा करने की सलाह दी है. कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने कहा कि न्यायाधिकरण निर्णय लेगा कि संवैधानिक रुप से वे योग्य हैं या नहीं.
क्या कहते हैं बाबूलाल के वकील ?
बाबूलाल का केस विधानसभा अध्यक्ष न्यायाधिकरण में लड़ने वाले वरीय अधिवक्ता आर एन सहाय का मानना है कि झारखंड विकास मोर्चा का भारतीय जनता पार्टी में मर्जर न्यायसंगत है जिस पर भारत निर्वाचन आयोग ने भी मुहर लगाई है. उन्होंने इस मामले में राजकुमार यादव द्वारा लगाए गए आरोप को निराधार बताते हुए कहा है 10वीं अनसूची का बाबूलाल ने कोई उल्लंघन नहीं किया है.
बाबूलाल पर दल बदल के न्यायाधिकरण में चार केस हैं दर्ज
बाबूलाल मरांडी के ऊपर 10वीं अनुसूची का उल्लंघन करते हुए विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में चार अलग-अलग केस दर्ज हैं. राजकुमार यादव ने 10वीं अनुसूची का उल्लंघन करने की शिकायत करते हुए विधानसभा में 16 दिसंबर 2020 को याचिका दाखिल की थी जिसकी कांड संख्या 02/2020 है. उसी तरह भूषण तिर्की द्वारा दाखिल केस नंबर 03/2020, दीपिका पांडे द्वारा दाखिल केस नंबर 01/2021 और प्रदीप यादव और बंधु तिर्की द्वारा दाखिल केस नंबर 02/2021 है. बहरहाल कानूनी दांव पेंच और राजनीतिक चाल के बीच बाबूलाल का नेता प्रतिपक्ष बनने का मामला फंसा हुआ है. ऐसे में एक बार फिर सदन नेता प्रतिपक्ष के बगैर ही चलेगा.