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42 वर्षों से तिरंगे बना रहे हैं अब्दुल सत्तार, सिखाते हैं देशभक्ति के गुर - Republic Day boom in Ranchi

पूरे देश के साथ-साथ रांची में भी गणतंत्र दिवस को लेकर जश्न की तैयारी है. इस जश्न में चार चांद लगा रहे हैं राजधानी के रहने वाले अब्दुल सत्तार चौधरी. वह तिरंगा झंडा बनाकर तो बेचते ही हैं, साथ ही लोगों को तिरंगे की मान-सम्मान के बारे में भी बताते हैं.

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42 वर्षों से तिरंगे का निर्माण कर रहे अब्दुल सत्तार
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Published : Jan 25, 2021, 5:19 PM IST

Updated : Jan 25, 2021, 8:18 PM IST

रांची: झारखंड के अब्दुल सत्तार चौधरी एक ऐसा नाम है, जो पिछले 42 वर्षों से राष्ट्रध्वज का निर्माण कर रहे हैं. गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस रांची और इसके आसपास के क्षेत्रों के लोग तिरंगा झंडा यहां से लेकर जाते हैं. इस दुकान की पहचान ही अलग है, क्योंकि अब्दुल सत्तार चौधरी झंडा बनाने और बेचने के अलावा तिरंगे का महत्व भी यहां आने वाले ग्राहकों को बताते हैं.

देखें पूरी खबर

चार महीनों से कर रहे हैं तैयारी

रांची में भी गणतंत्र दिवस को लेकर जश्न की तैयारी है. इस जश्न में चार चांद लगा रहे हैं राजधानी के रहने वाले अब्दुल सत्तार चौधरी, जो अपर बाजार स्थित पुस्तक पथ के पास अपनी तिरंगे की एक दुकान चलाते हैं. इस दुकान में इनके परिवार के सदस्य भी हाथ बंटाते हैं. इनका कहना है कि 4 महीने पहले से ही वह तिरंगा निर्माण में लग जाते हैं, ताकि राजधानी के लोगों को देश की शान तिरंगा आसानी से मुहैया हो सके. उनका कहना है कि जैसे-जैसे समारोह का दिन नजदीक आता है. वैसे-वैसे तिरंगा निर्माण का काम कम होता जाता है और बिक्री बढ़ती है, लेकिन इस बार परिस्थिति कुछ और है.

ये भी पढ़ें-झारखंड पहुंचा स्वदेशी वैक्सीन का डोज, भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के उपयोग पर विचार आज

एकता और अखंडता का परिचय देता है तिरंगा

कोरोना के कारण देश भर के सभी शैक्षणिक संस्थान बंद थे. धीरे-धीरे इसे खोला तो गया, लेकिन सीमित व्यक्तियों के साथ ही झंडोत्तोलन किया जाएगा. ऐसे में इस बार मुनाफा न के बराबर है. इसके बावजूद पूरे परिवार के साथ वह इस काम में डटे हुए हैं. उनका मानना है कि आजादी के बाद का यह सफर है. हालांकि, उनके स्मरण में 40 से 41 साल से तिरंगा निर्माण में इनका परिवार जुटा हुआ है. संदेश के तौर पर अब्दुल सत्तार चौधरी लोगों को कोरोना से बचने के लिए कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन करने की अपील करते हैं. उसके बाद कहते हैं कि लाल और हरा नहीं, बल्कि सभी घरों में लोग एक तिरंगा फहराएं. यह हमारी एकता और अखंडता इसका परिचय है.

तिरंगे की शान में नहीं आता है मजहब

चौधरी साहब कहते हैं कि आज तक यहां के लोगों ने मजहबी एकता का ही परिचय दिया है. आजादी के बाद जिन भी लोगों ने भारत की धरती को चुना उसे चूमा भी है. तभी तो त्योहार किसी भी धर्मलंबी का हो, इसमें शरीक हर कोई होता है. जब देश के गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस की बात हो तो भला इसमें कौन पीछे रहना चाहेगा.

तिरंगे की शान में ऐसा कोई मजहब नहीं है. यही वजह है कि दोनों राष्ट्रीय पर्वों को बड़ी धूमधाम से लोग मनाते हैं. तिरंगा निर्माण में जुटे अब्दुल सत्तार चौधरी की मानें तो इस बार कोरोना वायरस के कारण काम से जुड़े कारोबारियों पर व्यापक असर पड़ा है. 15 अगस्त 2020 में तो इससे जुड़े कारोबारियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा है. हालांकि, 26 जनवरी 2021 बेहतर है.

ये भी पढ़ें-रांची में दो नाबालिगों की हत्या, फांसी के फंदे से लटका मिला एक शव

राष्ट्रीय पर्व मनाने को बेताब है लोग

अब्दुल सत्तार चौधरी का कहना है कि शिक्षण संस्था ने भले ही बंद है. इसके बावजूद तिरंगों के आर्डर मिल रहे हैं. कोविड-19 की गाइडलाइन के तहत ही समारोह आयोजित करना है. भीड़ एकत्रित नहीं करनी है. इस गणतंत्र दिवस में भी भीड़ इकट्ठा नहीं करनी है. 15 अगस्त 2020 की स्थिति इस गणतंत्र दिवस पर नहीं है. धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो रहा है. ऐसे में लोग इस राष्ट्रीय पर्व को मनाने को लेकर काफी उत्साहित हैं. राष्ट्रीय पर्व को देश के हर मजहब के लोग बड़े ही गर्व से मना रहे हैं.

