रांची: झारखंड में मोटे अनाज की खेती की अच्छी संभावनाओं को देखते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में लगातार 'श्रीअन्न' पर रिसर्च हो रहे हैं. इसी क्रम में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने मड़ुआ की एक नई वैरायटी को तैयार करने में सफलता पाई है. ब्राउन मड़ुआ की जगह अब लोग वाइट मड़ुआ का भी सेवन कर सकेंगे. इसके बीज को जल्द ही झारखंड के किसानों के लिए रिलीज कर दिया जाएगा.
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इससे पहले बिरसा कृषि विश्वविद्यालय राज्य के किसानों के लिए मड़ुआ की तीन वैरायटी A404, बिरसा मड़ुआ 02 और बिरसा मड़ुआ 03 को रिलीज कर चुकी है. इस रिसर्च को लीड कर रहे बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमार सिंह ने कहा कि हमारा यह सफेद किस्म का मड़ुआ, नई वैरायटी रिलीज करने की सभी प्रक्रियाएं पूरी करता है. जल्द ही इसका रिलीज प्रपोजल बनाकर झारखंड सरकार को भेजा जाएगा.
सफेद मड़ुआ की खेती से बढ़ेगी किसानों की आय: डॉ अरुण ने कहा कि हमारा यह रिसर्च राज्य के किसानों के लिए काफी मददगार साबित होगी. इसकी खेती से उनकी आय बढ़ेगी. स्वास्थ्य के लिए 'मोटे अनाज' जिसे अब 'श्रीअन्न' कहा जाता है, उसमें मड़ुआ भी शामिल है. अभी तक मड़ुआ ब्राउन कलर का होता था. अब सफेद मड़ुआ के उत्पादन से इसकी मांग वैल्यू एडेड प्रोडक्ट जैसे कुकीज, बिस्किट्स, केक, चाउमीन और पास्ता में अधिक होगी. क्योंकि सफेद कलर होने की वजह से यह ब्रॉउन मड़ुआ से ज्यादा पसंद किया जाएगा.
स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है मड़ुआ का सेवन: बेहतर स्वास्थ्य के लिए मड़ुआ का सेवन काफी बढ़िया माना जाता है. यह मधुमेह सहित कई बीमारियों को रोकने में सहायक होता है. वहीं इसमें मिनरल के साथ-साथ उच्च कोटि के डाइजेस्टिव प्रोटीन, फाइबर, माइक्रो न्यूट्रिएंट्स प्रचूर मात्रा में होते हैं, जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखते हैं.
20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में होती है मड़ुआ की खेती: राज्य में पिछले वर्ष तक 20 हजार हेक्टेयर में मड़ुआ की खेती होती थी. जिसे अब बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. राज्य में कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों की आय बढ़ाने के लिए मड़ुआ की खेती को बढ़ाने की जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि राज्य में पानी के अभाव में एक बड़ा भूभाग खाली रह जाता है. मड़ुआ की खेती के लिए पानी की जरूरत ना के बराबर है. वहीं कोरोनाकाल के बाद स्वास्थ्य को लेकर लोगों के ज्यादा जागरूक होने के बाद मड़ुआ की मांग भी बढ़ी है.