रांचीः आरयू प्रशासनिक भवन में रांची विश्वविद्यालय की सिंडिकेट बैठक आयोजित की गई. जिसकी अध्यक्षता कुलपति रमेश कुमार पांडे ने की. इस दौरान 21 अहम मुद्दों को लेकर विशेष रूप से चर्चा हुई. मौके पर जाली अंक पत्र सौंपने के मामले में केसीबी कॉलेज के 3 शिक्षकों पर गाज गिरी है. इसके साथ ही विभिन्न प्रस्तावों पर सिंडिकेट के सदस्यों ने मुहर लगाई है.
सिंडिकेट की बैठक में मुख्य रूप से वैसे शिक्षकों को, जिनकी पदोन्नति संबंधी पत्र झारखंड लोक सेवा आयोग से आए थे और जिन्हें पुष्टि के लिए सिंडिकेट के समक्ष रखा गया था, उन्हें पुष्टि दे दी गई है. जेपीएससी ने पदोन्नति से संबंधित पत्र भी संपुष्ट किया है. 3 शिक्षकों के लिए इंक्वायरी कमेटी के साथ विस्तृत चर्चा के बाद सिंडिकेट ने यह निर्णय लिया कि शिक्षकों की सेवा समाप्त कर उन पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाए. इस प्रस्ताव पर एकमत से सिंडिकेट सदस्यों ने मुहर लगा दी है. वहीं, गलत प्रमाण पत्र के आधार पर उन्होंने जो सेवा दी है और इस तरह से जो उपार्जन किया है, उसे रिकवर करने का भी फैसला लिया गया है.
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जाली प्रमाण पत्र जमा करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई
गौरतलब है कि लगभग 30 सालों तक इन शिक्षकों ने रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत केसीबी कॉलेज में सेवा दी थी. इंक्वायरी कमेटी ने पाया है कि शिक्षक फर्जी तरीके से कॉलेज में सेवा दे रहे थे. जाली प्रमाण पत्र जमा करने वाले शिक्षक अर्थशास्त्र विभाग के मोहम्मद जमील असगर, अंग्रेजी विभाग के उमेश नाथ तिवारी और गृह विज्ञान विभाग की प्रतिमा सिन्हा है. इस मामले में उमेश नाथ तिवारी ने कोर्ट में केस भी किया है .
हालांकि अब भी रांची विश्वविद्यालय प्रशासन पर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं. कुछ सदस्यों का कहना है कि जब 30 साल तक लोग इस कॉलेज में सेवा दे रहे थे, तब प्रशासन कहां सोई हुई थी. इतने दिनों तक जाली प्रमाण पत्रों की जांच क्यों नहीं हुई.