रांचीः कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में झारखंड के आठ श्रमिक लड़कियां तमिलनाडु में फंस गईं थीं. कपड़ा मिल में काम करने वाली इन लड़कियों ने मलिक से वापस घर भेजने को कहा तो जाने की इजाजत नहीं दी गई. इसके बाद प्रवासी कंट्रोल रूप से संपर्क किया गया. इसके बाद गुरुवार को लड़कियां रांची पहुंची हैं.
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गुरुवार को एलेप्पी-धनबाद एक्सप्रेस ट्रेन से तमिलनाडु से 8 लड़कियां रांची लाई गईं हैं. यह लड़कियां कोयंबटूर अविनाशी स्थित कपड़ा मिल में काम करती थी. लॉकडाउन में फंसी हुईं थीं. राज्य सरकार की मदद से इन लड़कियों को झारखंड लाया गया है.
शर्त के अनुरूप नहीं दिया वेतन
इन लड़कियों ने बताया कि कौशल विकास के नाम पर बिना ट्रेनिंग दिए 15 हजार रुपये मासिक वेतन की बात कहकर ले गए, लेकिन काम शुरू करने के बाद पांच-छह हजार रुपया दिया जा रहा था. इसके साथ ही 8 घंटे से अधिक समय तक काम करवाया जाता था. कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए घर जाने की इच्छा कंपनी से की, तो एनी सोर्स नामक कंपनी ने झारखंड आने नहीं दिया.
लड़कियों ने परिजन से किया संपर्क
लड़कियों ने बताया कि लॉकडाउन में दिन-प्रतिदिन परेशानी बढ़ रही थी. इससे एक परिचित को फोन कर जानकारी दी. इसके बाद परिचित ने प्रवासी कंट्रोल रूम को सूचना दी. उन्होंने कहा कि प्रवासी कंट्रोल रूम की ओर से कंपनी पर दबाव बनाया गया. इसके बाद झारखंड लाया गया है. बता दें कि इन लड़कियों को रांची स्टेशन से जिला प्रशासन के वाहन से घर भेजा गया.