रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के ब्लड बैंक में खून में एंटीबाडी टाइटर टेस्ट की मशीन ने काम करना बंद कर दिया है. इस खराबी के चलते रविवार को दिनभर नए सैम्पल में एंटीबाडी टाइटर की जांच नहीं की जा सकी.
ये भी पढ़ें-JMM के निशाने पर केंद्र सरकार, कहा- मिसमैनेजमेंट से बढ़े हैं कोरोना के मामले
क्या आई है खराबी
रिम्स मॉडल ब्लड बैंक के विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार TTI ( ट्रांसफ्यूजन ट्रांसमिटटेड इन्फेक्शन ) केबुलेंसेस मशीन की इलेक्ट्रिक सप्लाई में खराबी आ गई है. वहीं यूपीएस ने भी काम करना बंद कर दिया है, जिसकी वजह से आज वैसे प्लाज्मा डोनर जिन्होंने पिछले दिनों कोरोना को परास्त किया है और वह प्लाज्मा दान करने के लिए रिम्स पहुंचे थे, उनमें एंटीबाडी टाइटर की जांच नहीं हो सकी.
पूर्व में जिनकी जांच हुई, उन्हीं का लिया जा सका प्लाज्मा
मिली जानकारी के अनुसार रविवार को सिर्फ 5 लोगों का प्लाज्मा लिया गया. इनमें एंटीबाडी टाइटर की जांच पहले ही कर ली गई थी. रविवार को वे दोबारा पहुंचे और दूसरे कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा दान किया.
किन्हें पड़ती है प्लाज्मा की जरूरत
कोरोना संक्रमण की गंभीर अवस्था में कई डॉक्टर प्लाज्मा थेरेपी की सलाह देते हैं. हालांकि ऐसे मरीजों के इलाज के लिए ऐसे व्यक्ति का प्लाज्मा उपयोगी माना जाता है, जिसने एक महीने के भीतर कोरोना को परास्त किया हो और उनमें कम से कम 500-1000AU/ML एंटीबाडी टाइटर बना हो. 500-1000 AU/MLरहने पर खून से प्लाज्मा अलग किया जाता है जबकि यदि 10000 से ऊपर अधिकतम 40000 AU/ML रहने पर plasma pheresis से बनाया जाता है.
ये भी पढ़ें-कोरोना काल में गर्भवती महिलाएं खुद को कैसे रखें सुरक्षित, पढ़ें यह खास रिपोर्ट
कब तक खराबी होगी दूर
रिम्स के प्रभारी जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. डीके सिन्हा ने ईटीवी भारत से कहा कि जल्द की खराबी दूर करने की कोशिश की जा रही है. डॉ. डीके सिन्हा के अनुसार सुबह 11 बजे से खराबी आई है, जिसे दूर करने की कोशिश की जा रही है.