एकता की मिसाल है भारत

भारत में अनेक धर्म संप्रदाय को मानने वाले लोग रहते हैं. यहां पग-पग पर जैसे जलवायु परिवर्तित होती है. वैसे ही संस्कृति भी बदल जाती है, लेकिन इस विरोध के बावजूद यहां लोगों के बीच जो एकता है, वह मिसाल कायम करता है. लाखों कुर्बानियों के बाद इस देश ने आजादी हासिल की है और इसमें सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों का खून बहा है. गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी रांची में ऐसा ही यह परिवार दिखा, जो वर्षों से तिरंगा निर्माण के काम में जुटे हैं.

रांची: झारखंड के अब्दुल सत्तार चौधरी एक ऐसा नाम है, जो पिछले 42 वर्षों से राष्ट्रध्वज का निर्माण कर रहे हैं. गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस रांची और इसके आसपास के क्षेत्रों के लोग तिरंगा झंडा यहां से लेकर जाते हैं. इस दुकान की पहचान ही अलग है, क्योंकि अब्दुल सत्तार चौधरी झंडा बनाने और बेचने के अलावा तिरंगे का महत्व भी यहां आने वाले ग्राहकों को बताते हैं.

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चार महीनों से कर रहे हैं तैयारी

रांची में भी गणतंत्र दिवस को लेकर जश्न की तैयारी है. इस जश्न में चार चांद लगा रहे हैं राजधानी के रहने वाले अब्दुल सत्तार चौधरी, जो अपर बाजार स्थित पुस्तक पथ के पास अपनी तिरंगे की एक दुकान चलाते हैं. इस दुकान में इनके परिवार के सदस्य भी हाथ बंटाते हैं. इनका कहना है कि 4 महीने पहले से ही वह तिरंगा निर्माण में लग जाते हैं, ताकि राजधानी के लोगों को देश की शान तिरंगा आसानी से मुहैया हो सके. उनका कहना है कि जैसे-जैसे समारोह का दिन नजदीक आता है. वैसे-वैसे तिरंगा निर्माण का काम कम होता जाता है और बिक्री बढ़ती है, लेकिन इस बार परिस्थिति कुछ और है.

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एकता और अखंडता का परिचय देता है तिरंगा

कोरोना के कारण देश भर के सभी शैक्षणिक संस्थान बंद थे. धीरे-धीरे इसे खोला तो गया, लेकिन सीमित व्यक्तियों के साथ ही झंडोत्तोलन किया जाएगा. ऐसे में इस बार मुनाफा न के बराबर है. इसके बावजूद पूरे परिवार के साथ वह इस काम में डटे हुए हैं. उनका मानना है कि आजादी के बाद का यह सफर है. हालांकि, उनके स्मरण में 40 से 41 साल से तिरंगा निर्माण में इनका परिवार जुटा हुआ है. संदेश के तौर पर अब्दुल सत्तार चौधरी लोगों को कोरोना से बचने के लिए कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन करने की अपील करते हैं. उसके बाद कहते हैं कि लाल और हरा नहीं, बल्कि सभी घरों में लोग एक तिरंगा फहराएं. यह हमारी एकता और अखंडता इसका परिचय है.

तिरंगे की शान में नहीं आता है मजहब

चौधरी साहब कहते हैं कि आज तक यहां के लोगों ने मजहबी एकता का ही परिचय दिया है. आजादी के बाद जिन भी लोगों ने भारत की धरती को चुना उसे चूमा भी है. तभी तो त्योहार किसी भी धर्मलंबी का हो, इसमें शरीक हर कोई होता है. जब देश के गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस की बात हो तो भला इसमें कौन पीछे रहना चाहेगा.

तिरंगे की शान में ऐसा कोई मजहब नहीं है. यही वजह है कि दोनों राष्ट्रीय पर्वों को बड़ी धूमधाम से लोग मनाते हैं. तिरंगा निर्माण में जुटे अब्दुल सत्तार चौधरी की मानें तो इस बार कोरोना वायरस के कारण काम से जुड़े कारोबारियों पर व्यापक असर पड़ा है. 15 अगस्त 2020 में तो इससे जुड़े कारोबारियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा है. हालांकि, 26 जनवरी 2021 बेहतर है.

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राष्ट्रीय पर्व मनाने को बेताब है लोग

अब्दुल सत्तार चौधरी का कहना है कि शिक्षण संस्था ने भले ही बंद है. इसके बावजूद तिरंगों के आर्डर मिल रहे हैं. कोविड-19 की गाइडलाइन के तहत ही समारोह आयोजित करना है. भीड़ एकत्रित नहीं करनी है. इस गणतंत्र दिवस में भी भीड़ इकट्ठा नहीं करनी है. 15 अगस्त 2020 की स्थिति इस गणतंत्र दिवस पर नहीं है. धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो रहा है. ऐसे में लोग इस राष्ट्रीय पर्व को मनाने को लेकर काफी उत्साहित हैं. राष्ट्रीय पर्व को देश के हर मजहब के लोग बड़े ही गर्व से मना रहे हैं.

एकता की मिसाल है भारत

भारत में अनेक धर्म संप्रदाय को मानने वाले लोग रहते हैं. यहां पग-पग पर जैसे जलवायु परिवर्तित होती है. वैसे ही संस्कृति भी बदल जाती है, लेकिन इस विरोध के बावजूद यहां लोगों के बीच जो एकता है, वह मिसाल कायम करता है. लाखों कुर्बानियों के बाद इस देश ने आजादी हासिल की है और इसमें सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों का खून बहा है. गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी रांची में ऐसा ही यह परिवार दिखा, जो वर्षों से तिरंगा निर्माण के काम में जुटे हैं.

Last Updated : Jan 25, 2021, 8:18 PM IST
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