नई दिल्ली: झारखंड के पूर्व सीएम और बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. झारखंड में संगठन को और मजबूत किस तरह बनाया जाए इस पर चर्चा हुई है. झारखंड के मौजूदा सियासी हालात पर भी चर्चा हुई है. राज्य सरकार को जनहित के मुद्दों पर किस तरह और मजबूती से घेरना है इस पर भी वार्ता हुई है.
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बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड विधानसभा के स्पीकर की तरफ से अबतक उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया गया है. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. झारखंड विकास मोर्चा मेरी पार्टी थी. मैंने डेढ़ साल पहले बीजेपी में अपनी पार्टी का विलय कर दिया था. चुनाव आयोग से भी मर्जर को मान्यता मिल गई. इसके बाद भी मुझको नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया जा रहा है. स्पीकर का पद संवैधानिक पद होता है. उनको मेरे साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि अभी एक फल विक्रेता, एक छोटे दुकानदार और टाटा स्टील में काम करने वाले एक कर्मचारी कुल 3 लोगों को घर से पुलिस ने गिरफ्तार किया है और बाद में पुलिस ने कहा कि इन लोगों को होटल से गिरफ्तार किया गया है. क्योंकि यह लोग सरकार गिराने की कोशिश कर रहे थे. बाबूलाल कहना चाहते हैं कि इतने छोटे लोग कैसे सरकार गिरा सकते हैं? सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर झारखंड सरकार सभी को तंग कर रही है.
झारखंड में कांग्रेस अंदरूनी कलह से जूझ रही है. रामेश्वर उरांव झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और सरकार में मंत्री भी हैं. आलमगीर आलम विधायक दल के नेता हैं और राज्य सरकार में मंत्री भी हैं. कांग्रेसी विधायक चाहते हैं कि इन लोगों के पास कोई एक ही पद रहे. विधायक चाहते हैं कि उन लोगों को इसमें से कोई एक पद दिया जाए. झारखंड सरकार में एक मंत्री पद खाली है. उस पर भी कांग्रेस विधायकों की नजर है. कांग्रेस के कई विधायक बोर्ड, निगम में भी भागीदारी चाहते हैं. वहीं कांग्रेस के 11 विधायकों के बीजेपी के संपर्क में होने की बात सामने आई थी. 3 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी. सत्तापक्ष के तरफ से आरोप लगाया गया की बीजेपी पैसों के दम पर इन 3 लोगों के जरिये कांग्रेस विधायकों को तोड़कर झारखंड सरकार को गिराने की कोशिश कर रही थी.
वहीं, पूरे देश भर में जोर-शोर से जातीय जनगणना की मांग उठ रही है. झारखंड में सत्तापक्ष ने इसकी मांग की है. विधानसभा से प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार को भेजा जा सकता है. इस पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आदिवासियों की गणना तो होती ही रही है. जातीय जनगणना जरूरी है या नहीं इस पर निर्णय तो केंद्र सरकार को लेना है. जो भी निर्णय लिया जाएगा वह सब को स्वीकार होगा.