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AKTU में झारखंड ओपन स्कूल के 306 विद्यार्थियों का हाईकोर्ट ने किया प्रवेश निरस्त

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Published : Jun 14, 2020, 6:07 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने झारखंड राज्य ओपन स्कूल बोर्ड के उत्तीर्ण 306 विद्यार्थियों के प्रवेश को गैरकानूनी करार दिया है. इन छात्रों ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी से संबद्ध विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश लिया था. कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक ने बताया कि उन्होंने सभी संस्थाओं में विद्यार्थियों के प्रवेश निरस्त करने का निर्देश दे दिया है.

allahabad high court upholds aktu decision to cancel students admission
ओपन स्कूल के 306 विद्यार्थियों का प्रवेश निरस्त

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी से संबद्ध विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले झारखंड राज्य ओपन स्कूल बोर्ड के उत्तीर्ण 306 विद्यार्थियों के प्रवेश को गैरकानूनी करार दिया है. हाईकोर्ट डबल बेंच ने इस मामले में एकेटीयू की ओर से उठाए गए कदमों का समर्थन किया. हाईकोर्ट डबल बेंच ने कहा कि फर्जीवाड़ा रोकने के लिए जरूरी है कि ऐसे विद्यार्थियों को प्रवेश न दिया जाए. डबल बेंच ने इस मामले में पहले आ चुके एकल पीठ के निर्णय को भी पलट दिया है.

जानकारी देते एकेटीयू के कुलपति

उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद एकेटीयू के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक ने फर्जीवाड़ा रोकने का श्रेय एकेटीयू के डिजिटाइजेशन कार्यक्रम को दिया है. उन्होंने कहा कि एकेटीयू के डिजिटाइजेशन प्रोग्राम की वजह से ही झारखंड स्टेट ओपन स्कूल के सर्टिफिकेट के आधार पर एकेटीयू से संबद्ध 95 शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पाने वाले 306 छात्र-छात्राओं की पहचान हो सकी है. उन्होंने कहा कि इस फर्जीवाड़े में विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेज के लोग भी शामिल थे.

एकेटीयू ने ऐसे सभी छात्र-छात्राओं के प्रवेश रद कर दिए हैं. इसके बाद प्रभावित विद्यार्थियों की ओर से हाईकोर्ट में अपील की गई. एकल पीठ ने समानता के अधिकार पर विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने का अवसर देने के लिए निर्देशित किया, लेकिन जब मामला हाईकोर्ट की डबल बेंच में गया तो कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि फर्जीवाड़ा करने वालों को समानता के अधिकार का अवसर नहीं दिया जा सकता. उन्होंने कहा कि इस सफलता के लिए एकेटीयू की डिजिटाइजेशन टीम बधाई की पात्र है. डिजिटाइजेशन टीम ने फर्जीवाड़ा होने से रोका है. कुलपति ने बताया कि उन्होंने सभी संस्थाओं के 306 विद्यार्थियों के प्रवेश निरस्त करने का निर्देश दे दिया है.

इसे भी पढ़ें: रांची में पेरेंट्स एसोसिएशन ने किया साइलेंट प्रोटेस्ट, अभिभावकों में दिखा गुस्सा

क्या है पूरा मामला?
एकेटीयू ने अगस्त 2019 में नामांकन के डिजिटल पोर्टल से झारखंड स्टेट ओपन स्कूल, रांची उत्तीर्ण विद्यार्थियों के फर्जी नामांकन को पकड़ा और उनका नामांकन निरस्त कर दिया था. इसके बाद इन विद्यार्थियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. उच्च न्यायालय ने समानता के अधिकार को मानते हुए विद्यार्थियों की पढ़ाई जारी रखने का विश्वविद्यालय को आदेश दिया था. उच्च न्यायालय के उक्त आदेश के खिलाफ एकेटीयू की ओर से याचिका दायर की गयी, जिसकी सुनवाई उच्च न्यायालय की डबल बेंच में हुई. उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने नामांकन निरस्त कर दिए. शैक्षिक सत्र 2016-17, 2017-18, 2018-19 में झारखंड स्टेट ओपन स्कूल, (बोर्ड) रांची से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध संस्थानों में एडमिशन लिया था. उच्च न्यायालय ने यह फैसला 10 जून 2020 को सुनाया है.

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी से संबद्ध विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले झारखंड राज्य ओपन स्कूल बोर्ड के उत्तीर्ण 306 विद्यार्थियों के प्रवेश को गैरकानूनी करार दिया है. हाईकोर्ट डबल बेंच ने इस मामले में एकेटीयू की ओर से उठाए गए कदमों का समर्थन किया. हाईकोर्ट डबल बेंच ने कहा कि फर्जीवाड़ा रोकने के लिए जरूरी है कि ऐसे विद्यार्थियों को प्रवेश न दिया जाए. डबल बेंच ने इस मामले में पहले आ चुके एकल पीठ के निर्णय को भी पलट दिया है.

जानकारी देते एकेटीयू के कुलपति

उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद एकेटीयू के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक ने फर्जीवाड़ा रोकने का श्रेय एकेटीयू के डिजिटाइजेशन कार्यक्रम को दिया है. उन्होंने कहा कि एकेटीयू के डिजिटाइजेशन प्रोग्राम की वजह से ही झारखंड स्टेट ओपन स्कूल के सर्टिफिकेट के आधार पर एकेटीयू से संबद्ध 95 शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पाने वाले 306 छात्र-छात्राओं की पहचान हो सकी है. उन्होंने कहा कि इस फर्जीवाड़े में विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेज के लोग भी शामिल थे.

एकेटीयू ने ऐसे सभी छात्र-छात्राओं के प्रवेश रद कर दिए हैं. इसके बाद प्रभावित विद्यार्थियों की ओर से हाईकोर्ट में अपील की गई. एकल पीठ ने समानता के अधिकार पर विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने का अवसर देने के लिए निर्देशित किया, लेकिन जब मामला हाईकोर्ट की डबल बेंच में गया तो कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि फर्जीवाड़ा करने वालों को समानता के अधिकार का अवसर नहीं दिया जा सकता. उन्होंने कहा कि इस सफलता के लिए एकेटीयू की डिजिटाइजेशन टीम बधाई की पात्र है. डिजिटाइजेशन टीम ने फर्जीवाड़ा होने से रोका है. कुलपति ने बताया कि उन्होंने सभी संस्थाओं के 306 विद्यार्थियों के प्रवेश निरस्त करने का निर्देश दे दिया है.

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क्या है पूरा मामला?
एकेटीयू ने अगस्त 2019 में नामांकन के डिजिटल पोर्टल से झारखंड स्टेट ओपन स्कूल, रांची उत्तीर्ण विद्यार्थियों के फर्जी नामांकन को पकड़ा और उनका नामांकन निरस्त कर दिया था. इसके बाद इन विद्यार्थियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. उच्च न्यायालय ने समानता के अधिकार को मानते हुए विद्यार्थियों की पढ़ाई जारी रखने का विश्वविद्यालय को आदेश दिया था. उच्च न्यायालय के उक्त आदेश के खिलाफ एकेटीयू की ओर से याचिका दायर की गयी, जिसकी सुनवाई उच्च न्यायालय की डबल बेंच में हुई. उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने नामांकन निरस्त कर दिए. शैक्षिक सत्र 2016-17, 2017-18, 2018-19 में झारखंड स्टेट ओपन स्कूल, (बोर्ड) रांची से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध संस्थानों में एडमिशन लिया था. उच्च न्यायालय ने यह फैसला 10 जून 2020 को सुनाया है.

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