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सरकारी स्कूलों के 28 फीसदी बच्चों तक ही पहुंचा ऑनलाइन लर्निंग मैटेरियल, एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट से खुलासा - रांची ऑनलाइन लर्निंग मैटेरियल

केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को शिक्षा की स्थिति पर वार्षिक रिपोर्ट जारी कर दी गई है.एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2020 में खुलासा हुआ है कि कोरोना के कारण घरों पर कराई जा रही पढ़ाई के दौरान झारखंड के सरकारी स्कूलों के 28 फीसदी बच्चों तक ही ऑनलाइन लर्निंग मैटेरियल पहुंचाया जा सका.

annual status of education report
एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन का रिपोर्ट
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Published : Oct 29, 2020, 10:57 AM IST

रांची: केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को शिक्षा की स्थिति पर वार्षिक रिपोर्ट जारी कर दी गई है. एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2020 में खुलासा हुआ है कि कोरोना के कारण घरों पर कराई जा रही पढ़ाई के दौरान झारखंड के 28 फीसदी बच्चों तक ही ऑनलाइन लर्निंग मैटेरियल पहुंचाया जा सका. रिपोर्ट तैयार करने के लिए झारखंड के स्कूलों में मार्च में पठन-पाठन को लेकर सर्वे किया गया था.

कोरोना के कारण बच्चों का नामांकन भी कम
इस रिपोर्ट के मुताबिक 6 से 10 वर्ष तक के बच्चों का नामांकन कोरोना महामारी के कारण कम हुआ है. इस दौरान राज्य के 79 फीसदी स्कूली बच्चों को ही किताबें मिली हैं. वहीं 78.4 प्रतिशत बच्चों को व्हाट्सएप के जरिए लर्निंग मैटेरियल भेजा गया, जबकि चार फीसदी बच्चों को फोन कॉल के माध्यम से स्टडा मैटेरियल उपलब्ध कराया गया. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि झारखंड के सरकारी विद्यालयों के 28 फीसदी बच्चों तक ऑनलाइन लर्निंग मैटेरियल पहुंचाया गया है. 52 फीसदी बच्चों के अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं होने की वजह से उन तक स्टडी मैटेरियल नहीं पहुंचाई जा सकी है. इस सर्वे में ऑनलाइन पठन-पाठन के अलावा बच्चों तक स्कूल ड्रेस और किताब मुहैया कराए जाने की भी जानकारी ली गई थे.

इसे भी पढ़ें-दृढ़ता से डटे हमारे जवान, चीन के साथ जारी रहेगी बातचीत : राजनाथ सिंह

राज्य शिक्षा विभाग ने भी तैयार की है रिपोर्ट
राज्य शिक्षा विभाग की ओर से भी बच्चों के पठन-पाठन स्टडी मैटेरियल पोशाक और किताब मुहैया कराने को लेकर रिपोर्ट तैयार की जाती रही है. पिछले महीने भी जिला शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से तमाम शिक्षा निदेशकों और जिला शिक्षा पदाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर एक रिपोर्ट तैयार की गई थी, जिसमें जानकारी मिली थी कि झारखंड के सरकारी स्कूलों में पठन-पाठन की स्थिति सही नहीं है .स्टडी मैटेरियल पहुंच नहीं पा रहा है. वहीं ऑनलाइन पठन-पाठन की सुविधा भी बच्चों तक नहीं पहुंचाई जा रही है. इस मामले को लेकर विभाग की ओर से चिंता भी व्यक्त की गई थी. साथ ही कुछ क्षेत्रों में पारा शिक्षक और नियमित स्थानीय शिक्षकों की ओर से अभियान चलाकर पठन-पाठन की सामग्री मुहैया कराई गई है.

रांची: केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को शिक्षा की स्थिति पर वार्षिक रिपोर्ट जारी कर दी गई है. एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2020 में खुलासा हुआ है कि कोरोना के कारण घरों पर कराई जा रही पढ़ाई के दौरान झारखंड के 28 फीसदी बच्चों तक ही ऑनलाइन लर्निंग मैटेरियल पहुंचाया जा सका. रिपोर्ट तैयार करने के लिए झारखंड के स्कूलों में मार्च में पठन-पाठन को लेकर सर्वे किया गया था.

कोरोना के कारण बच्चों का नामांकन भी कम
इस रिपोर्ट के मुताबिक 6 से 10 वर्ष तक के बच्चों का नामांकन कोरोना महामारी के कारण कम हुआ है. इस दौरान राज्य के 79 फीसदी स्कूली बच्चों को ही किताबें मिली हैं. वहीं 78.4 प्रतिशत बच्चों को व्हाट्सएप के जरिए लर्निंग मैटेरियल भेजा गया, जबकि चार फीसदी बच्चों को फोन कॉल के माध्यम से स्टडा मैटेरियल उपलब्ध कराया गया. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि झारखंड के सरकारी विद्यालयों के 28 फीसदी बच्चों तक ऑनलाइन लर्निंग मैटेरियल पहुंचाया गया है. 52 फीसदी बच्चों के अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं होने की वजह से उन तक स्टडी मैटेरियल नहीं पहुंचाई जा सकी है. इस सर्वे में ऑनलाइन पठन-पाठन के अलावा बच्चों तक स्कूल ड्रेस और किताब मुहैया कराए जाने की भी जानकारी ली गई थे.

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राज्य शिक्षा विभाग ने भी तैयार की है रिपोर्ट
राज्य शिक्षा विभाग की ओर से भी बच्चों के पठन-पाठन स्टडी मैटेरियल पोशाक और किताब मुहैया कराने को लेकर रिपोर्ट तैयार की जाती रही है. पिछले महीने भी जिला शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से तमाम शिक्षा निदेशकों और जिला शिक्षा पदाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर एक रिपोर्ट तैयार की गई थी, जिसमें जानकारी मिली थी कि झारखंड के सरकारी स्कूलों में पठन-पाठन की स्थिति सही नहीं है .स्टडी मैटेरियल पहुंच नहीं पा रहा है. वहीं ऑनलाइन पठन-पाठन की सुविधा भी बच्चों तक नहीं पहुंचाई जा रही है. इस मामले को लेकर विभाग की ओर से चिंता भी व्यक्त की गई थी. साथ ही कुछ क्षेत्रों में पारा शिक्षक और नियमित स्थानीय शिक्षकों की ओर से अभियान चलाकर पठन-पाठन की सामग्री मुहैया कराई गई है.

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